Explainer:भारत में 15 साल में 41.5 करोड़ लोग निकले गरीबी से बाहर, UN की रिपोर्ट; जानें कांग्रेस और पीएम मोदी में कौन बेहतर
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट ने भारत के लिए सुखद रिपोर्ट जारी की है। इसमें बताया गया है कि गत 15 वर्षों के दौरान देश से 41.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकलने में सफल रहे हैं। यह आंकड़े 2005 से 2021 के बीच के हैं। इनमें से 2014 तक कांग्रेस और उसके बाद से अब तक पीएम मोदी की सरकार है।
पिछले 15 वर्षों में भारत की तस्वीर बहुत बदल चुकी है। यह बात हम नहीं कह रहे, बल्कि संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट कह रही है। यूएन की रिपोर्ट के अनुसार गत 15 वर्षों में भारत के 41.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए हैं। अपने आप में यह बहुत बड़ा आंकड़ा है। रिपोर्ट कहती है कि भारत में 2005-06 से 2019-2021 के दौरान 41.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। इस दौरान 2005 से 2014 तक कांग्रेस की सरकार रही है और डॉ. मनमोहन सिंह तब देश के प्रधानमंत्री थे। जबकि 2014 से अब तक नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री हैं। इसी दौरन 41.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए हैं।
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में ऑक्सफोर्ड गरीबी और मानव विकास पहल (ओपीएचआई) द्वारा जारी वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) के ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाले देश (भारत) ने गरीबी उन्मूलन के मोर्चे पर काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। इसमें कहा गया है कि भारत सहित दुनिया के 25 देशों ने पिछले 15 साल में सफलता के साथ अपने वैश्विक एमपीआई मूल्य को आधा किया है। इससे इन देशों में हुई प्रगति का पता चलता है। इन देशों में कंबोडिया, चीन, कांगो, होंडुरास, भारत, इंडोनेशिया, मोरक्को, सर्बिया और वियतनाम शामिल हैं।
जनसंख्या में चीन को पीछे छोड़ चुका है भारत
संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक, भारत ने अप्रैल में 142.86 करोड़ लोगों के साथ जनसंख्या के मामले में चीन को पीछे छोड़ दिया है। अब भारत दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाला देश है। रिपोर्ट में कहा गया है कि विशेष रूप से भारत ने गरीबी उन्मूलन के मोर्चे पर काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। सिर्फ 15 साल में 41.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं।’’ रिपोर्ट कहती है कि गरीबी में कमी लाना संभव है। कोविड-19 के महामारी के दौरान के व्यापक आंकड़ों की कमी की वजह से तात्कालिक संभावनाओं का आकलन करना थोड़ा मुश्किल है।
ऐसे घटे गरीब
भारत में 2005-06 में लगभग 64.5 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी में थे। 2015-16 में यह संख्या घटकर लगभग 37 करोड़ पर और 2019-21 में 23 करोड़ पर आ गई। रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में पोषण के संकेतक के आधार पर बहुआयामी गरीबी और वंचित लोगों की संख्या 2005-06 के 44.3 प्रतिशत से घटकर 2019-21 में 11.8 प्रतिशत पर आ गई। बाल मृत्यु दर भी इस दौरान 4.5 प्रतिशत से घटकर 1.5 प्रतिशत रह गई। रिपोर्ट के अनुसार, जो लोग गरीब हैं और खाना पकाने के ईंधन से वंचित हैं, उनकी संख्या 52.9 प्रतिशत से घटकर 13.9 प्रतिशत रह गई है। वहीं स्वच्छता से वंचित लोग 2005-06 के 50.4 प्रतिशत से घटकर 2019-21 में 11.3 प्रतिशत रह गए हैं।
पानी-बिजली और आवास से वंचित लोगों की संख्या भी घटी
पीने के साफ पानी यानी पेयजल के मानक पर देखें, तो इस अवधि में ऐसे लोगों की संख्या 16.4 प्रतिशत से घटकर 2.7 प्रतिशत रह गई। वहीं बिजली से वंचित लोगों की संख्या इस दौरान 29 प्रतिशत से घटकर 2.1 प्रतिशत पर आ गई। आवास से वंचित लोगों का आंकड़ा भी 44.9 प्रतिशत से घटकर 13.6 प्रतिशत रह गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत उन 19 देशों में शामिल है जिन्होंने एक अवधि में अपने एमपीआई को आधा किया है। भारत के लिए यह अवधि 2005-06 से 2005-16 रही है। वर्ष 2023 की रिपोर्ट में कहा गया है कि 110 देशों में 6.1 अरब लोगों में से 1.1 अरब काफी गरीबी में रह रहे हैं। उप-सहारा अफ्रीका में ऐसे लोगों की संख्या 53.4 करोड़ और दक्षिण एशिया में 38.9 करोड़ है। (भाषा)
पीएम मोदी और कांग्रेस में किसने किया बेहतर काम
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में 2005 से 2021 तक के आंकड़ों पर निरष्कर्ष निकाला गया है। इस दौरान 15 वर्षों में कुल 41.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए हैं। हालांकि यह नहीं पता चला है कि 2005 से 2014 और 2014 से अब तक कितनी संख्या में गरीबी रेखा से लोग बाहर आ सके हैं। मगर यूएन ने एक आंकड़े में कहा है कि 2016 में भारत में कुल 37 करोड़ गरीब थे और 2021 में यह सिर्फ 23 करोड़ रह गए। यानि सिर्फ पांच वर्षों में 14 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आ गए। मतलब साफ है कि पीएम मोदी के राज में लोग तेजी से गरीबी रेखा से बाहर आ रहे हैं।
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