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Game Changer Review: घिसीपिटी कहानी में दिखा राम चरण का वन मैन शो, विलेन को मिली स्पॉटलाइट

'आरआरआर' की शानदार सफलता के बाद राम चरण तीन साल बाद शंकर की राजनीतिक ड्रामा 'गेम चेंजर' के साथ बड़े पर्दे पर वापस आ गए हैं। अब ये फिल्म कैसी है, इसमें कितना दम है, ये सब जानने के लिए पढ़ें पूरा रिव्यू।

साक्षी वर्मा 10 Jan 2025, 14:50:24 IST
मूवी रिव्यू:: गेम चेंजर
Critics Rating: 2.5 / 5
पर्दे पर: 10 जनवरी 2025
कलाकार: कियारा आडवाणी
डायरेक्टर: शंकर
शैली: राजनीतिक ड्रामा
संगीत: ............

दक्षिण भारतीय निर्देशक शंकर ने अपनी खुद की राजनीतिक ड्रामा दुनिया बनाई है, जहां अच्छाई हमेशा बुराई पर जीत हासिल करती है। उनकी पिछली फिल्म 'इंडियन 2' भले ही बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप रही हो, लेकिन इसका पहला भाग- कमल हासन की 'इंडियन' आज भी उनकी सर्वश्रेष्ठ कृति मानी जाती है। अब फिल्म निर्माता आरआरआर अभिनेता राम चरण के साथ एक नई फिल्म में वापस आए हैं, जिसमें वही पुराना फॉर्मूला है। 'गेम चेंजर' प्रेडिक्टेबल है, लेकिन बोरिंग नहीं है। फिल्म तब गंभीर मोड़ लेती है, जब दर्शक फ्लैशबैक देखते हैं और अगर निर्देशक इसे और स्क्रीन स्पेस देते, तो गेम चेंजर खास होती। कियारा आडवाणी ने वही सब किया है, जो दक्षिण भारतीय फ़िल्मों की ज़्यादातर महिला लीड करती हैं- ग्लैमर, डांस, स्पेशल अपीयरेंस में रहना और फिर अचानक क्लाइमेक्स में उभरना। हालांकि, एसजे सूर्या द्वारा निभाया गया निगेटिव किरदार है, जो अपनी जमीन पर मजबूती से टिका रहता है। अभिनेता ने फिल्म में पूरी तरह से जान डाल दी है और गुस्से की समस्या से जूझ रहे नायक के लिए एक योग्य प्रतिद्वंद्वी की भूमिका निभाई है।

कहानी

कहानी की शुरुआत मुख्यमंत्री (सत्यमूर्ति) के रूप में श्रीकांत से होती है, जो अपने बेटों, एसजे सूर्या और जयराम द्वारा निभाए गए किरदारों से घिरे होते हैं। जीवन भर भ्रष्ट रहने वाले मंत्री का अपने अंतिम क्षणों में हृदय परिवर्तन होता है। लेकिन उनका बेटा जो अपनी जिंदगी एक खास तरह के ग्रे एरिया में जी रहा है, उससे सहमत नहीं होता। दूसरी तरफ राम चरण एक बेहतरीन कोरियोग्राफ़्ड एक्शन सीक्वेंस में आईएएस के तौर पर एंट्री करते हैं। फिल्म की ढीली-ढाली पेशकश पहले हाफ में झलकती है, क्योंकि आपको अचानक राम चरण और कियारा आडवाणी के रोमांटिक सीन देखने को मिलते हैं, उसके बाद धूप गाना आता है। 'गेम चेंजर' का पहला हाफ अच्छे सीन से भरा हुआ लगता है, लेकिन जब राम नंदन (राम चरण) चालाक मंत्री मोप्पीदेवी (एसजे सूर्या द्वारा अभिनीत) से भिड़ते हैं तो फिल्म की गति बढ़ जाती है, लेकिन कहानी जैसे ही मामुली लगने लगती है ठीक उसी दौरान शंकर वही करते हैं जो उन्हें सबसे अच्छा लगता है, फ्लैशबैक लाना- जो निस्संदेह फिल्म की आत्मा है।

निर्देशन

फिल्म शुरू होते ही आपको वही पुराना शंकर प्रोटोटाइप देखने को मिलेगा। हालांकि, इस पूरी फिल्म की आत्मा आधे घंटे का दमदार फ़्लैशबैक वाला हिस्सा है। यह हिस्सा न केवल फिल्म की टोन को बढ़ाता है बल्कि दोनों मुख्य अभिनेताओं के असली चरित्र को भी उजागर करता है। अंजलि इस पूरे हिस्से में आपके साथ रहती है और आपको उसका समर्थन करने पर मजबूर कर देती है। लेकिन ऐसा तभी होता जब निर्देशक और लेखक फिल्म में गाने पर करोड़ों रुपये खर्च करने के बजाय इस हिस्से पर अधिक ध्यान देते, जो पूरी तरह से बर्बाद लगता है। 'गेम चेंजर' में कुछ अच्छे एक्शन सीन हैं, लेकिन कहानी भी कई जगहों पर कमजोर लगती है। फिल्म की एक्शन कोरियोग्राफी अच्छी है लेकिन कई जगहों पर बिना सिर-पैर के है। इसके अलावा जिन दृश्यों का अधिक उपयोग किया जा सकता था, उनके लिए बहुत कम स्क्रीन स्पेस है। कुल मिलाकर फिल्म के लेखन में इसके निर्देशन से अधिक खामियां हैं।

अभिनय

राम चरण राजनीतिक नेता अप्पन्ना के रूप में शानदार लग रहे हैं। उन्होंने एक बार फिर 'गेम चेंजर' को अपने कंधों पर उठाकर अपनी क्षमता साबित की है। ज्यादातर दृश्यों में वह फिल्म को वन-मैन शो बना देते हैं। हालांकि, वह एसजे सूर्या की शानदार क्षमता से भी मेल खाते हैं, जो आपको किरदार से नफरत और अभिनेता से प्यार करवाते हैं। कियारा आडवाणी सेट-अप में सहज दिखती हैं, लेकिन फिल्म में उनके पास करने के लिए ज़्यादा कुछ नहीं है। अंजलि फिल्म के असली आकर्षण को बढ़ाती हैं।

कैसी है कहानी

'गेम चेंजर' एक्शन, ड्रामा, गाने और रोमांस से भरपूर एक अनुमानित मसाला एंटरटेनर है। 2 घंटे और 44 मिनट की यह फिल्म एक आईएएस अधिकारी के इर्द-गिर्द घूमती है, जो सिस्टम में भ्रष्टाचार को चुनौती देकर निष्पक्ष चुनाव कराना चाहता है, जिस पर एक कट्टर खलनायक नेता का शासन है। फिल्म में भले ही कुछ नया न हो, लेकिन यह आपको एक बेहतरीन यात्रा पर ले जाती है। इसलिए, एक बार देखने लायक होने के नाते, 'गेम चेंजर' 2.5 स्टार की हकदार है। फिल्म में राम चरण, कियारा आडवाणी, एसजे सूर्या, सुनील, जयराम, श्रीकांत, समुथिरकानी और नासिर प्रमुख भूमिकाओं में हैं।