Photograph Movie Review: आपके धैर्य की परीक्षा लेती है नवाजुद्दीन सिद्दीकी और सान्या मल्होत्रा की फ़िल्म 'फ़ोटोग्राफ़'
जानें कैसी बनी है नवाजुद्दीन सिद्दीकी और सान्या मल्होत्रा की फोटोग्राफ...
रितेश बत्रा की फ़िल्म ‘फ़ोटोग्राफ़’ एक फ़टाग्राफ़र की है जो मुंबई के गेटवे ऑफ़ इंडिया में लोगों की तस्वीर खींचकर पैसे कमाता है। वो सबको ये कहता है कि आपके चेहरे पर ये धूप दोबारा ऐसे नहीं पड़ेगी दोबारा ये हवाएँ इस तरह आपके बाल नहीं उड़ाएँगी, ये सब एक तस्वीर में क़ैद कर लीजिए। ऐसे ही एक दिन वी एक यंग लड़की मिलोनी (सान्या मल्होत्रा) को तस्वीर खिंचवाने के लिए राज़ी करता है। इन दोनों की केमिस्ट्री और प्यार के ठंडे एहसास तले ये फ़िल्म चलती है।
कुछ ऐसा होता है कि रफ़ीक मिलोनी को अपनी दादी से अपनी मंगेतर के तौर पर मिलवाता है। अलग धर्म, अलग रंग, रूप और अलग पढ़ाई होने के बाद दोनों को ये एहसास होने लगता है कि दोनों में बहुत कुछ एक जैसा है। दोनों का नेचर और इमोशन छिपाने का तरीक़ा भी एक जैसा है।
रितेश ने हमें लंच बॉक्स जैसी फ़िल्में दी हैं, ये फ़िल्म भी हमें लंच बॉक्स वाली फ़ीलिंग ही देती है, लेकिन ये फ़िल्म हमें बाँधकर रखने में नाकामयाब हुई है। ये फ़िल्म आपके धैर्य की परीक्षा लेगी।
मिलोनी और रफ़ीक जब मिलते हैं तो शांत रहते हैं, दोनों एक दूसरे बारे में क्या सोच रहे हैं ये निर्देशक ने हम पर छोड़ दिया है।
फ़िल्म के बैक्ग्राउंड में म्यूज़िक से ज़्यादा रियल आवाज़ें इस्तेमाल की गयी हैं, मुंबई की बारिश, चाय और पकोड़े आपको रोमांस का हल्का अहसास कराएँगे। निर्देशक ने फ़िल्म का क्लाइमैक्स भी ओपन रखा है जिसे आप अपने हिसाब से गढ़ सकते हैं। हालाँकि निर्देशक ने हिंट ज़रूर दिया है की फ़िल्म का अंत कैसा होगा।
ये फ़िल्म हद से ज़्यादा स्लो है और किसी तरह का कोई संदेश भी नहीं देती है, ये एक ऐसा सफ़र है जिसमें ज़्यादातर लोग बोर ही होंगे।
इंडिया टीवी इस फ़िल्म को दे रहा है 5 में से 2 स्टार।
देखें ट्रेलर...