Mardaani 2 Movie Review: रानी मुखर्जी की 'मर्दानी 2' आज के दौर की बेहद जरूरी फिल्म है
Mardaani 2 Movie Review: रानी मुखर्जी की 'मर्दानी 2' 13 दिसंबर को सिनेमाघरों में रिलीज हो गई, आइए जानते हैं कैसी है ये फिल्म?
Mardaani 2 Movie Review: आप अखबार उठाइए, टीवी देखिए हर जगह आपको लड़कियों के साथ होने वाले रेप और मर्डर की घटनाएं पढ़ने और देखने को मिलती हैं। तमाम बहस होती है, प्रदर्शन होते हैं मामला पूरी तरह से ठंडा भी नहीं हो पाता और दूसरा रेप केस सामने आ जाता है। ऐसे दौर में रानी मुखर्जी की एक फिल्म आई है नाम है 'मर्दानी 2'। यह फिल्म इसी विषय पर बेस्ड है। कोटा, राजस्थान में पोस्टेड एसपी शिवानी शिवाजी रॉय के दमदार रोल में रानी मुखर्जी नजर आ रही हैं। उस शहर में एक बच्ची के साथ रेप और मर्डर होता है, शिवानी शिवाजी उस अपराधी को पकड़ने जाती है और तमाम परतें खुलकर सामने आती हैं।
मैंने जितनी फिल्में देखी हैं उसमें पहली बार ऐसा दिखा जब कोई विलेन ही फिल्म को नरेट कर रहा है, वो भी एक बच्चा जो अभी 18-19 साल का है। इस साइको सीरियल किलर रेपिस्ट का रोल विशाल जेठवा ने किया है, फिल्म की शुरुआत में ही हमें बता दिया जाता है कि ये विलेन है, वो शिवानी शिवाजी रॉय (रानी मुखर्जी) को चैलेंज करता है।
डायरेक्शन बहुत मजबूत है, हर सीन और फ्रेम पर ध्यान दिया गया है। फिल्म ना सिर्फ हमें झकझोरती है बल्कि एक संस्पेंस थ्रिलर का बढ़िया उदाहरण भी है। फिल्म का तकीनीकि पक्ष भी स्ट्रॉन्ग है। फिल्म के गाने और बैकग्राउंड म्यूजिक फिल्म को और रिच बनाते हैं। फर्स्ट हाफ तो कब निकल जाता है पता ही नहीं चलता। सेकंड हाफ में फिल्म कहीं कहीं कमजोर पड़ने लगी है लेकिन फिर कहानी और रानी की दमदार एक्टिंग और विषय ऐसे छोटे-मोटे फ्लॉज को इग्नोर हो जाते हैं। तारीफ करनी होगी फिल्म के विलन विशाल जेठवा की, इतनी कम उम्र में उन्होंने साइको किलर और रेपिस्ट का रोल बखूबी निभाया है, जिसके सामने रानी मुखर्जी जैसी कलाकार हो फिर भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराना वाकई बड़ी बात है। उनकी आंखें उनका लुक और भी ज्यादा भयावह करने में साथ देती हैं।
फिल्म के सेकंड हाफ में रानी मुखर्जी एक न्यूज चैनल में लड़कियों/महिलाओं को होने वाली दिक्कतों के बारे में बात करती हैं। इस फिल्म में इसकी जरूरत नहीं थी लेकिन उनकी बातें बहुत जरूरी थीं और अच्छा है कि ये बातें फिल्म में थीं। यहां उन मर्दों के हर सवालों के जवाब मिलेगा, जहां वो कहते हैं कि महिलाओं को लिए सीट क्यों आरक्षित होती है? जहां पुरुष महिलाओं के देर तक काम करने और बाहर निकलने पर सवाल उठाते हैं। रानी यहां ये भी कहती हैं कि महिलाओं को बराबरी बाद में दीजिएगा पहले हिस्सेदारी तो दे दीजिए।
फिल्म आपको कई जगह गमगीन कर देगी। आपकी आंखें भर आएंगी। हालांकि कई सीन और बेहतर हो सकते थे। फिल्म की एडिटिंग अच्छी है 1 घंटे 44 मिनट में यह फिल्म आपको कई सारे जवाब दे जाती है, और आईना भी दिखाती है उन पुरुषों को जो महिलाओं की सफलता पर सवाल उठाते हैं। निर्देशक गोपी पुथरण इस फिल्म के लिए तारीफ के काबिल हैं।
फिल्म को यू/ए सर्टिफिकेट मिला है, इसे आप अपने पूरे परिवार के साथ देख सकते हैं। जाइए और जरूर देखिए ये फिल्म। इंडिया टीवी इस फिल्म को 3.5 स्टार दे रहा है।
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