Vikrant Rona Movie Review: सस्पेंस... सस्पेंस... और सस्पेंस के बीच फंस गई 'विक्रांत रोणा', दिखा किच्चा सुदीप का स्वैग
Vikrant Rona Movie Review: किच्चा सुदीप की फिल्म 'विक्रांत रोणा' बड़े पर्दे पर रिलीज हो चुकी है, यह एक कन्नड़ फिल्म है जिसे हिंदी में डब किया गया है।
कन्नड़ सुपरस्टार किच्चा सुदीप की फिल्म 'विक्रांत रोणा' आज बड़े पर्दे पर रिलीज हो गई है, लंबे समय से इस फिल्म को लेकर चर्चा थी। ये फिल्म 3डी में रिलीज की गई है, क्या ये फिल्म पैसा वसूल है? क्या हमें इसे देखना चाहिए, इन सब सवालों के जवाब आपको इस रिव्यू में मिल जाएंगे। साउथ फिल्में देखने के आप शौकीन हैं तो आपने देखा होगा कि वहां ऐसी सस्पेंस फिल्में बनती हैं जिसका अंत आप सोच भी नहीं सकते हैं, कई बार वो क्लाईमैक्स इतना शानदार होता है कि हम हैरान रह जाते हैं वहीं कई बार ऐसा होता है कि पूरी फिल्म हमें अच्छी लगती है मगर सस्पेंस ऐसा निकलकर आता है कि हम माथा पीट लेते हैं। ये वाली फिल्म कैसी है? क्या इस सस्पेंस थ्रिलर फिल्म का क्लाईमैक्स आपको हैरान करेगा या नहीं, ये हम आपको बताएंगे।
कहानी
ये कहानी एक ऐसे गांव की है जहां लोगों में ब्रह्मराक्षस का भय है, एक भूत मंदिर है जो कभी नहीं खुलता है। एक बच्चा है जो 28 साल पहले गायब हुआ था और अब लौटकर आया है, एक पुलिसवाला है जिसकी पोस्टिंग उस गांव में तब होती है जब उससे पहले वाले इंस्पेक्टर की हत्या करके गांव के कुएं में लटका दिया जाता है। नए इंस्पेक्टर का नाम है विक्रांत रोणा जिसका रोल किया है सुदीप किच्चा ने। गांव में कई बच्चे गायब हो चुके हैं, हर गायब बच्चे की हत्या हो जाती है और उसके मुंह पर अजीब सी पेंटिंग बनी होती है। विक्रांत रोणा गांव में अपनी बच्ची के साथ आता है और इन हत्या के पीछे की वजह जानने की कोशिश करता है।
फिल्म में सस्पेंस है सस्पेंस और सस्पेंस है... और ऐसे ऐसे सस्पेंस हैं कि देखकर आप हैरान रह जाएंगे। आपको समझ में नहीं आएगा ये हो क्या रहा है? फिल्म का क्लाईमैक्स बहुत अच्छा है और यहां इसे पूरे नंबर मिलेंगे। लेकिन फिल्म क्लाईमैक्स तक पहुंचने में जो कन्फ्यूजन पैदा करती है वो कई बार बेवजह का लगता है और यहां तक की क्लाईमैक्स में जब हमें सच्चाई पता चल भी जाती है फिर भी हमें कुछ सवालों के जवाब नहीं मिल पाते हैं। जैसे संजू 28 साल बाद घर वापस आता है तो लोग तुरंत कैसे मान लेते हैं कि वो संजू ही है। वो घर से क्यों भागकर जाता है, विदेश में कैसे रहा, कैसे पढ़ाई की ऐसे कई सवाल गांव के लोगों के मन में क्यों नहीं आते हैं इस पर भी हैरानी होती है।
एक्टिंग
एक्टिंग की बात करें तो फिल्म में किच्चा सुदीप का स्वैग नजर आया है। वो अपने स्टाइल और एक्टिंग से दिल जीत लेते हैं। संजू के रोल में निरूप भंडारी और पन्ना के रोल में नीता अशोक भी जंची हैं। जैकलीन फर्नांडिस सिर्फ ग्लैमर के लिए फिल्म का हिस्सा हैं, उनके होने न होने से फिल्म की कहानी पर कोई फर्क नहीं पड़ता।
टेक्निकल पक्ष की बात करें तो फिल्म का वीएफएक्स और थ्रीडी वर्क अच्छा है। विजुअल्स शानदार लगते हैं। फिल्म में इमोशन हैं, ड्रामा है, एक्शन है और सस्पेंस है। फर्स्ट हाफ में जहां फिल्म प्लाट बनाती है वहीं सेकेंड हाफ में एक्शन होता है। इस फिल्म को 15 करोड़ के बजट में बनाने का प्लान था, लेकिन बाद में ये फिल्म 95 करोड़ के बजट में तैयार हुई है।
निर्देशन
फिल्म का निर्देशक अनूप भंडारी ने किया है, फिल्म को डार्क फैंटसी एडवेंचर हॉरर फिल्म बनाने की कोशिश अच्छी थी, इससे पहले ऐसा हमने 'तुम्बाड' में देखा था, लेकिन निर्देशन में कमी नजर आती है। फिल्म के स्क्रीनप्ले पर और बेहतर काम करने की जरूरत थी।
देखें या नहीं?
अगर आप साउथ फिल्मों के शौकीन हैं, और सस्पेंस थ्रिलर फिल्में आपको पसंद आती हैं तो ये फिल्म आपको अच्छी लगेगी।