ओमेर्टा Movie Review: आतंकवादियों के मन को पढ़ना है तो देख लीजिए राजकुमार राव की फिल्म
Movie Review omerta: हंसल मेहता की फिल्म ‘ओमेर्टा’ में राजकुमार राव एक आतंकवादी के किरदार में हैं। फिल्म का रिव्यू करने से पहले हम आपको बताते हैं कि फिल्म का नाम ‘ओमेर्टा’ क्यों है? ओमेर्टा एक इटैलियन शब्द है जिसका इस्तेमाल उस आतंकवादी के लिए होता है जो किसी पुलिस टॉर्चर से टूटता नहीं, और कभी भी कोई खुलासा नहीं करता है।
हंसल मेहता की फिल्म ‘ओमेर्टा’ में राजकुमार राव एक आतंकवादी के किरदार में हैं। फिल्म का रिव्यू करने से पहले हम आपको बताते हैं कि फिल्म का नाम ‘ओमेर्टा’ क्यों है? ओमेर्टा एक इटैलियन शब्द है जिसका इस्तेमाल उस आतंकवादी के लिए होता है जो किसी पुलिस टॉर्चर से टूटता नहीं, और कभी भी कोई खुलासा नहीं करता है।
यह कहानी भी एक ऐसे ही आतंकवादी की है। फिल्म में राजकुमार राव पहली बार आतंकवादी की भूमिका निभा रहे हैं। कोई शक नहीं राजकुमार राव इस रोल में छा गए हैं। राजकुमार पाकिस्तानी मूल के ब्रिटिश आतंकवादी अहमद ओमार सईद शेख के रोल में हैं। जो बोस्निया में हुए हमले के बाद बुरी तरह हिल जाता है, और बदला लेने के लिए आतंकवादी बन जाता है। इसके बाद वह भारत आता है और दिल्ली में 4 विदेशी पर्यटकों को अगवा कर लेता है। वह इंग्लैंड के एक पत्रकार डेनियल पर्ल को भी पहले किडनैप करता है फिर उसकी बुरी तरह से हत्या कर देता है। डेनियल की हत्या वाला सीन आपके रोंगटे खड़े कर देगा।
यह फिल्म कहीं भी किसी भी तरह आतंकवादी को ग्लोरिफाई नहीं करती है। बल्कि यह दिखाया गया है कि किस तरह युवा जिहाद में आकर्षित होते हैं और उसके जंजाल में फंस जाते हैं। हंसल बहुत ही बारीकी से यह हमें दिखाते हैं।
90 फीसदी फिल्म इंग्लिश में है, जिसे इंग्लिश सबटाइटल के साथ रिलीज किया गया है। फिल्म महज 1 घंटे 38 मिनट की है। कहीं भी फिल्म देखकर आप बोर नहीं होते हैं, एक के बाद एक सीन आपकी आंखों के सामने आते हैं, और आपको सोचने पर मजबूर कर देते हैं।
यह फिल्म भारत और लंदन की असली लोकेशन पर शूट हुई है। जो पाकिस्तान द्वारा चलाए जा रहे आतंकवादी कैंपेन पर को भी दर्शाती है। ओमेर्टा ऐसे आतंकवादी की कहानी है जो पढ़ा लिखा होने के बाद भी इस राह पर चलता है। अंत तक उसे लगता है कि वह सही है। इस फिल्म के जरिए हमें आतंकवादियों की मानसिकता भी समझ में आती है। किस तरह वो अल्लाह और 70 हूरों के नाम पर आतंकवाद को अन्जाम देते हैं।
एक शांत और बेहद खतरनाक आतंकवादी के किरदार में राजकुमार राव ने जान डाल दी है। फिल्म का बैकग्राउमंड स्कोर अच्छा है जो थ्रिल और सस्पेंस पैदा करता है। यह एक उदास फिल्म है, जो आपको निराश भी कर सकती है। यह बहुत ही लिमिटेड ऑडियंस के लिए है। शायह हर किसी को यह फिल्म समझ में ना आए।
हंसल मेहता ने एक आतंकवादी के दिमाग में घुसने की कोशिश की है, जिसमें वो काफी हद तक कामयाब भी हुए हैं। अगर इस रिव्यू को पढ़ने के बाद आपको लग रहा है इस तरह की फिल्म में आपको दिलचस्पी है और आप आतंकवादियों के मन को पढ़ना चाहते हैं तो आप यह फिल्म देख सकते हैं। मसाला और कॉमेडी फिल्मों के शौकीन इस फिल्म से दूरी बना लें। मेरी तरफ से इस फिल्म को 3 स्टार।