'लड़का है जाने दो...' की सोच पर करारी चोट करती है विद्या बालन की शॉर्ट फिल्म 'नटखट'
विद्या बालन की शॉर्ट फिल्म 'नटखट' पितृसत्ता पर गहरी चोट करती है। ये एक ऐसी फिल्म है जो आपकी आंखें खोल देगी। साथ ही हमें ये भी बताएगी कि बचपन में जिसे हम लड़कों की गलतियां मानकर इग्नोर कर देते हैं उसका असर क्या हो सकता है।
लड़का है जाने दो... अक्सर लोग घरों में लड़की की गलती को इग्नोर करने के लिए यही लाइन बोल देते हैं। बच्चा बाहर अगर कुछ गलत सीखता है तो उसे सही करने की जिम्मेदारी घरवालों की ही होती है। लेकिन अगर घर में भी वही माहौल हो तो बच्चा क्या सीखेगा। यही दिखाया गया है विद्या बालन की फिल्म 'नटखट' में। खाने की टेबल पर घर के सभी मर्द खाना खा रहे हैं, दादा, पिता और चाचा महिला अधिकारी को लेकर डिस्कस कर रहे हैं और 5-6 साल का बच्चा बोलता है, अगर नहीं मान रही है तो उठवा दो...। यह सुनकर सभी के होश उड़ जाते हैं, लेकिन फिर दादा की वही लाइन- जाने दो लड़का है।
यह कहानी है, सोनू और उसकी मां (विद्या बालन) की। अपने 5-6 साल के बेटे के मुंह से ये सुनकर कि 'नहीं मान रही है तो उठवा दो' विद्या हैरान रह जाती है, घर के सभी मर्द ने भले ही उसकी बात को इग्नोर कर दिया हो लेकिन वो नहीं कर पाती। सोनू जो हर रोज बाहर देखता है बड़े लड़के किस तरह लड़कियों को लेकर बातें करते हैं, उसे भी ये चीजें अट्रैक्ट करती हैं, लड़की को देखकर सीटी बजाना, उसका दुपट्टा खींचना, गाली देना उसे कूल लगने लगता है। उसकी मां उसे एक कहानी सुनाती है... वो कहानी क्या है और कैसे उस कहानी ने सोनू को बदल देगी... यह आपको फिल्म देखने पर ही पता चलेगा।
नटखट फिल्म टॉक्सिक मस्क्युलिनिटी, रेप कल्चर, जेंडर इनक्वालिटी, पितृसत्ता और घरेलू हिंसा जैसे कई टॉपिक पर बात करती है। फिल्म के निर्देशक शान व्यास ने फिल्म की छोटी से छोटी बारीकियों का ख्याल रखा है। तभी ये शॉर्ट फिल्म इतनी पॉवरफुल बन पाई है। अभिनय की बात करें तो विद्या बालन का अभिनय बहुत ही नेचुरल, शांत मगर पॉवरफुल है। इसके अलावा सोनू का रोल करने वाले सनिक पटेल भी कमाल लगे हैं।
यह फिल्म हमें मैसेज देती है कि बच्चों को बचपन से ही सही और गलत के बीच फर्क करना सिखाना होगा और उन्हें बताना होगा कि वो लड़के हैं तो इसका मतलब ये नहीं है कि वो लड़कियों से श्रेष्ठ हैं। इंडिया टीवी इस फिल्म को देता है 5 में से 4 स्टार। आपको यह फिल्म जरूर देखनी चाहिए, खासकर पैरेंट्स और टीचर्स को इस फिल्म को देखकर इससे मैसेज लेना चाहिए।