Movie Review: आम आदमी के फ्रस्टेशन को दिखाती है 'अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है'
यह कहानी हर उस मिडिल क्लास इंसान की है जो टैक्स देता है, ईमानदारी से काम करता है, लेकिन फिर भी हर कोई अपने फायदे के लिए उसे नुकसान पहुंचाता है।
Movie Review Albert Pinto Ko Gussa Kyu Aata hai?- कई साल पहले 'अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है' नाम की एक फिल्म बनी थी, जिसमें नसीरुद्दीन शाह और शबाना आजमी लीड रोल में थे। यह एक मिडिल क्लास आदमी की कहानी थी, जिसे बहुत गु्स्सा आता था। अब 2019 में इसी नाम की एक फिल्म आई है। फिल्म में मानव कौल, नंदिता दास और सौरभ शुक्ला लीड रोल में हैं। यह भी एक मिडिल क्लास आदमी अल्बर्ट पिंटो की कहानी है। हालांकि दोनों फिल्मों की कहानी अलग है, सिर्फ फिल्म का कॉन्सेप्ट और एक्टर का नाम सेम है।
कहानी- अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है फिल्म की कहानी अल्बर्ट पिंटो (मानव कौल) नाम के एक मिडिल क्लास आदमी की है। जिसकी अभी तक शादी नहीं हुई है, एक गर्लफ्रेंड है जिसका नाम स्टेला (नंदिता दास) है। यह कहानी भ्रष्टाचार और पॉलिटिकल मुद्दों पर आधारित है। अल्बर्ट पिंटो के पिता भ्रष्टाचार के आरोप में सस्पेंड कर दिए जाते हैं। वो एक ईमानदार कर्मचारी होते हैं और उन्हें यह बात बर्दाश्त नहीं हो पाती, और वो खुदकुशी कर लेते हैं। अब अल्बर्ट पिंटो का दिमाग खराब हो जाता है और वो निकल पड़ता है बदला लेने। उसकी गर्लफ्रेंड उसके गुम होने की रिपोर्ट लिखाती है। इस बीच अल्बर्ट एक साथी (सौरभ शुक्ला) के साथ एक ट्रिप पर रहता है। बीच-बीच में फ्लैशबैक में उसकी बैक स्टोरी दिखाई जाती है। अल्बर्ट के परेशानी की मुख्य वजह उसका दिमाग है। पिता की मौत के बाद उसे इतना बुरा सदमा लगता है कि जब खुद के बच्चा होने की बात होती है तो वो भड़क जाता है और कहता है इतने भ्रष्ट और खराब दुनिया में बच्चे को लाने की जरूरत नहीं है।
उसे देश का हर मिडिल क्लास आदमी कौआ लगता है। उसे जब गरीब लोग खुश और हंसते गाते नजर आते हैं तो आश्चर्य करता है कि ये लोग इतने खुश क्यों हैं। उसे लगता है यह दुनिया जल रही है। दरअसल इस फिल्म के जरिए फिल्म के निर्देशक सौमित्र रनाडे हर उस आम आदमी का फ्रस्टेशन भी दिखाते हैं जो ईमानदारी की जिंदगी जीता है, टैक्स देता है लेकिन फिर भी परेशान रहता है।
अल्बर्ट पिंटो के गुस्से में हम अपनी जिंदगी भी देखेंगे और उसकी हरकतें नॉर्मल ना होने की वजह से भी हमें लगेगा कि वो कितनी सही बात बोल रहा है। अब अल्बर्ट पिंटो वापस आ पाता है या नहीं और वो बदला ले पाता है पिता का या नहीं। इसके लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
फिल्म में जब मानव कौल, नंदिता दास और सौरभ शुक्ला जैसे एक्टर हों तो एक्टिंग पर बात करना बेमानी है। सौरभ शुक्ला अपनी कॉमेडी टाइमिंग और पंच से आपको पूरी फिल्म में प्रभावित करेंगे। मानव ने अल्बर्ट पिंटो का किरदार बखूबी जिया है। नंदिता दास का काम भी हमेशा की तरह बेहतरीन था।
इस फिल्म में कोई मसाला नही ंहै, फिल्म स्लो है और बहुत सारे दर्शकों को पसंद नहीं आएगी। लेकिन अगर आप आर्ट फिल्म देखना पसंद करते हैं तो आप यह फिल्म देख सकते हैं। इंडिया टीवी इस फिल्म को देता है 5 में से 3 स्टार।