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Hindi News Explainers Explainer: 800 साल पहले बना 'अढ़ाई दिन का झोपड़ा' आखिर है क्या? संस्कृत महाविद्यालय, जैन मंदिर या मस्जिद! जानिए पूरा विवाद

Explainer: 800 साल पहले बना 'अढ़ाई दिन का झोपड़ा' आखिर है क्या? संस्कृत महाविद्यालय, जैन मंदिर या मस्जिद! जानिए पूरा विवाद

'अढ़ाई दिन का झोपड़ा' अभी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित है। इसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्मारक कहा गया है। यह अजमेर में लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है। अब इसको लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है।

Ajmer Adhai Din Ka Jhopra- India TV Hindi Image Source : INDIA TV GFX अजमेर में स्थित अढ़ाई दिन का झोपड़ा

राजस्थान में अजमेर शरीफ के दरगाह का मामला शांत भी नहीं हो पाया कि एक और जगह सर्वेक्षण कराए जाने की मांग उठने लगी है। ये जगह भी अजमेर शरीफ दरगाह से मात्र कुछ मिनट की दूरी पर है। इस जगह को अढ़ाई दिन का झोपड़ा कहा जाता है। अजमेर शरीफ दरगाह के सर्वेक्षण की मांग को लेकर स्थानीय एक अदालत में हाल में दायर एक याचिका से अजमेर में स्थित 12वीं सदी की मस्जिद 'अढ़ाई दिन का झोपड़ा' को उसके इस्लाम-पूर्व मूल विरासत के रूप में बहाल करने की मांग शुरू हो गई है। 

पहले ये था संस्कृत महाविद्यालय और मंदिर

दरगाह से कुछ ही दूरी पर स्थित, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित यह स्थल अपनी ऐतिहासिक पहचान के बारे में चर्चाओं के केंद्र में है। अजमेर के उप महापौर नीरज जैन ने इस दावे को दोहराया कि आक्रांताओं द्वारा ध्वस्त किए जाने से पहले यह भवन मूल रूप से संस्कृत महाविद्यालय और मंदिर था। 

झोपड़े के अंदर रखी मूर्तियों को लाया जाए बाहर

जैन ने कहा, 'इस बात के स्पष्ट प्रमाण हैं कि झोपड़े के स्थान पर एक संस्कृत महाविद्यालय और मंदिर मौजूद था। एएसआई ने इसे संरक्षित स्मारक घोषित किया है। वहां अवैध गतिविधियां चल रही हैं और पार्किंग पर अतिक्रमण किया गया है। हम चाहते हैं कि इस तरह की गतिविधियां बंद हों।' उन्होंने कहा कि एएसआई को झोपड़े के अंदर रखी मूर्तियों को बाहर लाना चाहिए और एक संग्रहालय बनाना चाहिए जिसके लिए किसी सर्वेक्षण की आवश्यकता नहीं है। 

Image Source : File Photo हिंदू मंदिरों के चिह्न

नालंदा और तक्षशिला की तरह इसे भी बनाया गया निशाना

जैन ने दावा किया कि यह तथ्य है कि नालंदा और तक्षशिला की तरह इसे भी भारतीय संस्कृति, शिक्षा और सभ्यता पर बड़े हमले के तहत निशाना बनाया गया था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि एएसआई के पास इस स्थल की 250 से अधिक मूर्तियां हैं और उन्होंने इसके इस्लाम-पूर्व इतिहास के प्रमाण के रूप में स्वस्तिक, घंटियां और संस्कृत शिलालेखों की मौजूदगी की ओर इशारा किया। अजमेर के उप महापौर नीरज  ने कहा, 'कोरोना महामारी से पहले, हमने मांग की थी कि संरक्षित स्थल पर गतिविधियों को रोका जाए और स्थल की मूल विरासत को बहाल किया जाए। लेकिन, महामारी के कारण इसे टाल दिया गया।'

जानिए किसने बनाया अढ़ाई दिन का झोपड़ा?

एएसआई की वेबसाइट के अनुसार, 'अढ़ाई दिन का झोपड़ा’ एक मस्जिद है जिसे दिल्ली के पहले सुल्तान कुतुब-उद-दीन-ऐबक ने करीब 800 साल पहले 1199 ई. में बनवाया था। यह दिल्ली के कुतुब मीनार परिसर में बनी उस मस्जिद के समकालीन है जिसे कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद के नाम से जाना जाता है। हालांकि, विभाग द्वारा सुरक्षित रखने को लेकर परिसर स्थित बरामदे में बड़ी संख्या में मंदिरों की मूर्तियां रखी गई हैं, जो लगभग 11वीं-12वीं शताब्दी के दौरान इसके आसपास एक हिंदू मंदिर के अस्तित्व होने को दर्शाती हैं।

Image Source : FILE PHOTOअजमेर में स्थित अढ़ाई दिन का झोपड़ा

ऐसे पड़ा इसका नाम 

मंदिरों के खंडित अवशेषों से निर्मित इस मस्जिद को अढ़ाई दिन का झोपड़ा के नाम से जाना जाता है। इसका यह नाम शायद इसलिए पड़ा क्योंकि वहां ढाई दिन का मेला आयोजित किया जाता था। 

कैसे बना अढ़ाई दिन का झोपड़ा? ये शोध का विषय

राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि अढ़ाई दिन का झोपड़ा हमेशा से ही संस्कृत विद्यालय के रूप में लोगों के मन में अंकित रहा है। उन्होंने कहा, 'अजमेर के लोग जानते हैं कि प्राचीन काल में सनातन संस्कृति में शिक्षा के रूप में इसका क्या महत्व था। यह कैसे एक विद्यालय से अढ़ाई दिन का झोपड़ा बन गया, यह शोध का विषय है।'

संस्कृत विद्यालय से पहले था जैन मंदिर

एक जैन मुनि ने दावा किया कि स्मारक पहले एक संस्कृत विद्यालय था और विद्यालय से पहले यहां जैन मंदिर मौजूद था। सुनील सागर महाराज ने कहा, 'हमने पहले भी मांग की है कि स्मारक का पुनर्विकास किया जाना चाहिए और इसके पुराने गौरव को बहाल किया जाना चाहिए। स्मारक में मूर्तियां हैं जिन्हें स्टोर रूम में रखा गया है।' 

Image Source : FILE Photo ASI की देख रेख में है अढ़ाई दिन का झोपड़ा

जैन मुनियों का समूह गया था झोपड़ा देखने

इसी साल मई में जैन मुनियों का समूह विश्व हिंदू परिषद के नेताओं के साथ अढ़ाई दिन का झोंपड़ा देखने गया था। बाद में, अजमेर दरगाह के ‘अंजुमन’ के सचिव सरवर चिश्ती का एक ऑडियो संदेश सोशल मीडिया पर सामने आया, जिसमें उन्होंने कहा कि उन्होंने जैन मुनियों के बिना कपड़ों के स्मारक में जाने पर आपत्ति जताते हुए पुलिस के समक्ष अपना विरोध दर्ज कराया है। 

शिव मंदिर के ऊपर बनाई गई अजेमर शरीफ की दरगाह

अजमेर की एक स्थानीय अदालत ने 27 नवंबर को हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता द्वारा दायर याचिका के बाद अजमेर दरगाह समिति, केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय और एएसआई को नोटिस जारी किए। याचिका में दावा किया गया था कि दरगाह एक शिव मंदिर के ऊपर बनाई गई थी।

पीटीआई के इनपुट के साथ