Explainer: जम्मू-कश्मीर से हट सकता है AFSPA, जानें क्या है यह कानून और क्यों किया जाता है लागू
AFSPA एक संसदीय अधिनियम है। ये अधिनियम भारत के सशस्त्र बलों और राज्य और अर्धसैनिक बलों को 'अशांत क्षेत्रों' के रूप में वर्गीकृत किए गए इलाकों में विशेष शक्ति देता है।
जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर के कुछ हिस्सों में लागू सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम यानी की अफस्पा/AFSPA को लेकर देश में एक बार फिर से चर्चा गर्म हो गई है। इसका मुख्य कारण देश के गृह मंत्री अमित शाह द्वारा किया गया यह दावा है कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर से सेना वापस बुलाने और AFSPA को हटाने पर विचार करेगी। दरअसल, मंगलवार को एक इंटरव्यू में गृह मंत्री अमित शाह ने इस बात का खुलासा किया है। शाह ने ये भी कहा है कि सरकार की योजना जम्मू-कश्मीर से सैनिकों को वापस बुलाने और कानून व्यवस्था को जम्मू-कश्मीर पुलिस के हवाले करने की है। तो आखिर से AFSPA है क्या? इसे क्यों लागू किया जाता है? इसके तहत कौन से नियम कानून लागू होते हैं? आइए जानते हैं इन सभी सवालों के जवाब हमारे इस एक्सप्लेनर के माध्यम से।
क्या है AFSPA कानून?
सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम यानी की अफस्पा/AFSPA एक संसदीय अधिनियम है। ये अधिनियम भारत के सशस्त्र बलों और राज्य और अर्धसैनिक बलों को 'अशांत क्षेत्रों' के रूप में वर्गीकृत किए गए इलाकों में विशेष शक्ति देता है। AFSPA को लागू करने का मकसद देश के अशांत क्षेत्रों में कानून व्यवस्था बनाए रखना है। इस अधिनियम को आतंकवाद, विद्रोह या भारत की क्षेत्रीय अखंडता पर खतरे की स्थिति में लागू किया जाता है। बता दें कि इस अधिनियम के तहत सुरक्षाबलों को अशांत क्षेत्रों में कई कानूनी छूट भी प्रदान करता है।
अशांत घोषित करने के क्या हैं नियम?
अशांत क्षेत्र घोषित करने का अधिकार भी अफस्पा कानून के तहत ही आता है। यह अधिकार केंद्र सरकार, राज्यपाल और केंद्र शासित प्रदेशों में उपराज्यपाल के पास होता है। वो किसी इलाके, किसी जिले या पूरे राज्य को अशांत क्षेत्र घोषित कर सकते हैं। इसके लिए भारत के राजपत्र पर एक अधिसूचना निकालनी होती है। यह अधिसूचना अफस्पा कानून की धारा 3 के तहत होती है। इस धारा में कहा गया है कि नागरिक प्रशासन के सहयोग के लिए सशस्त्र बलों की आवश्यकता होने पर किसी क्षेत्र को अशांत क्षेत्र घोषित किया जा सकता है।
कब लाया गया कानून?
सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम/AFSPA को 11 सितंबर 1958 को पारित किया गया था। इस अधिनियम को पहले भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में लागू किया गया था। इन राज्यों में उग्रवाद की समस्या बढ़ रही थी। इसके बाद 1989 में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद ने सिर उठाया जिसके बाद यहां भी 1990 में AFSPA को लागू कर दिया गया। समय-समय पर इस कानून को लेकर काफी विरोध भी देखने को मिला है।
अफस्पा के तहत सेना को मिले अधिकार
1. अफस्पा लागू होने की स्थिति में सेना कहीं भी पांच या पांच से अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगा सकती है।
2. सेना के पास बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार करने का अधिकार होता है।
3. साथ ही चेतावनी का उल्लंघन करने पर गोली मारने तक का अधिकार सेना के पास होता है।
4. सेना किसी के भी घर में बिना वारंट तलाशी ले सकती है। हालांकि अफस्पा के तहत गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को सेना को नजदीकी पुलिस स्टेशन को सौंपना जरूरी होता है।
5. किसी की भी यदि गिरफ्तारी होती है तो कारण बताने के लिए एक विस्तृत रिपोर्ट भी देनी होती है।
अभी क्या हैं हालात?
एक वक्त अफस्पा पूर्वोत्तर भारत के असम, मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, मिज़ोरम और नगालैंड में लागू था। साल 2015 में इसे त्रिपुरा से हटा लिया गया था। वहीं, पूर्वोत्तर के विभिन्न राज्यों में धीरे-धीरे इस कानून में ढील दी जा रही है। कई शहरों से अब आंशिक या पूरे तरीके से अफस्पा को हटा लिया गया है। जम्मू-कश्मीर में अभी अफस्पा लादू है लेकिन इस पर विचार करने की बात कही गई है। सरकार का दावा है कि पहले के मुकाबले अब जम्मू-कश्मीर के हालात काफी बदल गए हैं।
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