मिस्टर एक्स

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IndiaTV News Desk 17 Apr 2015, 3:30:00 IST
मूवी रिव्यू:: Mr. X
Critics Rating: 1 / 5
पर्दे पर: 17 APRIL, 2015
कलाकार: इमरान हाशमी, अमायरा दस्तूर
डायरेक्टर: विक्रम भट्
शैली: एक्शन
संगीत: अंकित तिवारी, जीत गांगुली

फिल्म की कहानी क्या है-

रघुराम राठौड़ (इमरान हाशमी) एटीडी (एंटी-टेररिस्ट डिपार्टमेंट) में एक एमानदार आफसर है और अपने ही डिपार्टमेंट की एक अफसर सिया वर्मा (अमायरा दस्तूर) से प्यार करता है। दोनों शादी करने वाले है लेकिन इससे एक दिन पहले ही रघु को एटीडी का चीफ भारद्वाज (अरुणोदय सिंह) जिम्मेदारी देता है एक मंत्री को आतंकवादियों से बचाने की। असल में ये भारद्वाज की साजिश है जो मंत्री को मरवाकर पुलिस कमिश्नर की गद्दी तक पहुंचना चाहता है। वो रघु को मजबूर कर उससे मंत्री का काम तमाम करवाता है और इसके बाद वो रघु को जान से मारने की कोशिश करता है लेकिन रघु यहां मौत को चकमा दे देता है। उसको नई जिंदगी मिलती है एक और एक डाक्टर से जो उसे ऐसी दवा देती है जिससे रघु अद्रश्य हो जाता है और सिर्फ धूप में ही दिखई देता है। रघु अब मिस्टर एक्स बन गया है और इसका फाएदा उठाकर वो अपने कातिलों से बदला लेने की ठान लेता है लेकिन उसके रास्ते में है उसकी प्रेमिका सिया जो उसे ये गलत काम करने से रोकती है। तो क्या मिस्टर एक्स अपने मंसूबे पूरे कर पाएगा, जानने के लिए देखिए ये फिल्म।

क्या ख़ूबी है इस फिल्म की-

इस सवाल का जवाब देना थोड़ा मुश्किल है क्योंकि इस फिल्म में ऐसा कुछ भी नहीं है जिसके लिए आप सिनेमा घरों का रूख करें। विक्रम भट्ट निर्दशित मिस्टर एक्स एक पुरानी घिसी-पिटी स्क्रिप्ट पर बनी फ़िल्म लगती है और यहां तक की उसे भी ठीक से रूपहले पर्दे पर नहीं उतारा गया है। फिल्म में कांसेप्ट से लेकर डॉयलॉग्स तक सब कुछ 80 के दशक की फिल्मों से इंस्पायर्ड लगता है।

फिल्म की सबसे बड़ा प्राब्लम है इसका मुख्य किरदार रघुराम जिसका मिस्टर एक्स में तब्दील होना कई प्रश्न खड़े करता है। रघु का भीषण आग में जिंदा बच पाना ही अपने आप में एक सवाल हैं। मिस्टर एक्स को गायब करने के लिए फिल्म में हुए सीजीआई इफेक्ट का इस्तेमाल भी बहुत ही लो-कवालिटी का किया गया है। फिल्म में एक्शन भी आपको निराश करेगा और कभी-कभी न चाहते हुए भी आपको हंसाएगा। कभी मिस्टर एक्स के गायब होने से, कभी उसके मिनटों तक हवा में करतब करने से, तो कभी रोड पर गाड़ियों के बीच अपनी मोटरबाईक निकालने से – इन सारे सीन्स को देखकर आप रोमांचित तो क्या होंगे हां मज़ाक ज़रुर उडा सकते हैं।

अभिनय की बात जितनी कम करें उतना ही बेहतर होगा क्योंकि सारे कलाकारों ने खराब अभिनय किया है। अमायरा दस्तूर के चेहरे पर पूरी फिल्म में एक ही गुस्से वाला भाव है और हमेशा रोने के लिए तैयार रहती है। अरुणोदय सिंह विलेन के केरेक्टर में फिट बैठते है लेकिन ख़राब स्क्रिप्ट की वजह से ज्यादा अच्छा पर्फार्मेंस नहीं दे पाते।

विशेष भट्ट कैंप कि फिल्मों में रोमांस और गाने काफी लोकप्रिय होते है लेकिन अफसोस इस बार ये दोनों फैक्टर्स भी फिल्म को नहीं बचा पाते है। इमरान और अमायरा की जोड़ी भी दमदार नहीं लगती है। जहां इमरान अपने झड़ते हुए बालों की वजह से थोड़े ज्यादा एजेड लगते है वही अमायरा अपनी मासूमियत और बच्चे जैसी आवाज की वजह से कुछ ज्य़ादा ही यंग लगती है। फिल्म जहां आपको ज्यादा बोर औऱ कन्फ्यूज करने लगती है वहां दोनों के बिना मतलब के किस सीन्स और रोमांटिक गाने परोसे जाते है जो कि फिल्म का मज़ा और किरकिरा कर देता है।

आखिरी राय-

इमरान हाशमी के बहुत बड़े फैन्स ये फिल्म देख सकते है और बाकी इसे दूर से नमस्ते कह सकते है।