Gadar 2 Review: 'गदर 2' देखने से पहले जान लें ये खास बातें, फिल्म देखते ही हो जाएंगे सनी देओल के जबरा फैन!
Gadar 2 Review: 'गदर 2' आपका दिल जीतने के लिए तैयार है। सनी देओल अपने दमदार डायलॉग्स से आपको दीवाना बना लेंगे। ऐसे में हम आपके लिए फिल्म से जुड़ी खास बातें लेकर आए हैं।
सनी देओल की 'गदर 2' का फैंस को बेसब्री से इंतजार था। फिल्म आज रिलीज हो गई है। फिल्म रिसीज से पहले ही लोगों ने अपनी टिकेट बुक कर ली थीं। भारी संख्या में लोग फिल्म देखने पहुंच रहे हैं। तारा सिंह और सकीना की आगे की कहानी 'गदर 2' में दिखाई जा रही है। फिल्म कैसी है इस पर अब सबकी निगाहें टिकी हुई हैं। इसलिए ही हम आपके लिए कुछ खास बातें लेकर आए हैं, जो फिल्म देखने से पहले जानना बेहद जरूरी है।
पाकिस्तान से जब वापसा आई सकीना...
भारत पाकिस्तान के युद्ध के ठीक पहले 1971 के दौर में पिरोई हुई एक कहानी जहां दिखाया जाता है कि सकीना को जब पाकिस्तान से तारा सिंह वापस अपने देश लेकर चला जाता है तो सकीना के पिता अशरफ अली को पाकिस्तान में फांसी की सजा दे दी जाती है मगर रंजिश वहां खत्म नहीं होती। पाकिस्तान में मेजर जनरल हामिद इकबाल (मनीष वाधवा) इंतकाम की आग में बरसों से जल रहा है क्योंकि तारा सिंह उसकी रेजीमेंट के 40 जवानों को मारकर सकीना को हिंदुस्तान ले गया था और भारत पाकिस्तान विभाजन में जनरल हामिद ने भारत में अपने परिवार को भी खोया था।
ट्विस्ट के साथ आगे बढ़ती है कहानी
दूसरी तरफ भारत में तारा का परिवार सुखी है। बेटा जीते (उत्कर्ष शर्मा) बड़ा हो चुका है और तारा एक ट्रक ड्राइवर है जो फौज को जरूरत अनुसार गोले बारूद पहुंचाने में मदद करता है। एक बार राम टेकरी में पाकिस्तानी हमले के दौरान हिंदुस्तानी फौज की मदद करने में तारा सिंह गायब हो जाता है। सकीना परेशान हो जाती है। मां की परेशानी देखा तारा- सकीना का बेटा जीते (उत्कर्ष शर्मा) पिता को ढूंढने पाकिस्तान जाता है। वहां पिता तो नहीं मिलते मगर जीते पाकिस्तान में फंस जाता है।
बढ़ती है तारा की मुश्किलें
इधर तारा किसी तरह खुद को बचाकर जब घर पहुंचता है तो जीते को न पाकर परेशान हो जाता है। अब तारा सिंह पिता का कर्तव्य पालन करते हुए अपने बेटे को लेने एक बार फिर पाकिस्तान जाता है। वहां क्या कुछ होता है, क्या तारा अपने बेटे को सही सलामत बचाकर भारत लौट पाता है? जीते वहां अकेला नहीं बल्कि अब उन्हें एक साथी भी मिल गया है। मुस्कान (सिमरत कौर) के रूप कौर की फिल्म में एंट्री होती है। तो क्या मुस्कान जीते की परेशानी की वजह बनती है? 'गदर 2' मे काफी ट्विस्ट्स हैं जो कहानी को आगे बढ़ाते हैं।
देखने को मिलेगी कमाल की ड्रेसिंग
सनी देओल की दहाड़ से कोई इंप्रेस हुए बिना नहीं रह सकता है। चाहे वह जुनूनी तारा सिंह हो या फिर आशिक तारा सिंह। उम्र के इस पड़ाव पर भी सनी देओल बेहद रोमांटिक लगते हैं और अमीषा पटेल के साथ उनका स्क्रीन प्रेजेंस बहुत अच्छा है। उत्कर्ष शर्मा का काम भी काफी अच्छा है । जीते बचपन में भी प्यारे थे और अब हीरो के तौर पर भी काफी अच्छा काम किया है। मनीष वाधवा ने इस फिल्म में अमरीश पुरी की जगह ली है। हालांकि किरदार अलग है मगर आसान नहीं है अमरीश पुरी की विशाल छवि के आगे खुद की जगह बनाना, मगर उन्होंने अपना किरदार को बखूबी निभाया है। सिमरत कौर की यह पहली हिंदी फिल्म है और वह खूबसूरत भी लगी है और अपना किरदार को भी सही रूप दिया है।
ये खास बातें बनाती हैं फिल्म को शानदार
'गदर' अगर रामायण थी तो 'गदर 2' महाभारत है। फर्स्ट हाफ इमोशन का खेल है तो वहीं सेकंड हाफ में एक्शन का कमाल है। तारा और सकीना का प्यार परवान चढ़ता दिख रहा है। दोनों की केमिस्ट्री बहुत प्यारी लग रही है। पुराने दोनों गाने 'उड़ जा काले कावा' और 'मैं निकला गड्डी लेके' के अलावा 'खैरियत' बहुत प्यार गाना है। फिल्म के ताबड़तोड़ डायलॉग्स लोगों का दिल जीत लेते हैं। चाहे वह हिंदुस्तान जिंदाबाद का नारा हो या फिर तारा सिंह का यह कहना की हसरत अगर औकात से ज्यादा हो तो तबाही के लिए दुश्मनों की जरूरत नहीं होती। ऐसे कई डायलॉग आपको फिल्म में सुनने को मिलेंगे।
कुछ कमियां
फिल्म थोड़ी ज्यादा लंबी है। लंबाई दर्शकों को परेशान कर सकती है क्योंकि आज के दौर धैर्य की थोड़ी कमी है। फर्स्ट हाफ थोड़ा ठंडा है जो सेकंड हाफ में बेहतर हो जाता है। सनी देओल के अलावा बाकी सभी किरदारों की स्टाइलिंग थोड़ी पुरानी लगती है।
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