Ek Ladki Ko Dekha Toh Aisa Laga Movie Review: पूरी तरह से एंटरटेन करती है फिल्म, राजकुमार राव ने किया इम्प्रेस
Ek Ladki Ko Dekha Toh Aisa Laga Movie Review: जानें कैसी बनी है फिल्म...
होमोसेक्सुएलिटी के मुद्दे पर बनी 'एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा' ऐसी फिल्म है, जिसे आप मिस नहीं कर सकते। फिल्म की कहानी तो एकदम सिंपल है, लेकिन फिल्म देखते समय एक भी ऐसा पल नहीं आएगा, जब आपको बोरियत महसूस होगी। फिल्म में अच्छे गाने, कॉमेडी, इमोशन्स सब कुछ हैं। प्रोड्यूसर विधु विनोद चोपड़ा की बहन शैली चोपड़ा धर ने बतौर डायरेक्टर इस फिल्म से अपना डेब्यू किया है और वह इसमें खरी भी उतरती हैं। होमोसेक्सुएलिटी जैसे मुद्दे को फिल्म में 'ज्यादा गंभीरता' से ना दिखाकर शैली ने अच्छा काम किया है। ऐसा ज़रूरी नहीं है कि ऐसे विषयों पर बनी फिल्में बहुत सीरियस हों या उसमें इमोशंस की भरमार हो।
कहानी
फिल्म की कहानी दिल्ली से शुरू होती है। स्वीटी चौधरी (सोनम कपूर) अपने भाई बबलू (अभिषेक दुहन) से भागते हुए साहिल मिर्ज़ा (राजकुमार राव) के नाटक रिहर्सल में पहुंच जाती है। वहां साहिल को पहली नज़र में ही स्वीटी से प्यार हो जाता है। स्वीटी और उसका परिवार पंजाब के मोगा में रहता है। साहिल, स्वीटी के पीछ-पीछे मोगा पहुंच जाता है। वहां परिस्थितियां ऐसी बनती हैं कि साहिल को लगता है कि स्वीटी उससे प्यार करती है। हालांकि स्वीटी को कुहू (रेगिना कसांड्रा) से प्यार है। कुहू लंदन में रहती है और स्वीटी भी वहीं जाना चाहती है।
स्वीटी के भाई बबलू को ही सिर्फ स्वीटी और कुकू के रिश्ते की सच्चाई पता है। बबलू होमोसेक्सुएलिटी को बार-बार 'बीमारी' कहता है और चाहता है कि स्वीटी किसी लड़के से शादी कर ले। साहिल अब ठानता है कि वह मोगा और स्वीटी के घरवालों को समझा कर रहेगा कि होमोसेक्सुएलिटी कोई 'बीमारी' नहीं होती। स्वीटी के पापा के रोल में अनिल कपूर हैं, जिन्हें केटरिंग का बिजनेस करने वालीं जूही चावला से प्यार हो जाता है। कहानी में कॉमेडी, इमोशन्स, प्यार सब कुछ देखने को मिलता है।
देखें ट्रेलर:
एक्टिंग
राजकुमार राव ने अपनी एक्टिंग से हमेशा की तरह इम्प्रेस किया है। अनिल पंजाबी पापा के रोल में एकदम फिट हैं और सोनम का काम भी अच्छा है। बहुत दिनों बाद जूही फनी रोल में नज़र आई हैं और उनकी एक्टिंग भी एकदम 'माइंड शैटरिंग' हैं। सोनम के भाई के रोल में अभिषेक का काम भी काबिले-तारीफ है।
सोनम की दादी मधुमती कपूर और ब्रिजेंद्र काला ने भी अपना प्रभाव छोड़ा है। सीमा पाहवा का काम भी अच्छा है, लेकिन फिल्म में उनके करने लायक कुछ खास नहीं था और यही रेगिना के साथ भी हुआ। साउथ की पॉपुलर एक्ट्रेस रेगिना का स्क्रीन प्रेजेंस बहुत अच्छा है, लेकिन उनके पास कुछ खास करने लायक नहीं है।
देखें दूसरा ट्रेलर:
म्यूजिक, डायरेक्शन
फिल्म का टाइटल ट्रैक 'एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा' और 'गुड़ नाल इश्क मिट्ठा' गाना पहले ही हिट चुका है। इसके साथ ही फिल्म के दूसरे गाने भी आपको इम्प्रेस करेंगे। रोचक कोहली का म्यूजिक तारीफ के काबिल है।
शैली का डायरेक्शन, एडिटिंग, सिनेमेटोग्राफी अच्छी है। रियल लोकेशन पर फिल्म की शूटिंग की गई है। हालांकि इनडोर शूटिंग ज्यादा है।
क्लाइमैक्स
फिल्म का क्लाइमैक्स थोड़ा बेहतर हो सकता था। अंत में राजकुमार नाटक के जरिए लोगों को समझाने की कोशिश करते हैं कि किसी लड़की का किसी दूसरी लड़की से प्यार करना कोई बीमारी नहीं होती। हालांकि यह नाटक मेरे लिए औसत रहा। इसे बेहतर ढंग से पेश किया जा सकता था।
इंडिया टीवी इस फिल्म को 5 में से 3.5 स्टार देता है।