Dhamaka Review: कार्तिक आर्यन की शानदार एक्टिंग लेकिन धमाका करने में जरा सी रह गई कसर
राम माधवानी की 'धमाका' को नेटफ्लिक्स पर रिलीज कर दिया है। इस फिल्म में कार्तिक आर्यन लीड रोल में हैं। जानिए कैसी है यह फिल्म?
बढ़िया सब्जी बनी हो लेकिन उसमें नमक डालना भूल जाएं तो क्या होगा। स्वाद की कमी रहेगी तो फिल्म में कितने भी मसाले और तेल पड़ा हो, सब बेस्वाद की श्रेणी में चला जाएगा। फिल्मों के साथ भी अक्सर ऐसा होता है। बढ़िया बिरयानी या चाट बनाने के लिए हर चीज का सही मिश्रण होना जरूरी है। आज ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई कार्तिक आर्यन की फिल्म 'धमाका' को देखकर भी यही राय दी जाए तो ज्यादा नहीं होगा। निर्देशक राम माधवानी द्वारा निर्देशित इस फिल्म में शानदार एक्टिंग, बेजोड़ कहानी के बावजूद कमजोर निर्देशन और बीच में आए लूपहोल ने सही तौर पर धमाका होने नहीं दिया।
चलिए जानते हैं कि फिल्म कैसी है और कहां झोल रह गया। हालांकि, ट्विटर पर फिल्म को लेकर अच्छे रिएक्शन आ रहे हैं लेकिन कहीं कुछ कमी रह गई जिसे समझ लिया होता तो फिल्म वाकई शानदार धमाका करने वाली थी।
कहानी
कहानी की बात करें तो न्यूज़ इंडस्ट्री का एक नामचीन एंकर बना अर्जुन पाठक (कार्तिक आर्यन) अपने चैनल के लिए जबरदस्त टीआरपी लाकर देने के लिए जाना जाता है। लेकिन किसी वजह से उसकी नौकरी चलती जाती है और तलाक (मृणाल ठाकुर से) भी हो जाता है। एक न एक दिन बड़ा धमाका करने का सपना देखने वाला अर्जुन रेडियो जॉकी बनकर गुजारा कर रहा है। एक रोज उसे धमाका करने का मौका मिलता है और एक कॉलर की कॉल के जरिए जो धमाका करने वाला है। अर्जुन कैसे इस इस कॉलर से बात करता है, कैसे मैनेज करता है। एक तरफ चैनल की टीआरपी तो दूसरी तरफ मौत के मुंह में फंसे लोग और उसकी बीवी। वो कैसे इस समस्या से पार पाता है, यही फिल्म की कहानी है।
निर्देशन
बताया जा रहा है कि धमाका कोरियन फिल्म The Terror Live की कहानी पर फोकस्ड है। फिल्म की कहानी शानदार है, रफ्तार अच्छी है, बैकग्राउंड म्यूजिक भी मजा बांध देता है और फिल्म तेज गति से अपनी मंजिल तक दौड़ती है। जैसा कि बताया गया है कि मात्र दस दिन में फिल्म की शूटिंग पूरी हो गई, उस लिहाज से वाकई निर्देशक ने कमाल किया है। यहां तक सब अच्छा था, लेकिन कमजोर कड़ी के रूप में फिल्म के सीक्वेंस और घटनाओं को जस्टिफाई करने में नाकामी को कहा जा सकता है। कोई चीज अगर हो रही है तो वो क्यों हो रही है, उसके पीछे क्या कारण रहा होगा। घटनाएं आपस में तारतम्य नहीं बिठा पा रही। जर्नलिज्म के नीतिगत मूल्यों पर फोकस करने वाली फिल्म में टीआरपी के पीछे की दौड़ को भी काफी सही तरीके से दिखाया गया है बस निर्देशक को घटनाओं को जस्टिफाई करने की खास जरूरत थी।
एक्टिंग
एक्टिंग के मसले पर बात करें तो वाकई इसे कार्तिक आर्यन का 'धमाका' कहा जा सकता है। उन्होंने शानदार एक्टिंग की है। उनके चेहरे पर आते जाते भाव दिखाते हैं कि वो कॉमिक और रोमांटिक रोल के साथ साथ दूसरे चैलेंज लेने के लिए तैयार हो चुके हैं।