'भाबी जी घर पर हैं!' में मनमोहन तिवारी का रोल करने वाले एक्टर रोहिताश्व गौर ने अपनी सफलता का श्रेय शो के दर्शकों को दिया और कहा कि जब यह शुरू हुआ, तो किसी ने नहीं सोचा था कि यह तीन महीने से अधिक समय तक चल पाएगा। उन्होंने कहा, "जब हमने शुरू किया तो हमने सोचा, 'भाबी जी घर पर हैं!' तीन महीने से ज्यादा नहीं चलेगा और अब हम अपने आठवें साल में हैं। अच्छी बात यह है कि शो जिस कॉमेडी पर काम करता है, वह शुद्ध है, इसमें व्यंग्य के सिवाय कुछ भी नहीं है। यह दो परिवारों की कहानी है, जहां पुरुष एक-दूसरे की पत्नी से प्यार करते हैं।"
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वे कहते हैं, "शो ने एक अलग तरह का बेंचमार्क स्थापित किया। इसका एक कारण यह है कि संवाद और वाक्यांश कनपुरिया बोली और उच्चारण में हैं।" रोहिताश्व असल जीवन में शो के अपने किरदार मनमोहन तिवारी जैसे नहीं हैं, असलियत में वह बहुत ही गंभीर व्यक्ति हैं। शो के बारे में एक और बात यह है कि अभिनेता के अनुसार कॉमेडी में दोहराव नहीं है।
वह लेखकों की प्रशंसा करते हैं और शो के निर्माताओं को सारा श्रेय भी देते हैं। उनका कहना है, "लेखकों के लिए एक नई अवधारणा बनाना मुश्किल है, क्योंकि उन्हें दर्शकों को शो से जोड़े रखने के लिए नए रचनात्मक विचारों को विकसित करना और लाना है। संजय कोहली और बिनैफर कोहली के साथ काम करना एक शानदार अनुभव रहा है, ऐसा कभी नहीं हुआ एक संर्घष और कोविड के दौरान भी सब कुछ ठीक रहा है। मैं धन्य महसूस करता हूं।"
उन्होंने आगे कहा, "यह भी अच्छी बात है कि न केवल युवा चेहरों को लीड किया जा सकता है, बल्कि हमारी उम्र के अभिनेता भी शो को कंधा दे सकते हैं।"
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उनके अनुसार, डेली सोप एक टीवी अभिनेता को स्थिरता देता है, लेकिन फिर भी कई लोग ओटीटी की ओर जा रहे हैं। वह कहते हैं, "ऐसा होता है, लेकिन बहुत से लोग ओटीटी की ओर बढ़ रहे हैं और इस स्थिरता की अनदेखी कर रहे हैं। मैं किसी को जज नहीं करना चाहता। लेकिन मेरा मानना है कि टीवी हर घर तक पहुंचता है। और यह एक फायदा है।"
टीवी, ओटीटी और फिल्मों पर जो दिखाया गया है, उसके संदर्भ में कॉमेडी में अंतर के बारे में बात करते हुए वह कहते हैं, "टीवी कॉमेडी थोड़ी जोर से होती है, जबकि ओटीटी और फिल्में अधिक यथार्थवादी होती हैं।"