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Hindi News मनोरंजन संगीत Video: कविता चोरी के आरोपों को मनोज मुंतशिर ने किया खारिज, वीडियो शेयर कर दिया जवाब

Video: कविता चोरी के आरोपों को मनोज मुंतशिर ने किया खारिज, वीडियो शेयर कर दिया जवाब

कवि और गीतकार मनोज मुंतशिर पर गाने को कॉपी करने का आरोप लगा है, जिसका अब उन्होंने जवाब दिया है।

Manoj Muntashir reaction on allegations of stealing poetry shares video - India TV Hindi Image Source : TWITTER: @MANOJMUNTASHIR Video: कविता चोरी के आरोपों को मनोज मुंतशिर ने किया खारिज, वीडियो शेयर कर दिया जवाब 

कवि व गीतकार मनोज मुंतशिर सुर्खियों में हैं। उन पर गाने को कॉपी करने का आरोप लगा है। हालांकि, राइटर ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने यूट्यूब पर एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें उन पर लगे आरोपों से जुड़े हर सवाल का जवाब दिया है। 

इस वीडियो की शुरुआत में मनोत मुंतशिर उन लोगों का आभार व्यक्त कर रहे हैं, जिन्होंने उनके नाम और काम की इतनी चर्चा की। उन्होंने कहा- 'मैं उस दिन का सपना देखता था, जब लिखने वाला इस देश में बिकने वाला समाचार बन जाए। आज मेरी किताब 'मेरी फितरत है मस्ताना' पर इतनी बात हो रही है कि मेरी खुशी का अंदाजा कोई नहीं लगा सकता। देश-विदेश में मैंने अपनी किताब के साथ भ्रमण किया, लेकिन इतना शोर कभी नहीं मचा।'

सोशल मीडिया पर सवाल पूछा जा रहा है कि मनोज ने एक अंग्रेजी कविता का अनुवाद करके अपने नाम से छपवा दिया है? इसका जवाब देते हुए गीतकार बोले- 'सिर्फ एक! ये बात तो मेरी हर कविता हर गीत के बारे में कही जा सकती है। मैंने 400 से ज्यादा फिल्मी और गैर फिल्मी गीत लिखे हैं। जिस किताब की बात की जा रही है, मेरी फितरत है मस्ताना, उसी में 200 पन्ने और सैकड़ों रचनाएं हैं। अनगिनत बार देश के सबसे बड़े टीवी शोज पर कविताएं सुना चुका हूं, उनकी गिनती भी सैकड़ों में होगी। इतना बड़ा पहाड़ है रचनाओं का, आपके सामने और आप सिर्फ 4 लाइनें ढूंढ पाएं। वो भी उस कविता की, जिसका मेरे जीवन में कोई योगदान ही नहीं है। मुझे कॉल करना, तेरी मिट्टी थोड़ी है, तेरी गलियां थोड़ी है, बाहुबली थोड़ी है, इस कविता के मेरे जीवन में होने या न होने से क्या फर्क पड़ता है। ये एकदम ऐसे ही है, जैसे किसी करोड़पति पर आप 200 रुपये रिश्वत लेने का आरोप लगाएं। इल्जाम भी ऐसा होना चाहिए, कि विश्वनीय लगे। इस पर तो हंसी आती है। लेकिन ये कहना भी जरूरी है कि मेरी कोई भी रचना शत प्रतिशत 100 फीसदी ऑरिजनल नहीं है। क्योंकि ऑरिजनल भारतवर्ष में दो रचनाएं हैं, वाल्मीकि की रामायण और वेद व्यास की महाभारत। इसके अलावा जो कुछ भी लिखा गया है, सब घूम फिरकर इन्हीं दो महाग्रंथों के प्रेरित है।'

'मुझे कॉल करना' पर रॉबर्ट लेवरी की छाप है? इस सवाल पर मनोज ने कहा, 'बिल्कुल है। और सिर्फ रॉबर्ट लेवरी की नहीं, श्री केदारनाथ सिंह, वर्द्स्वर्थ, एमिली डिकिंसन, पाब्लो नेरूदा और सिल्विया प्लाथ की भी छाप है मेरी कविताओं पर और इस कविता पर भी। ये वो लेखक हैं, जिनको पढ़कर मैं बड़ा हुआ हूं। मेरी काव्यात्मक चेतना पर इनका बड़ा गहरा प्रभाव है। मैं कुछ भी लिखूं, मेरे शब्दों से ये सभी और अनगिनत और भी लेखक झांकने लगते हैं, जिनको मैंने पढ़ा है। मैंने खुद जनता के बीच जाकर 100 बार कहा कि मेरे लिखे हुए सुपरहिट गीतों पर हिंदी, उर्दू कविता के दिग्गजों का गहरा प्रभाव है। बिना किसी के सवाल पूछे मैंने सैकड़ों मंचों से बोला कि तेरी गलियां का अंतरा मोमिन के एक शेर से इंस्पायर था। "तुम मेरे पास होते हो गोया, जब कोई दूसरा नहीं होता।" मैं ये शेर न जानता तो कभी न लिख पाता कि 'सरगोशी सी है ख्यालों में, तू न हो, फिर भी तू होता है।' मेरे एक और बहुत कामयाब गीत तेरे संग यारा की पंक्तियां कहीं किसी भी गली से जाऊं मैं, तेरी खुश्बू से टकराऊं मैं, फिराक गोरखपुरी के एक शेर से आती है। कोई एक दो रचनाएं थोड़ी हैं कि मैं गिनवा दूं, जो कुछ भी मैंने लिखा है, जितना कुछ भी लिखा है, वो कहीं न कहीं से इंस्पायर्ड है, क्योंकि लिखने का कोई दूसरा तरीका होता ही नहीं है। आपसे पहले जो लिखा जा चुका है, वही तय करता है कि आप क्या लिखेंगे। मैंने हजार बार ये बात दोहराई है कि अच्छा लिखने के लिए अच्छा पढ़ना जरूरी है। हम जो पढ़ेंगे, वही तो लिखेंगे। मैं अपने करियर की शुरुआत में दूसरों को श्रेय देने से नहीं डरा। अपनी लाइमलाइट शेयर करने से नहीं डरा तो अब क्यों डरूंगा।'

मनोज मुंतशिर ने ये भी कहा कि कविता बहुत बारीकी का काम है। कविता की रचना प्रक्रिया समझने के लिए भी खुद कवि होना पड़ता है। जो भाव या अभिव्यक्तियां पब्लिक डोमेन में हो, उन पर कोई भी लेखक अपनी तरह से लिख सकता है। उन्होंने बोला कि 'वंदे मातरम' बंकिमचंद्र जी की रचना है, लेकिन इतनी प्रसिद्ध हुई कि पब्लिक डोमेन में आ गई। एआर रहमान के गीत 'मां तुझे सलाम' में 'वंदेमातरम' का हुकलाइन में सीधा अनुवाद किया गया है। इसमें कुछ गलत नहीं है। 

कवि ने आगे कहा कि 'मेरा गीत तेरी मिट्टी अनेकों भाषाओं में ट्रांसलेट हो चुका है, लेकिन शायद ही कहीं मेरा नाम लिखा गया हो। मुझे इस बात की कोई शिकायत नहीं है, बल्कि मुझे खुशी है कि मैंने कुछ लिखा जो पब्लिक डोमेन में आ गया। ऐसे ही रॉबर्ट लेवरी की कविता पब्लिक डोमेन में है, मैंने उसे अपने अंदाज और अपने तरीके से व्यक्त किया और इसका मुझे हक है। 'मुझे कॉल करना' दुनिया का सबसे कॉमन एक्सप्रेशन है। इसे दुनिया में अलग भाषाओं में कहते हैं। मैंने तेरी मिट्टी के लिए भी बगैर किसी से पूछे कहा है कि ये कैफी आजमी के लिखे हुए फिल्म हकीकत के गीत कर चले हम फिदा से प्रेरित है। 

ऐसा कहा जा रहा है कि तेरी मिट्टी 2005 के एक पाकिस्तानी गीत की हुबहू नकल है। इंटरनेट पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें एक पाकिस्तानी गायिका ये गीत गा रही है। इस पर सफाई देते हुए मनोज ने कहा कि जिस गायिका का जिक्र किया जा रहा है, वो पाकिस्तानी नहीं, बल्कि हमारे हिंदुस्तान की हैं। गीता रावरी। बहुत गुणी लोकगायिका है। ये वीडियो 18 जून 2020 को अपलोड किया गया था और हमारा गीत  2019 को रिलीज हुआ था।