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Hindi News मनोरंजन टीवी अलविदा अरविंद त्रिवेदी : पांच मिनट के इस सीन से समझिए 'रावण' का असली चरित्र

अलविदा अरविंद त्रिवेदी : पांच मिनट के इस सीन से समझिए 'रावण' का असली चरित्र

एक ऐसा गाना जिसके माध्यम से रावण के किरदार को कम शब्दों और आसान भाषा में समझाया गाया। जानिए इसके बारे में।

arvind trivedi- India TV Hindi Image Source : TWITTER/@DRVISHALGARG3 अरविंद त्रिवेदी 

रामानंद सागर के कालजयी धारावाहिक कहे जाने वाले रामायण में रावण का किरदार निभाकर अमर हुए अरविंद त्रिवेदी का 82 साल की उम्र में निधन हो गया है। अरविंद त्रिवेदी ने रावण जैसे पौराणिक खलनायक का किरदार निभाने के बावजूद इतनी पॉपुलेरिटी हासिल की कि भाजपा ने उन्हें गुजरात के साबरकांठा से बतौर सांसद चुनाव का टिकट दिया और अरविंद त्रिवेदी ने वो चुनाव जीता भी।

आखिर क्या वजह रही कि इतिहास के सबसे बड़े खलनायक के रूप में मशहूर रावण को भारतीय जनता ने इतना सम्मान दिया है जहां राम की बात होती है वहां रावण का भी जिक्र करना लाजमी हो जाता है। 

Image Source : twitter/@Akash23825अरविंद त्रिवेदी 

रामायण और रामचरित मानस के अलावा अगर रावण के चरित्र को अगर आसानी से कहीं समझा जा सकता है तो वो है रामान्द सागर की रामायण। राम रावण युद्ध से एक रात पहले का वो खास गीत जिसे लिखने में रविंद्र जैन को पूरी रामायण को कई बार पढ़ना पड़ा था। इस गीत की दस लाइनें एक गीत के रूप में सजाई गई, राम-रावण के निर्णायक युद्ध से पहले की रात रामायण की मुख्य किरदारों को चरित्र का जो सटीक विश्लेषण किया गया वो वाकई गौर करने लायक है। 

इस गीत में सबसे अहम बात ये रही कि रावण के दस सिरों के साथ साथ जनता ने रावण के कई अन्य रूपों को भी देखा। रावण इस गीत में केवल एक खलनायक नहीं दिखता।  वो युद्ध को लगभग हार चुका एक नायक है।

अपने प्रिय भाई को खो चुका भाई। अपने बेटे की बलि चढ़ा चुका उन्मादी पिता। अपनी सैनिकों के कटते सिरों को देखने को मजबूर सेना नायक। विरोधी सेना में शामिल हो चुके शख्स का असहाय राजा। अपनी पत्नी को असहाय छोड़कर युद्ध में अपनी मौत देख रहा पति। अपनी निरपराधी प्रजा को अनाथ छोड़ने पर मजबूर राजा जिसे पता है कि वो गलत पक्ष में खड़ा है,लेकिन फिर भी मजबूर है।

Image Source : twitter/@IndiaObserversअरविंद त्रिवेदी 

रावण जानता था कि कल क्या होगा। अपनी हार और और मृत्यु को साक्षात समझकर भी युद्ध के मैदान में उतरने को मजबूर और आतुर एक योद्धा जो चाह रहा था कि रोज निरपराधों के कटने मरने से अच्छा है कि जिस ध्येय के चलते ये युद्ध हो रहा है वो पूरा हो जाए। 

ये गीत केवल रावण के द्वंद को नहीं दिखाता। इस गीत में भगवान राम, लक्ष्मण, सीता और मंदोदरी के द्वंद भी दिखाए गए हैं। दरअसल इसी गीत में बतौर मानव रावण का व्यक्तित्व उभर कर नजर आता है। इस चरित्र को जिस दमदार तरीके से अरविंद त्रिवेदी ने जिया और परदे पर उतारा, शायद ही कोई और कर पाता। अरविंद त्रिवेदी जैसे सशक्त अभिनेता जनता के दिलों में अपने किरदार की वजह से  सदा जीवंत रहेंगे। इंडिया टीवी की तरफ से उन्हें श्रद्धांजलि।

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