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Hindi News Explainers Explainer: काजी नहीं अब मुस्लिम शादियों का रजिस्ट्रेशन करेगी असम सरकार, जानिए क्या है नया नियम-कानून?

Explainer: काजी नहीं अब मुस्लिम शादियों का रजिस्ट्रेशन करेगी असम सरकार, जानिए क्या है नया नियम-कानून?

असम सरकार ने मुस्लिम मैरिज एंड डिवोर्स रजिस्ट्रेशन बिल 2024 विधानसभा में पेश कर दिया है। इस बिल पेश होने के साथ ही अब असम में मुस्लिम समुदायों में होने वाली शादियों के रजिस्ट्रेशन में कई अहम बदलाव आए हैं।

मुस्लिम समुदाय की शादी- India TV Hindi Image Source : FREEPIK मुस्लिम समुदाय की शादी

'जब मियां बीवी राजी तो क्या करेगा काजी?' शुरुआती शिक्षा के दौरान हिंदी की ये कहावत तो हर किसी को पढ़ाई जाती है। इसका मतलब है 'जब आपस में एकता हो तो दूसरा कुछ नहीं कर सकता है।' इसी कहावत की तरह अब असम सरकार भी काजी (मौलवी) के काम (शादी के रजिस्ट्रेशन) को खत्म करने वाली है। असम सरकार ने विधानसभा में मुसलमानों के मुस्लिम मैरिज एंड डिवोर्स रजिस्ट्रेशन बिल 2024 को पेश कर दिया है।

नाबालिगों के विवाह की अनुमति देने की गुंजाइश

इसमें कहा गया कि मौजूदा अधिनियम में समुदाय के नाबालिगों के विवाह की अनुमति देने की गुंजाइश है। यहां ये जानना जरूरी है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के मुताबिक, मुस्लिम लड़की 15 साल के बाद शादी कर सकती है। वहीं, भारत के कानून में 18 साल से कम बच्चों को नाबालिग माना जाता है। अब तक काजी मुस्लिम समुदाय के लोगों की शादियां रजिस्टर्ड करते थे। अब असम में ऐसा नहीं होगा।

केवल रजिस्ट्रेशन पार्ट में ही बदलाव

हालांकि, नया बिल इस्लामिक निकाह सिस्टम में बदलाव नहीं करेगा। केवल रजिस्ट्रेशन पार्ट में ही बदलाव किया जाना है। असम विधानसभा में नए बिल के पेश होने के बाद मुस्लिम महिलाओं और युवकों की शादी और तलाक रजिस्ट्रार ऑफिस में रजिस्टर्ड किए जाएंगे।

मुस्लिम निकाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम

मुस्लिम निकाह-तलाक कानून को निरस्त करने के लिए गुरुवार को विधानसभा में एक विधेयक पेश किया गया। राजस्व और आपदा प्रबंधन मंत्री जोगेन मोहन ने असम मुस्लिम निकाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम, 1935 और असम निरसन अध्यादेश 2024 को समाप्त करने के लिए असम निरसन विधेयक, 2024 विधानसभा में पेश किया। 

Image Source : FILE PHOTOकोर्ट में हैं कई मामले

कोर्ट में इस मामले के कई केस

उन्होंने निरसन विधेयक पेश करने के उद्देश्य और कारण पर जोर डालते हुए कहा कि पुरुष के मामले में 21 साल से कम आयु वाले और (महिला के मामले में) 18 साल से कम आयु वाले इच्छुक व्यक्तियों के निकाह को पंजीकृत करने की गुंजाइश होती है। मोहन ने कहा कि पूर्व कानून में पूरे राज्य में अधिनियम के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए कोई प्रावधान नहीं था और इसके कारण कोर्ट में भारी संख्या में मुकदमेबाजी हुई। 

जबरन निकाह का भी मामला

उन्होंने कहा कि अधिकृत लाइसेंसधारियों (मुस्लिम निकाह रजिस्ट्रार) के साथ-साथ नागरिकों द्वारा भी कम उम्र/नाबालिगों के बच्चे-बच्चियों के निकाह कराने और पक्षों की सहमति के बिना जबरन निकाह कराने के लिए इसका दुरुपयोग करने की गुंजाइश है। 

Image Source : PTIअसम के मुख्यमंत्री

काजी लोग नाबालिगों की शादी करते थे रजिस्टर्ड- सीएम

वहीं, इस मामले पर मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने कहा कि इससे पहले मुस्लिम निकाह काजियों द्वारा पंजीकृत किए जाते थे। अब इस नये विधेयक से यह सुनिश्चित होगा कि समुदाय में होने वाले सभी विवाह सरकार के समक्ष पंजीकृत होंगे। सीएम ने ये भी दावा किया कि पहले काजियों द्वारा नाबालिगों की शादियों का भी पंजीकरण किया जाता था, लेकिन प्रस्तावित विधेयक ऐसे किसी भी कदम पर रोक लगाएगा।

अब नहीं होगा नाबालिगों का पंजीकरण

सीएम ने मंत्रिमंडल के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि अब नाबालिगों की शादी का पंजीकरण बिल्कुल नहीं होगा। हम बाल विवाह की कुप्रथा को खत्म करना चाहते हैं। इसलिए, विवाहों का पंजीकरण उप-पंजीयक कार्यालय में किया जाएगा।

और किन-किन चीजों पर लगा प्रतिबंध

सरकार के इस विधेयक में बताया गया कि अब मुस्लिम विवाह और तलाक का पंजीकरण काजियों (मुस्लिम मौलवियों) के बजाय असम सरकार के पास होना चाहिए। जानिए इसको लेकर और किन-किन चीजों पर प्रतिबंध लगाया गया है।

  • 18 साल से कम आयु में विवाह पंजीकरण नहीं होना चाहिए। 
  • 18 साल से कम आयु के व्यक्तियों के विवाह पंजीकरण पर प्रतिबंध लगाया जाए।
  • पंजीकरण प्राधिकरण: असम सरकार का उप-पंजीयक मुस्लिम विवाहों के पंजीकरण के लिए जिम्मेदार होगा।
  • बाल विवाह के खिलाफ लड़ाई: विधेयक का मुख्य उद्देश्य बाल विवाह का मुकाबला करना है।