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Khakee The Bengal Chapter Review: राजनीति और क्राइम की दमदार कहानी, धांसू डायलॉग्स से कास्ट ने जीता दिल

'खाकी: द बिहार चैप्टर' की शानदार सफलता के बाद, नीरज पांडे एक और पुलिस थ्रिलर 'खाकी: द बंगाल चैप्टर' के साथ वापस आ गए हैं। नेटफ्लिक्स सीरीज में जीत, प्रोसेनजीत चटर्जी, सास्वता चटर्जी, ऋत्विक भौमिक लीड रोल में हैं।

Khakee The Bengal Chapter Review- India TV Hindi
Sakshi Verma 20 Mar 2025, 16:34:25 IST
मूवी रिव्यू:: Khakee The Bengal Chapter Review
Critics Rating: 3 / 5
पर्दे पर: March 20, 2025
कलाकार:
डायरेक्टर: Debatma Mandal and Tushar Kanti Ray
शैली: Thriller
संगीत: ....

'खाकी: द बिहार चैप्टर' के बाद नीरज पांडे ने 'बंगाल चैप्टर' की धमाकेदार शुरुआत की। 'खाकी: द बंगाल चैप्टर' ट्रेलर रिलीज के बाद से ही काफी चर्चा में रहा है जो अब 20 मार्च को नेटफ्लिक्स पर आई है। सीरीज की कहानी लोगों के उम्मीद पर खरी उतरी है। खासकर जब नीरज पांडे की बात आती है तो हमेशा एक दमदार स्टारी की ही उम्मीद की जाती है, जिसमें धांसू डायलॉग्स के साथ-साथ बेहतरीन एक्शन सीन्स भी होते हैं। हालांकि, फिल्म निर्माता की पिछली दो रिलीज जैसे 'औरों में दम था' और 'सिकंदर का मुकद्दर' लोगों को कुछ खास पसंद नहीं आई, लेकिन एक अच्छा फिल्म मेकर वहीं होता है जो कुछ नया और बेहतर करने की कोशिश हमेशा करता रहता है। नीरज ने बंगाल चैप्टर के निर्माता के रूप में इस बार कमाल कर दिया है। जीत, प्रोसेनजीत चटर्जी, शाश्वत चटर्जी और ऋत्विक भौमिक जैसे कई स्टार्स ने इस सीरीज में अपनी परफॉर्मेंस से सभी का दिल जीत लिया है।

कहानी

'खाकी: द बंगाल चैप्टर' की शुरुआत बाघा दा से होती है, जिसका किरदार शाश्वत चटर्जी ने निभाया है और वह राजगद्दी पर अपना दावा करता है। बाद में दर्शकों को आईपीएस अधिकारी सप्तर्षि से मिलवाया जाता है, जिसका किरदार परमब्रत चट्टोपाध्याय ने निभाया है जो बंगाल से अपराध को खत्म करने के लिए तत्पर है। हालांकि, उसकी असमय मौत से शहर के लोगों को झटका लगता है और वे वास्तविकता से रूबरू होते हैं। साथ ही, हम देखते हैं कि राजनीति और अपराध कैसे एक साथ चलता है क्योंकि जब एक नया पुलिस अधिकारी इस मामले को अपने हाथ में लेता है, तभी उसकी मुलाकात बंगाल के एक नेता बरुन दास से होती है, जिसका किरदार प्रोसेनजीत चटर्जी ने निभाया है जो अलग-अलग अपराधियों का इस्तेमाल करता है और अपनी राजनीति चलाता है। जीत द्वारा निभाया गया एक ईमानदार पुलिसकर्मी अर्जुन मैत्रा का रोल जो अपने सीधे-सादे और साहसी तरीकों के लिए जाना जाता है। वह राजनेता ऋत्विक भौमिक द्वारा निभाया गया गणनात्मक सागर तालुकदार और आदिल खान द्वारा निभाया गया आवेगशील रंजीत ठाकुर से भिड़ जाता है।

निर्देशन और लेखन

'खाकी: द बंगाल चैप्टर' का निर्देशन देबात्मा मंडल और तुषार कांति रे ने किया है, जबकि नीरज पांडे, देबात्मा और सम्राट चक्रवर्ती ने इस सीरीज को लिखा है। शो का प्लॉट और स्क्रीनप्ले प्रेडिक्टेबल है, लेकिन निर्देशन, सिनेमैटोग्राफी और बेहतरीन कास्टिंग ने इस सीरीज को बेहतरीन बना दिया है। हर किरदार को अच्छी तरह से पेश किया गया है और हर रोल को कहानी के अनुसार पेश किया गया है। हालांकि, 'खाकी: द बंगाल चैप्टर' में कई जगह कहानी थोड़ी बोरिंग लगी और इसमें बहुत सारे सीन्स भी बिना मतलब जोड़ने की कोशिश की गई, लेकिन फिर भी कलाकारों की परफॉर्मेंस और दमदार स्टोरी आपको सीरीज के अंत तक बनाए रखती है। सीरीज में तब ज्यादा मजा आता है जब पुलिस अधिकारी अर्जुन मैत्रा द्वारा अंतिम अपराधी को आसानी से पकड़ लेता है, क्लाइमेक्स बाकी शो की तुलना में थोड़ा फीका लगा है। संगीत और बैकग्राउंड स्कोर थोड़ा ड्रामे वाला है, लेकिन जीत गांगुली को एक दिलचस्प टाइटल ट्रैक तैयार करने का श्रेय दिया जाना चाहिए। 'अइयेना हमरा बिहार में' बेहतरीन है, लेकिन 'एक और रंग भी देखिए बंगाल का' भी मजेदार है।

कास्ट की परफॉर्मेंस

इस सीरीज की जान इसके कलाकार और उनका काम है। बंगाली एक्टर जीत ने इस सीरीज से हिंदी में डेब्यू किया है। एक्टर ने जबरदस्त काम किया है। कुछ जगहों पर उनकी परफॉर्मेंस इतनी बेहतरीन रही जो देखने लायक है। जहां हमने 'सिंघम' और 'दबंग' में धांसू पुलिस को देखा है, वहीं खाकी में जीत एक ताजा हवा का झोंका है, जिसने इस किरदार को बहुत अच्छे से पेश किया। वह आपको प्रकाश झा की 'गंगाजल' के अजय देवगन की याद दिला सकता है क्योंकि उनके अभिनय में उसी तहर का जुनून देखने को मिला था जो उस किरदार के लिए जरूरी था। दूसरी ओर, प्रोसेनजीत चटर्जी ने एक भ्रष्ट राजनीतिक नेता की भूमिका में शानदार काम किया हैं। अराजकता की परफॉर्मेंस काबिले तारीफ थी। सागोर के रूप में ऋत्विक भौमिक ने शानदार काम किया है। वहीं 'जहानाबाद - ऑफ लव एंड वॉर' फेम का सीरीज में जंगलीपन देखकर लोग खुश हो रहे हैं। आदिल जफर खान ने भी जबरदस्त अभिनय किया है। जीत और प्रोसेनजीत की मौजूदगी में कहानी को और बेहतरीन बना दिया। शाश्वत चटर्जी हमेशा की तरह धूम मचाते दिखाई दी, लेकिन चित्रांगदा सिंह का काम ठीक-ठाक दिखा। परमब्रत चट्टोपाध्याय और शाश्वत ने कम स्क्रीन स्पेस में कमाल कर दिया हैं।

खाकी: द बंगाल चैप्टर कैसी है?

'खाकी: द बंगाल चैप्टर' सीरीज देखने लायक है, लेकिन कहानी में कुछ नया नहीं है। फिल्मों और सीरीज में हमने कई बार राजनीति और अपराध का मिश्रण देखा है। हालांकि, सीरीज में बंगाली भाषा कुछ लोगों के लिए नई है। एक्शन अच्छा है, लेकिन स्लो-मो सीक्वेंस आपको परेशान कर सकते हैं। सीरीज में नए और कम देखे जाने वाले चेहरे हैं। सीरीज की स्टोरी आपको अंत तक बांधे रखती है और ट्विस्ट आपको एक मिनट के लिए भी सीट से उठाने नहीं देंगे। सीरीज 5 में से 3 स्टार की हकदार, 'खाकी: द बंगाल चैप्टर' अब नेटफ्लिक्स पर देख सकते हैं।