हवा से ज्यादा जमीन पर दिखी एरियल एक्शन वाली 'फाइटर', ऋतिक-दीपिका ने पार लगाई नौका

'फाइटर' आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। फिल्म की कहानी मनोरंजक है, लेकिन एरियल एक्शन फीका है। दीपिका पादुकोण और ऋतिक रोशन की एक्टिंग से लेकर फिल्म की कहानी कैसी है, ये विस्तार से जानने के लिए पढ़ें पूरा रिव्यू-

Aseem Sharma 25 Jan 2024, 17:43:39 IST
मूवी रिव्यू:: Fighter
Critics Rating: 3 / 5
पर्दे पर: 25 जनवरी 2024
कलाकार: दीपिका पादुकोण, अनिल कपूर, ऋतिक रोशन
डायरेक्टर: सिद्धार्थ आनंद
शैली: एक्शन
संगीत: विशाल-शेखर

ऋतिक रोशन और दीपिका पादुकोण स्टारर एरियल एक्शन ड्रामा 'फाइटर' आज 24 जनवरी को बड़े पर्दे पर रिलीज हो गई है। यह फिल्म साल 2022 में रिलीज हुई 'विक्रम वेदा' के बाद ऋतिक की पहली बड़ी रिलीज है। ट्रेलर के अनुसार ये पहले ही साफ था कि इसमें भारतीय वायुसेना के कुछ बेहतरीन पायलटों की कहानी बताई जाएगी, जो देश को बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। हालांकि, फिल्म न केवल IAF और फाइटर जेट्स के बारे में है, बल्कि इसमें बड़े पैमाने पर एक्शन सीन्स के साथ भावनात्मक ड्रामा भी है। यदि आप इस वीकेंड 'फाइटर' देखना चाह रहे हैं तो इस रिव्यू को अंत तक पढ़ें और समझें कि फिल्म आपके लिए प्लैटर में क्या परोसने वाली है।  

फिल्म की कहानी

'फाइटर' की कहानी पाकिस्तानी सेना के अधिकारी और उनके प्रायोजित आतंकवादियों द्वारा भारत में घुसपैठ की योजना की चर्चा से ही शुरू होती है। इसके बाद लीड एक्टर्स का परिचय कराया जाता है, जहां एक ओर ऋतिक शमशेर पठानिया उर्फ पैटी की भूमिका निभाते हैं, जो श्रीनगर आईएएफ स्टेशन का 'सर्वश्रेष्ठ' पायलट है। वहीं दीपिका पादुकोण भी हेलिकॉप्टर पायलटों में से एक और अनिल कपूर इनके रिपोर्टिंग बॉस हैं।

ऋषभ साहनी ने मुख्य प्रतिद्वंद्वी यानी फिल्म में विलेन अजहर अख्तर की भूमिका निभाई है, जो पाक सेना की मदद से भारतीय सेना पर हमला करने की योजना बनाता है। एक हमले में दो पायलटों वाला एक लड़ाकू विमान पीओके के अंदर दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है। हालांकि इस दुर्घटना में दोनों पायलट बच जाते हैं। इसके बाद वो पाकिस्तानी सेना की गिरफ्त मे आ जाते हैं। अब भारत अपने इन सेनानियों को वापस भारत लाने की कोशिश में जुटता है। यही 'फाइटर' की कहानी है।

कैसा है डायरेक्शन

सिद्धार्थ आनंद 'वॉर' और 'पठान' जैसी अपनी एक्शन फिल्मों के लिए लोकप्रिय हैं, उन्होंने निश्चित रूप से अपनी हालिया रिलीज में ऐसा करने का पूरा प्रयास किया है। लेकिन 'फाइटर' में जिस चीज की कमी महसूस हुई वो थी लीड स्टार्स का जायज और भरपूर इस्तेमाल है। फिल्म के लगभग एक चौथाई हिस्से में ही एरियल फाइट के दृश्य हैं, जिसमें इन सितारों का अभिनय मुश्किल से ही दिखता है। ये केवल देखने में आकर्षक दृश्य हैं। हालांकि, फिल्म न सिर्फ एक्शन सीन्स से भरी है बल्कि हर किरदार की कहानी भी काफी इमोशनल है।

फिल्म की कहानी सिर्फ तीन लीड एक्टर्स के इर्द-गिर्द नहीं है, बल्कि सहायक कलाकारों को भी अपना अभिनय दिखाने का भरपूर्ण मौका दिया गया है। हर किसी की स्क्रीन टाइम अच्छी है, यानी सहायक कलाकार फिलर्स की तरह नजर नहीं आ रहे। जिन लोगों को राष्ट्रवाद पर फिल्में पसंद हैं उन्हें ये जरूर पसंद आएगी, क्योंकि इसमें कई ऐसे सीन हैं जो आपके रोंगटे खड़े कर देंगे।

अभिनय

फिल्म में ऋतिक, दीपिका और अनिल कपूर मुख्य भूमिका में हैं और करण सिंह ग्रोवर, अक्षय ओबेरॉय, संजीदा शेख सहायक भूमिकाओं में हैं। शारिब हाशमी और आशुतोष राणा का फिल्म में नजर आना सरप्राइज है, क्योंकि इनकी झलक पहले न टीजर और न ही ट्रेलर में देखने को मिली। दोनों का किरदार छोटा है, लेकिन उस कम वक्त में भी दोनों दिल जीतने में कामयाब हैं। 

अगर हम 'फाइटर' के मुख्य कलाकारों की बात करें तो अनिल कपूर ने वही किया जो उनकी भूमिका के लिए आवश्यक था। एक सख्त और अनुशासित वरिष्ठ अधिकारी के रूप में वो शानदार हैं। दीपिका पादुकोण हमेशा की तरह अपने स्वाभाविक और सहज अभिनय से दिल जीत लेती हैं। अब आते हैं सबसे हाईप किरदार पर, जो ऋतिक का है। एक्टर 'बैंग बैंग' और 'वॉर' की तुलना में काफी पीछे छूट गए हैं। पैटी का उनका किरदार काफी पलों में कमजोर पड़ा है, लेकिन उनके लुक, चाल ढाल और डांस मूव्स ने छोटी मोटी कमियों को पूरा करने का काम किया है। जहां पायलट के तौर पर कलाकारों आसमान में दुश्मनों से लोहा लेते नजर आना चाहिए, वहीं वो आसमान से ज्यादा जमीन पर नजर आ रहे हैं। दूसरी ओर सहायक कलाकारों ने भी अपनी ऑन-स्क्रीन उपस्थिति को अच्छी तरह से जस्टिफाई किया और आपको एक सेकंड के लिए भी नहीं लगेगा कि वे लीड से कम हैं।

कैसी है पूरी फिल्म

एरियल एक्शन का दावा करने वाली इस फिल्म में एरियल एक्शन की ही कमी है। साफ तौर पर जिस प्रकार के एक्सन सीन्स की फैंस को 'फाइटर' से उम्मीद थी वो देखने को नहीं मिलने वाला। पहले हाफ में फिल्म थोड़ी धीमी भी लगती है लेकिन इंटरवल के आसपास गति पकड़ती है। जिन लोगों की आंखों में इमोशनल सीन देखकर आंसू आ जाते हैं उन्हें फिल्म में ऐसे तीन-चार सीक्वेंस जरूर पसंद आएंगे। निर्देशक ने सीन्स को प्रभावी बनाने की पूरी कोशिश की है और कई जगहों पर वो कामयाब होते भी नजर आए हैं। चित्रित किए गए कई सीन्स आपको नकली नहीं लगेंगे। 

जिन सीन्स में एरियल एक्शन दिखाए गए हैं उनमें एक्टर्स की एक्टिंग पर प्रभाव पड़ा है, क्योंकि कॉस्टयूम और VFX के चलते फेशियल एक्सप्रेशंस और हाव भाव दब गए हैं, एक्शन जिसके चलते उनका अभिनय निखर कर सामने नहीं आ सका है। वैसे जितने सीन में भी एक्टिंग देखने को मिली है, वो दमदार है। राष्ट्रवाद पर बनी फिल्में देखने वालों को ये फिल्म काफी पसंद आएगी। यदि आप फिल्म से कुछ भी उत्कृष्ट होने की उम्मीद कर रहे हैं, तो आप निश्चित रूप से निराश होंगे। 

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