Double XL Review: 'सपने बड़े होने चाहिए ना की शरीर का साइज...', हल्की साबित हुई 'डबल एक्सएल'
निर्देशक सतराम रामानी की 'डबल एक्सएल' (Double XL) एक बहुत ही जरूरी फिल्म कह सकते हैं। हमारा मानना है कि हर फिल्म का एक अलग अप्रोच होता है और डबल एक्सएल भी बॉडी शमिंग के इस मुद्दे को डील करते हुए हल्के-फुल्के तरीके से लोगों के जहन में पहुंचती है।
Double XL Hindi Review: बॉलीवुड एक्ट्रेस हुमा कुरैशी और सोनाक्षी सिन्हा (Sonakshi Sinha) की फिल्म 'डबल एक्सएल' (Double XL) आज सिनेमाघरों में रिलीज हुई है। सपना बड़ा होना चाहिए ना की शरीर का साइज... समाज इस सोच से अब तक बाहर नहीं निकल पाया है। आए दिन खास तौर पर लड़कियों की रूपरेखा को लेकर बयानबाजी होती रहती है। ऐसे में फिल्मों के जरिए कई बार इस मुद्दे को उठाया गया है इससे पहले आयुष्मान खुराना और भूमि पेडनेकर की 'दम लगा के हईशा' भी हमने देखी थी।
फिल्म की कहानी
कहानी है दो ओवरवेट लड़कियों की जो अलग-अलग आती है और कहीं ना कहीं उनका रास्ता एक हो जाता है और दोनों मिलकर अपना आत्मविश्वास ढूंढती हैं। राजश्री यानी हुमा कुरैशी को स्पोर्ट्स प्रेजेंटर बनना है तो फैशन डिजाइनर सायरा यानी सोनाक्षी सिन्हा को अपना लेबल लांच करना है जिसका आईडिया बाकियों से अलग है। वह हर तबके के लिए कपड़े बनाना चाहती है जहां साइज़ कोई मायने नहीं रखता है।
हुमा कुरैशी और सोनाक्षी सिन्हा ने अच्छा काम किया है। खास तौर पर हुमा जो कि फ्लालेस एक्टिंग में माहिर है कई बार उन्हें सिर्फ किरदार के तौर पर हम देखते हैं और भूल जाते हैं कि यह हुमा कुरैशी है और शायद यही एक अदाकारा की खासियत होती है। सोनाक्षी के लिए भी कमर्शियल फिल्मों में अपनी जगह बनाने के बावजूद इस तरह का अटेम्प्ट करना और उसे बखूबी निभाना काबिले तारीफ है। जहीर इकबाल और माहत राधवेंद्र ने अच्छा साथ दिया है।
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फिल्म में डल मोमेंट्स नहीं हैं, नाच गाना भी है, मजेदार डायलॉग्स भी हैं। मगर जो पकड़ फिल्म की शुरुआत में होनी चाहिए वह सेकंड हाफ में आती है। डबल एक्सएल की एंडिंग प्रिडिक्टेबल है और राइटिंग में कमी नजर आती है। जो कि इस साल का सबसे बड़ा ड्रॉबैक है।
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