'जानवर की तरह व्यवहार होता है' पंचायत फेम सुनीता राजवार ने खोली इंडस्ट्री की पोल, भेदभाव पर कही ये बात
सुनीता राजवार के अनुसार, एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में एक आर्टिस्ट को काफी कुछ सहना पड़ता है। जहां लीड एक्टर्स के साथ राजा की तरह व्यवहार होता है, वहीं सपोर्टिंग आर्टिस्ट्स को हर चीज के लिए हाथ फैलाना पड़ता है। उन्हें इज्जत तक नहीं दी जाती।
मनोरंजन जगत से अक्सर आर्टिस्ट्स के साथ होने वाले बुरे बर्ताव की खबरें आती रहती हैं। ऐसे कई एक्टर-एक्ट्रेस हैं, जिन्होंने सेट पर अपने साथ होने वाले गलत व्यवहार पर खुलकर बात की है। पिछले दिनों किरण राव की 'लापता लेडीज' की फूल यानी नितांशी गोयल ने इस पर बात की थी और अब इस लिस्ट में एक और नाम जुड़ गया है। प्राइम वीडियो की चर्चित और सबसे सफल सीरीज में से एक 'पंचायत' में क्रांति देवी का किरदार निभाने वाली सुनीता राजवार ने इंडस्ट्री में आर्टिस्ट्स के साथ होने वाले गलत व्यवहार पर बात की है। सुनीता राजवार के अनुसार, एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में एक आर्टिस्ट को काफी कुछ सहना पड़ता है। जहां लीड एक्टर्स के साथ राजा की तरह व्यवहार होता है, वहीं सपोर्टिंग आर्टिस्ट्स को हर चीज के लिए हाथ फैलाना पड़ता है। उन्हें इज्जत तक नहीं दी जाती।
ज्यादातर एक्टर्स को टाइपकास्ट किया जाता है
सुनीता राजवार ने ब्रूट इंडिया के साथ कान्स फिल्म फेस्टिवल 2024 से बातचीत में सुनीता राजवार ने इंडस्ट्री में सपोर्टिंग एक्टर्स के साथ होने वाले व्यवहार पर खुलकर बात की। सुनीता यहां अपनी फिल्म 'संतोष' को रिप्रेजेंट करने के लिए पहुंची थीं। इस दौरान सुनीता ने कहा- 'इंडस्ट्री में ज्यादातर एक्टर्स को टाइपकास्ट कर दिया जाता है। क्योंकि, मेकर्स के लिए ऐसे में उन्हें किसी भी फिल्म में डालने में आसानी होती है। बहुत सी बार तो एक्टर्स भी इसे अपना लेते हैं, उन्हें भी अपना पेट पालना है और वो नखरे नहीं दिखा सकते। इसलिए वह इसे चुपचाप अपना लेते हैं। ये दर्दनाक है, लेकिन सच है।'
लीड और सपोर्टिंग एक्टर्स के बीच होता है भेदभाव
सुनीता ने आगे लीड और सपोर्टिंग एक्टर्स के बीच सेट पर होने वाले भेदभाव के बारे में भी बात की। अभिनेत्री ने कहा- 'लीड एक्टर्स को सारी सुविधाएं दी जाती हैं, दूसरी तरफ सपोर्टिंग एक्टर्स को हर चीज के लिए हाथ फैलाना पड़ता है। लीड एक्टर्स को जहां उनकी सुविधा और मर्जी के हिसाब से कॉल टाइम दिया जाता है, वहीं सपोर्टिंग एक्टर्स के साथ ऐसा नहीं है। कभी-कभी दूसरों के साथ होने वाला ये भेदभाव उन्हें नीचा महसूस कराता है। हालांकि, मैं जानती हूं कि लीड एक्टर्स को महीने के 30 दिन काम करना होता है, कभी-कभी तो दिन के 24 घंटे और सातों दिन वे काम पर लगे रहते हैं। लेकिन, ये भेदभाव बुरा है।'
दूसरों को नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं
शूटिंग में किसी भी समय पर बुला लेने पर सुनीता ने कहा- 'अगर आपको पहले से पता है कि आप किसी आर्टिस्ट के साथ अभी शूट नहीं करने वाले हैं तो उन्हें बाद में बुला लीजिए, पहले से बुलाकर घंटों बैठाए रखने का क्या मतलब है। इससे पता चलता है कि आप दूसरों को नीचा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। लीड एक्टर्स को पैम्पर किया जाता है। उनके कमरे भी साफ होते हैं और उनके पास फ्रिज, माइक्रोवेव सब होता है। वहीं हमारे जैसे कलाकारों को गंदा कमरा दिया जाता है, वहां 3-4 लोगों को बैठा दिया जाता है। छत टूटी, बाथरूम साफ नहीं, बेडशीट भी गंदी और ना ही किसी तरह की सुविधा, ये सब देखकर बुरा लगता है।'
एक्टिंग छोड़ने का बना लिया था मन
सुनीता राजवार ने बताया कि कलाकारों के बीच होने वाले इस भेदभाव को देखकर तो उन्होंने एक्टिंग छोड़ने तक का मन बना लिया था। उन्होंने अपना CINTAA कार्ड तक कैंसिल कर दिया था। हालांकि, बाद में उन्होंने अपना फैसला बदल लिया। सुनीता एक बार फिर 'पंचायत 3' में नजर आने वाली हैं। इस सीरीज में वह क्रांति देवी के किरदार में हैं, जो प्रधान जी और मंजू देवी के प्रतिद्वंद्वी बनराकस की पत्नी है। सीरीज का नया सीजन 28 मई से प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम होगा।