सुरे के बादशाह कुमार सानू आज अपना 64वां जन्मदिन मना रहे हैं। सिंगर ने कड़ी मेहनत से बॉलीवुड में अपनी एक अलग पहचान बनाने में सफलता हासिल की। लेकिन उनके लिए ये सफर आसान नहीं था। 20 अक्टूबर, 1957 को कोलकाता में जन्मे कुमार सानू के पिता पाशुपति भट्टाचार्य एक संगीतकार थे। कुमार ने संगीत के गुण अपने पिता से सीखे। वो किशोर कुमार को अपना आदर्श मानते हैं और उन्हीं के रास्ते पर चलते हुए अपनी संगीत की कला को जारी रखे हुए हैं। कुमार सानू ने हिन्दी सिनेमा में ऐसा स्थान बनाया कि उन्हें दूसरा किशोर कुमार कहा जाता है।
बॉलीवुड का सफर
ग्रेजुएशन खत्म करने के बाद कुमार सानू ने स्टेज शो करने शुरू कर दिए थे। इसी बीच 1987 में उनकी किस्मत के सितारे चमके और मशहूर गायक जगजीत सिंह ने उनका गाना सुनकर उन्हें फिल्मों में ब्रेक दिया। फिल्म 'आंधियां' के साथ कुमार सानू ने अपने करियर की शुरुआत की। इस दौरान उनकी मुलाकात गीतकार कल्याणजी और आनंदजी से हुई जिन्होंने कुमार नाम बदलने की सलाह दी। यहीं से कुमार के करियर की शुरुआत हुई।
कुमार सानू को असली पहचना साल 1990 में आई फिल्म 'आशिकी' से मिली। इस मूवी में कुमार सानू की तरफ से गाए गाने इतने हिट हुए कि सिंगर सफतला के शिखर पर पहुंच गए। इसके बात उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और 350 से भी ज्यादा फिल्मों में अपनी आवाज दी। कुमार सानू ने एक दिन में 28 गाने रिकॉर्ड कर अपना नाम 'गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड' में भी दर्ज करवाया है। अब तेरे बिन जी लेंगे हम, मेरा दिल भी कितना पागल है, तुम्हें अपना बनाने की कसम खाई है, सोचेंगे तुम्हें प्यार करें की नहीं जैसे गानें कई गानों को लोग आज भी पसंद करते हैं।