दम लगा के हईशा
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क्या है फिल्म की कहानी
फिल्म की कहानी है प्रेम प्रकाश तिवारी उर्फ लप्पू (आयुष्मान खुराना) की जो अपने पिता (संजय मिश्र) के कैसेट्स के बिजनेस में हाथ बंटाता है। दसवीं फेल लप्पू को खूबसूरत बीवी की चाह है पर जब उसे भावी पत्नी के रुप में मंदिर में भारी भरकम संध्या (भूमि पेड़नेकर) को दिखाया जाता है तो उसके सारे सपने चकनाचूर हो जाते है।
मजबूरी में हुई शादी उबड़ खाबड़ रास्तों से गुज़रती हुई तलाक की दहलीज़ तक पहुंच जाती है। बहरहाल कहानी धीरे-धीरे आगे बढ़ती है और लप्पू जहां सयाना हो जाता है वहीं संध्या भी जिम्मेदार हो जाती है। फिर कहानी का वो मोड़ भी आ जाता है, जहां पूरी फिल्म कहती है- दम लगा के हईशा। अब दम लगाने के बाद आखिरकार कहानी किस करवट बैठती है, यह जानने के लिए आपको थियेटर का रुख करना पड़ेगा।
क्यों देखे ये फिल्म-
शादी क्या है? जरूरत, मजबूरी या खुशी का एक जरिया? ‘दम लगा के हईशा’ की कहानी इन्हीं बातों की ओर ध्यान खींचती है। कहानी में ऐसा कुछ नहीं है, जिसे लीक से हट कर कहा जाए। फिर भी यदि कहानी और कहानीकार दोनों लाजवाब हों तो सौ बार कही गई बात भी नयेपन का एहसास करा सकती है। इस बात को बतौर डायरेक्टर शरत कटारिया ने इस फिल्म के जरिये साबित भी कर दिया है।
फिल्म में जिस तरह से इस बात को दिखाया गया है कि शादी दो परिवारों, समाज और स्टेटस से इतर दो दिलों के मिलन पर ज्यादा निर्भर करती है, वह वास्तव में दर्शकों को तालियां बजाने पर विवश करता है। फिल्म के कलाकारों में खास कर संजय मिश्र, आयुष्मान खुराना और नवोदित अभिनेत्री भूमि पेड़नेकर ने अपनी बेजोड़ कलाकारी से फिल्म के कथानक को दम लगा कर मजबूती दी है। अपने भारी-भरकम शरीर के बावजूद भूमि ने जिस तरीके के डांस स्टेप्स किए हैं, उसे परदे पर देख कर काफी रोमांचक अनुभव होता है।
अंत में ये कहा जा सकता है कि ये फिल्म परिवार के साथ बैठ कर एक बार जरूर देखी जा सकती है।