ड्राफ्ट हुए नए ब्रॉडकास्टिंग बिल में क्या है ऐसा, जिसे लेकर मचा है हंगामा? जानें हर डिटेल
Broadcasting Service Regulation Bill 2024 को केन्द्रीय मंत्री अश्विणी वैष्णव ने संसद में प्रपोज किया है, जिसके बाद से इस बिल को लेकर इंडिविजुअल कॉन्टेंट क्रिएटर्स और डिजिटल ब्रॉडकास्टर्स की टेंशन बढ़ गई है।
Broadcasting Service Regulation Bill 2024: मिनिस्ट्री ऑफ इंफॉर्मेशन एंड ब्रॉडकास्टिंग (MIB) ने पिछले साल नवंबर में नए ब्रॉडकास्टिंग रेगुलेशन बिल ड्राफ्ट किया था, जिसके लिए पब्लिक कमेंट की डेडलाइन 15 जनवरी 2024 तक रखी गई थी। इस बिल का दूसरा ड्राफ्ट जुलाई में तैयार कर लिया गया है, जिसे केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मौजूदा मानसून सत्र में प्रपोज किया है। इस बिल को लेकर डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स और इंडिविजुअल कॉन्टेंट क्रिएटर्स ने रोष जताया है।
सरकार का कहना है कि इस बिल को लाने का मुख्य मकसद सभी न्यूज ब्रॉडकास्टर्स को एक ही रेगुलेटरी फ्रेमवर्क में लाना है। आइए, आसान भाषा में जानते हैं इस बिल के प्रावधान, मकसद और इससे जुड़े विवाद के बारे में...
ब्रॉडकास्टिंग सर्विस बिल के प्रावधान
इस बिल को खास तौर पर डिजिटल या OTT प्लेटफॉर्म जैसे कि Youtube, X (Twitter), Facebook, Instagram, Netflix, Prime Video पर प्रसारित किए जाने वाले कॉन्टेंट को रेगुलेट करने के लिए ड्राफ्ट किया गया है।
- इस बिल के आने के बाद से डिजिटल प्लेटफॉर्म पर न्यूज प्रसारित करने वाले ब्रॉडकास्टर्स को 'डिजिटल न्यूज ब्रॉडकास्टर' के तौर पर जाना जाएगा।
- डिजिटल ब्रॉडकास्टर्स के लिए एक नई रेगुलेटरी बॉडी 'ब्रॉडकास्टिंग ऑथिरिटी ऑफ इंडिया' (BAI) बनाए जाने का प्रावधान है। यह नई रेगुलेटरी बॉडी ब्रॉडकास्टिंग से जुड़े बिल के इंप्लिमेंटेशन और रेगुलेशन के लिए जिम्मेवार होगी।
- इसके अलावा इस बिल में सेल्फ रेगुलेशन के लिए टू-टियर सिस्टम क्रिएट करने का प्रावधान है, जिसमें नॉन-कंप्लायेंस होने पर सरकार का इंटरवेंशन भी शामिल किया गया है।
- डिजिटल प्लेटफॉर्म पर दिखाए जाने वाले कॉन्टेंट को रेगुलेट करने के लिए कॉन्टेंट इवैल्यूएशन कमिटी बनाए जाने का प्रावधान भी इस बिल में शामिल किया गया है। यह कमिटी डिजिटल प्लेटफॉर्म पर प्रसारित किए जाने वाले कॉन्टेंट को कंप्लायेंस सर्टिफिकेट देगी।
- यही नहीं, इस बिल में डिजिटल प्लेटफॉर्म पर प्रसारित किए जाने वाले कॉन्टेंट के प्रोवाइडर्स और व्यूअर्स के बीच एक पारदर्शी और ग्रीवांस रिड्रेसल सिस्टम तैयार किए जाने का भी प्रावधान है।
नए ब्रॉडकास्टिंग बिल का क्या है मकसद?
- केन्द्र सरकार द्वारा इस बिल को लाने का मुख्य मकसद किसी भी माध्यम से प्रसारित होने वाले कॉन्टेंट को रेगुलेट, कंट्रोल, मॉनिटर और सेंसर करना है। सरकार सभी ब्रॉडकास्टर्स को एक ही रेगुलेटरी फ्रेमवर्क में रखना चाहती है, ताकि चीजों को स्ट्रीमलाइन करने में सहूलियत हो सके।
- जिस तरह से डिजिटल प्लेटफॉर्म पर फेक न्यूज और अफवाह तेजी से फैल रहे हैं, उसे देखते हुए सरकार कॉन्टेंट को रेगूलेट करना चाह रही है। इसके लिए कॉन्टेंट कोट और एज वेरिफिकेशन मैकेनिज्म को लाया जाएगा।
- सरकार का कहना है कि इस नए ब्रॉडकास्टिंग रेगूलेशन बिल के लागू हो जाने के बाद किसी भी OTT या डिजिटल प्लेटफॉर्म पर फैलाए जाने वाले हेट स्पीच, फेक न्यूज या अफवाहों के लिए प्लेटफॉर्म को अकाउंटेबल बनाया जा सकेगा।
बिल को लेकर क्यों मचा है हंगामा?
नए ड्राफ्ट हुए ब्रॉडकास्टिंग बिल के प्रावधानों को देखते हुए इंडिविजुअल कॉन्टेंट क्रिएटर्स और कुछ डिजिटल पब्लिशर्स ने नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि यह बिल कॉन्टेंट क्रिएटर्स के लिए सरकार द्वारा लगाए जाने वाले सेंसरशिप की तरह है। किसी को भी सरकार को क्रिटिसाइज करने की आजादी नहीं होगी। खास तौर पर टू-टीयर सेल्फ रेगुलेशन सिस्टम को लेकर डिजिटल ब्रॉडकास्टर्स और इंडिविजुअल कॉन्टेंट क्रिएटर्स को चिंता है। इस बिल में डेटा के लोकलाइजेशन और यूजर डेटा का एक्सेस सरकार के पास होने का भी एक प्रावधान जोड़ा गया है, जिसे लेकर प्राइवेसी के वॉयलेशन और इसके दुरुपयोग की संभावना जताई जा रही है।
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