Vanvaas Review: कलयुग की रामायण है नाना पाटेकर और उत्कर्ष शर्मा की 'वनवास', देखकर नहीं थमेंगे आंसू
Vanvaas Movie Review: नाना पाटेकर, उत्कर्ष शर्मा और सिमरत कौर स्टारर 'वनवास' सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। गदर 2 के डायरेक्टर अनिल शर्मा अपनी नई फिल्म के साथ फिर छा गए हैं। चलिए बताते हैं आपको कि अनिल शर्मा की ये नई फिल्म कैसी है।
Vanvaas Movie Review: 2023 में अनिल शर्मा ने सनी देओल के साथ मिलकर 'गदर 2' से जबरदस्त गदर काटा था। फिल्म को दर्शकों से वो रिस्पॉन्स मिला, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी। जहां गदर में दो प्रेमियों की कहानी दिखाई गई, वहीं गदर 2 में एक बाप-बेटे के बीच के प्यार ने दर्शकों का दिल जीता। अनिल शर्मा अपनी साफ-सुथरी कहानियों से अक्सर दर्शकों का दिल जीतते आए हैं और अब एक बार फिर वह दर्शकों के बीच लौटे हैं और इस बार फैमिली ड्रामा लेकर। उनके निर्देशन में बनी 'वनवास' आज यानी 20 दिसंबर को सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। जिसमें नाना पाटेकर, उत्कर्ष शर्मा और सिमरत कौर लीड रोल में हैं।
कहानी
नाना पाटेकर, उत्कर्ष शर्मा स्टारर 'वनवास' परिवारिक रिश्तों की एक दिल छू लेने वाली कहानी है। फिल्म की कहानी आज के उस दौर पर सेट की गई है, जहां परिवार को नहीं बल्कि खुद को प्राथमिकता दी जाती है और इससे रिश्तों में लगातार दूरियां बढ़ती जा रही हैं। अनिल शर्मा ने बहुत ही खूबसूरती के साथ रिश्तों की भावनात्मक पेचीदगियों को दर्शकों के सामने परोसा है। वनवास की कहानी नाना पाटेकर के किरदार के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसे उसके बेटों ने बहुत ही चालाकी के साथ बेघर कर दिया है। वह बुढ़ापे की चुनौतियों से जूझ रहे हैं, उनकी याद्दाश्त भी ठीक से काम नहीं कर रही। मगर उन्हें उम्मीद है कि उनका परिवार उन्हें लेने आएगा। इसी बीच उनकी जिंदगी में वीरू की एंट्री होती है, जो उन्हें उनके बेटों और परिवार से मिलाने की कोशिश करता है। वनवास की कहानी में ह्यूमर, टकराव और इमोशन्स को बहुत ही खूबसूरती से पिरोया गया है। वनवास की कहानी भावनाओं पर तो फोकस करती है, लेकिन इसे जरूरत से ज्यादा ड्रामेटिक नहीं बनाता और आंसू को असली महसूस कराती है। कहीं-कहीं इसे देखकर अमिताभ बच्चन और हेमा मालिनी की 'बागबान' भी याद आ जाती है।
अभिनय
फिल्म में नाना पाटेकर ने एक ऐसे परिवार के मुखिया की भूमिका निभाई है, जो उन्हें बोझ समझने लगता है और किसी भी तरह से उनसे पीछा छुड़ाना चाहता है। वनवास में उनका अभिनय दिल को छू लेने वाला है। अगर इसे नाना पाटेकर के करियर की सबसे बेहतरीन परफॉर्मेंस कहें तो गलत नहीं होगा। उनका अभिनय बिल्कुल असली, भावुक और दिल को छू लेने वाला है। वहीं, उनके साथ उत्कर्ष शर्मा भी शानदार हैं। उन्होंने अपनी सादगी भरी मगर दमदार एक्टिंग से सभी का ध्यान खींच लिया है। इसके अलावा सिमरत कौर भी अपने रोल में फिट बैठती हैं।
डायरेक्शन और लेखन
फिल्म के लेखक और डायरेक्टर अनिल शर्मा हैं और उनका डायरेक्शन इन पलों में जान डाल देता है। फिल्म के एक-एक सीन को उन्होंने जिन इमोशन्स के साथ पिरोया है, वही इसकी जान है और यही फिल्म की कहानी शुरू से आखिर तक अपने साथ बांधे रखती है। फिल्म की सिनेमेटोग्राफी परिवार के माहौल को बहुत ही खूबसूरती से दिखाती है, जो फिल्म की व्यक्तिगत भावनाओं को और बढ़ा देती हैं। खासतौर पर फिल्म में इस्तेमाल किया गया बैकग्राउंड म्यूजिक पूरी तरह से कहानी के भावनात्मक उतार-चढ़ाव से मेल खाता है, जिससे अनुभव और भी गहरा हो जाता है।
फैसला
"वनवास" सिर्फ एक फिल्म नहीं बल्कि समाज का आईना है, जो इंसानी रिश्तों की नाजुकता और ताकत को दिखाती है। इस दिल को छू लेने वाली फिल्म की खासियत ये है कि इसे आप अपने दोस्तों और परिजनों के साथ बिना किसी हिचक के देख सकते हैं, क्योंकि इसमें कोई ऐसे सीन नहीं हैं जिन्हें देखते वक्त हिचकिचाहट महसूस होती हो। अगर एक चीज जो फिल्म में अच्छी हो सकती थी, तो वह है इसका सेकंड हाफ, जिसकी स्पीड कुछ सींस में थोड़ी लंबी लगने लगती हैं। इसे छोड़ दिया जाए तो यह एक अच्छी फिल्म है, जिसे बच्चों-बूढ़ों के साथ बैठकर देखा जा सकता है।