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चालबाज चीन की नई चाल, क्या है एंटीमनी जिसपर लगाई पाबंदी, बंदूक से लेकर परमाणु बम तक पर होगा इसका असर

चीन ने एक बार फिर अपनी नई चाल चल दी है। दरअसल चीन ने एंटीमनी के एक्सपोर्ट पर पाबंदी लगा दी है। बता दें कि एंटीमनी एक प्रकार का स्ट्रैटेजिक मेटल होता है, जिसका इस्तेमाल हथियार बनाने तक में होता है।

antimony export banned by china it will have effect on everything from guns to nuclear bombs- India TV Hindi Image Source : REUTERS क्या है एंटीमनी जिसपर लगाई पाबंदी

चालबाज चीज निजी हितों की रक्षा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। इसका नया उदाहरण अब सामने आया है। दरअसल चीन में भरपूर मात्रा में खनिज पदार्थ है। दुनियाभर में चीन का खनिज पदार्थों के मामले में दबदबा है। ऐसे में इसका फायदा अब चीन उठाने जा रहा है। चीन ने कई क्रिटिकल मिनरल्स के एक्सपोर्ट को अब बंद कर दिया है। इसी कड़ी में चीन की सरकार ने अब एंटीमनी और उससे संबंधित उत्पादों के एक्सपोर्ट पर पाबंदी लगाने का फैसला किया है। बता दें कि एंटीमनी के उत्पादन में चीन की 58 फीसदी हिस्सेदारी पिछले साल थी। बता दें कि एंटीमनी एक प्रकार का स्ट्रैटेजिक मेटल होता है, जिसका इस्तेमाल तमाम तरह के उत्पादों को बनाने में होता है, खासकर बारूद, इन्फ्रारेट मिसाइल, नाइट वजिन ग्लासेस, परमाणु हथियार, फोटोवॉल्टिक उपकरण और बैटरी बनाने में इसका इस्तेमाल होता है। 

कई देशों पर चीन के फैसले का होगा असर

इसे लेकर चीनी सरकार ने बयान जारी करते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों का हवाला दिया। चीनी सरकार की तरफ से दिए बयान में कहा गया कि देश की राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों तथा अप्रसार के अपने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों को पूरा करने के लिए एंटीमनी के एक्सपोर्ट्स पर पाबंदियां लगाई जा रही हैं। चीन ने कहा कि यह किसी देश या रीजन के लिए नहीं है। वहीं एक्स्पर्ट्स की मानें तो चीन एंटीमनी के जरिए नई चाल चल रहा है। एंटीमनी के प्रसार के बंद होने से अमेरिका और यूरीपिय देशों की सेना पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। चीन ने 15 सितंबर से 6 एंटीमनी प्रोडक्ट्स पर पाबंदी लगा दी है। इसमें एंटीमनी ओर, एंटीमनी मेटल्स, एंटीमनी ऑक्साइड शामिल है। वहीं गोल्ड एंटीमनी और सेपरेशन तकनीक के एक्सपोर्ट से पहले चीनी सरकार से अनुमति लेने का नियम लागू कर दिया गया है। 

चीन की चाल क्या है?

दुनिया के विकसित देश खासकर अमेरिका और यूरोपिय देश क्रिटिकल मेटल्स की सप्लाई पर काफी हद तक निर्भर हैं। चीन के विकल्प के तौर पर इन देशों ने काम करना भी शुरू कर दिया है। दरअसल अमेरिका में एक कंपनी है Perpetua Resources जो कि एंटीमनी और गोल्ड प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। इसकी योजना थी कि साल 2028 तक उत्पादन शुरू करने की लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो सका। हालांकि चीन के इस फैसले के बाद कंपनी को जल्द से जल्द अपने प्रोजेक्ट को पूरा करना होगा। इससे पहले पिछले साल भी चीन ने कई क्रिटिकल मेटल्स की सप्लाई पर पाबंदी लगा दी थी। दिसंबर में चीन में रेयर अर्थ मैग्नेट्स बनाने में काम आनेवाली टेक्नोलॉजी के एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया था। वहीं क्रिटिकल मैटेरियल्स को एक्स्ट्रैक्ट और अलग करने वाली तकनीक के निर्यात पर भी बैन लगाया जा चुका है।

पहली बार नहीं चीन कर रहा ऐसी हरकत

बता दें कि इससे पहले चीन द्वारा कई अन्य चीजों के एक्सपोर्ट पर भी बैन लगाया जा चुका है। इससे पहले चीन ने ग्रेफाइट प्रोडक्ट्स के एक्सपोर्ट को बंद कर दिया था। इसके अलावा गैलियम और जर्मेनियम के एक्सपोर्ट को भी चीन बंद कर चुका है। बता दें कि सेमीकंडक्टर बनाने में गैलियम और जर्मेनियम का इस्तेमाल किया जाता है। एंटीमनी की डिमांड इस साल काफी ज्यादा है। कई देशों के बीच युद्ध हो रहे हैं और कई देश युद्ध के कगार पर खड़े हैं। इसके अलावा अन्य विकास कार्य लगातार हो रहे हैं। ऐसे में भारी डिमांड के कारण एंटीमनी की कीमत आसमान छू रही है। खासकर फोटोवॉल्टिक सेक्टर में इसकी मांग काफी बढ़ी है, जहां इसका इस्तेमाल सोलर सेल की क्षमता को सुधारने में किया जाता है। चीन रिफाइंड एंटीमनी का दुनिया का सबसे बड़ा सप्लायर है। लेकिन वह थाइलैंड, म्यांमार और रूस जैसे देशों से इसके अयस्क को आयात करता है। 

भारत पर क्या होगा इसका असर

चीन द्वारा एंटीमोनी के एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद इसका बुरा प्रभाव दुनिया के कई देशों पर पड़ने वाला है। खासकर अमेरिका और यूरोपिय संघ के देशों के पर इसका बुरा असर होगा। हालांकि अगर भारत के परिदृश्य से बात करें तो इसका चीन की इस हरकत का भारत पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ने वाला है। क्योंकि भारत में भी एंटोमनी का उत्पादन होता है।  OEC वर्ल्ड के डेटा के मुताबिक एंटीमनी के कुल उत्पादन का 3.48 फीसदी उत्पादन भारत में होता है। हालांकि साल 2021-22 में भारत सरकार ने एंटीमनी के इंपोर्ट पर 8.5 मिलियन डॉलर खर्चे थे। यानी अन्य कई देशों की तुलना में भारत काफी कम संख्या में एंटीमनी का आयात करता है। 

किन चीजों के बनाने में एंटीमनी का होता है इस्तेमाल

  • बुलेट प्रूफ जैकेट को भेदने वाली गोलियों का निर्माण
  • नाइट विजन हॉहल्स
  • इन्फ्रारेड सेंसर
  • प्रिसिजन ऑप्टिक्स
  • लेजर साइटिंग
  • विस्फोटक फॉर्मूलेशन
  • बुलेट प्रूफ सीसा
  • गोला-बारूद प्राइमर
  • ट्रेसर गोला-बारूद
  • परमाणु हथियार और उत्पादन
  • ट्रिटियम उत्पाद
  • फ्लेयर्स
  • सैन्य कपड़े
  • संचार उपकरण
  • टंगस्टन स्टील 
  • सीसे की गोलियां
  • सेमी कंडक्टर
  • सर्किट बोर्ड
  • इलेक्ट्रिक स्विच
  • फ्लोरोसेंट लाइटिंग
  • उच्च गुणवत्ता वाले ग्लास
  • लिथियम आयन बैटरी