Video: 'गायकी के चांद' एसपी बालासुब्रमण्यम, बॉलीवुड में हमेशा छाई रहेगी इनकी आवाज़
अपनी मखमली आवाज से लोगों का दिल जीतने के कारण ‘गायकी का चांद’ कहे जाने वाले एसपी बालासुब्रमण्यम को आज हर कोई याद कर रहा है।
मशहूर गायक एसपी बालासुब्रमण्यम ने पांच दशक लंबे अपने करियर में 16 भाषाओं के 40,000 से ज्यादा गानों को अपनी आवाज दी और छह बार राष्ट्रीय पुरस्कारों के विजेता भी रहे। उन्हें 2001 में पद्म श्री और 2011 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। आज उनकी बर्थ एनिवर्सिरी है। उनका जन्म 4 जून 1946 को हुआ था। कोरोना वायरस संक्रमण से दो महीने से अधिक समय तक जूझने के बाद पिछले साल 25 सितंबर को उनका निधन हो गया था।
अपनी मखमली आवाज से लोगों का दिल जीतने के कारण ‘गायकी का चांद’ कहे जाने वाले एसपी बालासुब्रमण्यम को आज हर कोई याद कर रहा है। उनके गाने आज भी लोगों के जहन में ताजा हैं और ताउम्र याद रहेंगे। वह हिंदी सिनेमा में रोमांस, जोशीले और मस्ती भरे गानों के लिए हमेशा याद किए जाएंगे।
बालासुब्रमण्यम ने हिंदी सिनेमा में अपने करियर की शुरुआत 1981 में कमल हासन पर फिल्माए गए गाने ”एक दूजे के लिए” को अपनी आवाज देकर की। इसके बाद उन्होंने 1990 के दशक और बाद में भी कई हिंदी गानों को अपनी आवाज दी, जिनमें ”मैंने प्यार किया” और ”रोजा” आदि प्रमुख हैं।
हालांकि बालासुब्रमण्यम ने ज्यादातर गाने तमिल और तेलुगु फिल्मों में ही गाए हैं, लेकिन उन्होंनें 1980 और 1990 के दशक में बॉलीवुड के रोमांटिक गीतों को अपनी आवाज दी। उन्होंने आखिरी बार हिंदी सिनेमा में शाहरुख खान की 2013 में आई ”चेन्नई एक्सप्रेस” में एक गाने को अपनी आवाज दी थी।
बालासुब्रमण्यम ने बॉलीवुड में सलमान खान के अनेक गीतों को स्वर दिया और 1990 के दशक में मानो वह सलमान की आवाज ही बन गये थे। ‘मेरे रंग में रंगने वाली’, ‘पहला पहला प्यार है’, ‘मौसम का जादू’ और ‘हम आपके हैं कौन’ इनमें से कुछ हैं। छह बार के राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता बालासुब्रमण्यम को “ एक दूजे के लिए“ गीत के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था। यह हिंदी फिल्म जगत में उनका पहला गाना था।
साल 1985 में आई “सागर“ फिल्म के “ सच मेरे यार“ और “ओ मारिया“ गानों ने उन्हें काफी लोकप्रियता दिलाई। “सागर“ के बाद, 1989 में नायक के तौर पर सलमान खान की पहली फिल्म “मैंने प्यार किया“ में बालासुब्रमण्यम ने कई गानों को अपनी आवाज दी।
“कबूतर जा जा जा“,“आते जाते हंसते गाते“,“ आजा शाम होने आई“,“ मेरे रंग में रंगने वाली“,“ मैंने प्यार किया“, और दिल दीवाना“ जैसे गाने 1990 के दशक में पले बढ़े बच्चों की बचपन की यादों का अब भी हिस्सा है।
एस पी बालासुब्रमण्यम का पूरा नाम श्रीपति पंडिताराध्युला बालासुब्रमण्यम था। मोहम्मद रफी के गानों से प्रभावित बालासुब्रमण्यम ने हजारों सदाबहार गाने गाए । सभी तरह के गानों को उन्होंने अपनी आवाज दी, चाहे खुशी के नगमे हों या दर्द भरे गीत। उन्होंने 1966 में पहला गीत गाया था। उन्होंने संगीत क्षेत्र में अपना मुकाम तब बनाया जब टी एम सुंदरराजन और पीबी श्रीनिवास जैसे गायकों का दबदबा था। वर्ष 1969 में एमजीआर अभिनीत ‘अदिमाईपेन’ में उनका गाया ‘अयराम निलावे वा’ बहुत लोकप्रिय रहा और उसके बाद वह बुलंदियों को छूते गए ।
(PTI इनपुट के साथ)