पद्म पुरस्कार से सम्मानित मशहूर वायलिन वादक टी.एन. कृष्णन का मंगलवार को चेन्नई में निधन हो गया है। वह 92 साल के थे। कृष्णन का जन्म सन 1928 में केरल के त्रिप्पुनितुरा में हुआ था। उनके पिता का नाम ए. नारायण अय्यर और मां अम्मिनी अम्माल थीं। सोमवार शाम को दिग्गज संगीतकार ने अपना शरीर त्याग दिया।
कृष्णन के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि उनके निधन से संगीत की दुनिया में एक बहुत बड़ा स्थान रिक्त हो गया है।
उन्होंने अपने ट्वीट किया, "प्रख्यात वायलिन वादक टीएन कृष्णन के निधन से संगीत जगत में एक बहुत बड़ा खालीपन आ गया है। उनकी रचनाओं ने भावनाओं की एक विस्तृत श्रेणी और भिन्न संस्कृति को बड़ी ही खूबसूरती से उकेरा है। वह युवा संगीतकारों के एक उत्कृष्ट गुरु भी थे। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना। शांति।"
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अपनी इस कला में वह बचपन से ही पारंगत थे। उन्होंने कई पीढ़ियों के दिग्गज कलाकारों संग अपनी प्रस्तुति दी है।
उन्होंने अपने पिता से संगीत की तालीम ली और बाद में अलेप्पी के. पार्थसारथी ने उनकी शिक्षा की कमान संभाली, जो संगीत के एक बहुत बड़े ज्ञाता और अरियाकुडी रामानुज अयंगर के शिष्य रहे हैं। बाद में वह सेमंगुड़ी श्रीनिवास अय्यर संग जुड़ गए।
कृष्णन कर्नाटक संगीत के कई दिग्गज जैसे कि अरियाकुडी रामानुज अयंगर, अलथुर ब्रदर्स, चेमबाई वैद्यनाथ भगवतार, एम.डी. रामनाथन और महाराजपुरम विश्वनाथ अय्यर सहित कई अन्य के साथ कॉन्सर्ट में शामिल रह चुके हैं।
साल 1974 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी और 1980 में संगीत कलानिधि से सम्मानित किया गया। भारत सरकार ने कृष्णन को सन 1973 में पद्मश्री और 1992 में पद्मभूषण से सम्मानित किया।
उन्हें साल 1999 में चेन्नई के द इंडियन फाइन आर्ट्स सोसाइटी द्वारा संगीत कलसिकमणि पुरस्कार मिला।
इनपुट आईएएनएस