मुंबई: बॉलीवुड के मशहूर और दिग्गज संगीतकार खय्याम का 92 साल की उम्र में निधन हो गया। खय्याम लंबे वक्त से बीमार चल रहे थे और मुंबई के सुजॉ़य हॉस्पिटल में 8 अगस्त से एडमिट थे। सोमवार की शाम से ही उनकी हालत नाजुक हो गई थी और डॉक्टर्स उनकी निगरानी कर रहे थे, रात के करीब साढ़े 9 बज खय्याम इस दुनिया से हमेशा के लिए रुख्सत हो गए। कार्डियक अरेस्ट उनकी मौत की वजह बना। जैसे ही उनके निधन की खबर सामने आई बॉलीवुड में शोक की लहर दौड़ गई। बता दें, खय्याम का पूरा नाम मोहम्मद जहूर खय्याम हाशमी था, लेकिन बॉलीवुड में उन्हें खय्याम नाम से जाना गया।
खैय्याम ने 'कभी कभी' और 'उमराव जान' जैसी फिल्मों में दिये संगीत के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड भी अपने नाम किया। साल 1947 में खैय्याम ने फिल्मी करियर की शुरुआत की। पहली बार खैय्याम ने फिल्म 'हीर रांझा' के लिए संगीत दिया। लेकिन उन्हें उपलब्धि मोहम्मद रफ़ी के गाने 'अकेले में वह घबराते तो होंगे' से मिली। फिल्म 'शोला और शबनम' ने उन्हें काफी लोकप्रिय बना दिया।
साल 2011 में खय्याम को पद्मभूषण से भी सम्मानित किया गया था।
खय्याम ने 'कभी कभी मेरे दिल में खयाल आया है', 'मैं पल दो पल का शायर हूं' जैसे गानों की धुनें बनाकर इन गानों को अमर कर दिया। इसके अलावा उन्होंने फुटपाथ, गुल बहार, फिर सुबह होगी, शगुन, आखिरी खत, त्रिशूल, नूरी, थोड़ी सी बेवफाई, चंबल की कसम, खानदान और रजिया सुल्तान जैसी सुपरहिट फिल्मों के गानों को भी संगीत से संवारा था। आज वो हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनके संगीत सदियों तक लोगों के जेहन में अमर रहेंगे।