Devara Part 1 Review: एक्टिंग बेजोड़ पर कहानी स्लो, सैफ और जूनियर NTR की जोड़ी जादुई अनुभव देने में कितनी कारगर?
Devara Part 1 Review: जूनियर एनटीआर, सैफ अली खान और जाह्नवी कपूर की फिल्म 'देवरा पार्ट 1' आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। इस फिल्म की कहानी और किरदारों को समझने के लिए पढ़ें पूरा रिव्यू।
जूनियर एनटीआर और जाह्नवी कपूर की मुख्य रोल वाली बहुप्रतीक्षित फिल्म 'देवारा: पार्ट 1' आज सिनेमाघरों में आ गई है। शिवा कोराटाला द्वारा निर्देशित इस हाई बजट फिल्म को लेकर खूब बज था। 'कल्कि 2898 एडी' के बाद ये इस साल की सबसे महंगी फिल्म रही है। आरआरआर के बाद एनटीआर से भी एक हाई ऑक्टेन फिल्म की दर्शकों को उम्मीद थी। इसके साथ ही सैफ अली खान एक बार लंबे वक्त के बाद निगेटिव रोल में पर्दे पर नजर आ रहे हैं। ऐसे में दर्शकों को ये जानने में खासी दिलचस्पी है कि ये फिल्म मनोरंजन करने में कितनी सफल रही? इसी को समझने के लिए हम आपको कहानी, अभिनय, निर्देशन के साथ ही सिनेमाई अनुभव से जुड़ी हर बारीक और सटीक जानकारी इस रिव्यू के जरिए देंगे। विस्तार से समझने के लिए पढ़े पूरा रिव्यू।
कहानी
लाल सागर के पास एक तटीय गांव रत्नागिरी पर आधारित इस फिल्म में देवरा (जूनियर एनटीआर), भैरा (सैफ अली खान), रायप्पा (श्रीकांत) और कई लोग गांव के रसूखदारों की भूमिका में हैं। वे जहाजों से माल की तस्करी में एक शक्तिशाली व्यक्ति मुरुगा (मुरली शर्मा) की सहायता करते हैं। साल 1996 की पृष्ठभूमि में कहानी शुरू होती है, जहां एक पुलिस वाला कुछ गैरकानूनी काम करने वाले लोगों की तलाश कर रहा है। इसी के बाद कहानी कई साल पीछे 1970 में जाती है, जहां दिखाया जाता है कि देवरा लुटेरों की एक भौज का लीडर है जो कारगो शिप से बड़ी लूट को अंजाम देते हैं। अपनी रोजी-रोटी के लिए वो इसे पेशा बना लेते हैं। कई वाक्यों को देखते हुए देवरा लूट की घटनाओं को अंजाम देने से पीछे हट जाता है। देवरा को अहसास होता है कि ये गतिविधियां गलत हैं, लेकिन भैरा इससे सहमत नहीं है, जिसके कारण उसने देवरा को मारने की योजना बनाई। घटनाओं के बीच ही एक मोड़ ऐसा आता है जिसमें देवरा गायब हो जाता है और बारह साल बीत जाते हैं। भैरा रत्नागिरी पर शासन करता है। इस बीच वो देवरा को खोजने और मारने के लिए दृढ़ संकल्पित है। देवरा का बेटा वारा निर्दोष और असहाय है। बाद में वह भैरा के साथ मिल जाता है।
अब ये सोचने वाली बात है कि देवरा के बेटे वारा ने भैरा से गठबंधन क्यों किया? क्या वह अपने पिता की इच्छा के विरुद्ध जा रहा है? क्या वारा के पास देवरा की कोई बुरी यादें हैं? देवरा कहाँ है और क्या वह जीवित है? क्या भैरा देवरा को मौत के घाट उतारने में कामयाब हो गया है? ऐसे कई सवालों के जवाब कहानी में मिलेंगे और कहानी को देखकर यही लगेगा की 'बाहुबली' की तरह ही कई सवालों के जवाब अलगे पार्ट में मेकर्स देने की तैयारी कर रहे हैं। 'पुष्पा', 'केजीएफ' और 'बाहुबली' की तरह ही ये फिल्म भी एक बार फिर वफादारी, नैतिकता और पारिवारिक संबंधों के बारे में बात कर रही है।
अभिनय
जूनियर एनटीआर ने 'देवरा: पार्ट 1' में ठोस और दमदार प्रदर्शन किया है। उन्होंने अपनी योग्यता साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। उन्होंने साफ कर दिया है कि वो एक प्रभावी कलाकार हैं और उन्हें बड़े पर्दे पर देखना किसी विजुअल ट्रीट से कम नहीं है। जूनियर एनटीआर दोहरे किरदार में हैं। देवरा और वारा दोनों के किरदार में वो निखर के सामने आए हैं। देवरा के रूप में वह विनम होने के साथ विनाश करने वाले शख्स के तौर पर दिख, वहीं वारा के रूप में उनका चित्रण मासूमियत और कायरता को दिखाने में सफल है। वह आकर्षक प्रदर्शन करते हुए दोनों भूमिकाओं को प्रभावी ढंग से बैलेंस कर रहे हैं।
सैफ अली खान भैरा के रूप में चमक रहे हैं। बदला लेने की भावना को दिखाने में उनका चित्रण शानदार है। इस टॉलीवुड में उनकी एक सराहनीय शुरुआत माना जा सकता है। सैफ अली खान जितनी देर भी पर्दे पर नजर आते हैं, वो बांधे रखने में कारगर हैं। अगर उनको थोड़ा और स्क्रीन स्पेस मिलता तो वो एक बार को जूनियर एनटीआर पर भारी भी पड़ सकते थे। जाह्नवी कपूर का स्क्रीन स्पेस कम है। उन्होंने फिल्म में थंगम का किरदार निभाया है, जो जूनियर एनटीआर की प्रेमिका के रोल में हैं। जाह्नवी कपूर बेहद खूबसूरत लगी हैं, लेकिन अभिनय कौशल दिखाने का उन्हें खास मौका नहीं मिला है। इसके अलावा सहायक कलाकारों श्रीकांत, प्रकाश राज और मुरली शर्मा का काम प्रभावित करने वाला है।
निर्देशन और प्रोडक्शन
फिल्म में दिखाए गए एक्शन सीक्वेंस असाधारण क्षण देते हैं, जिनमें दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने और उत्साहित करने की क्षमता है। इनको कुशलता से फिल्माया भी गया है। इसके अलावा कई संवाद (डायलॉग्स) भी गहरा असर छोड़ने वाले हैं, दो देवरा के किरदार को काफी बल दे रहे हैं। इन डायलॉग्स को आप सीटी मार वाले संवाद कह सकते हैं। इन पर सीटियों के साथ ही खूब तालियां भी बजेंगी। कहानी मनोरंजक है, लेकिन कई हिस्सों में बोझिल भी करती है। कई जगहों पर आप पहले ही गेस कर लेंगे कि आगे कहानी में क्या होने वाली है। साउथ की कई और फिल्मों से इसे आप रिलेट भी करेंगे। पूर्वानुमानित कहानी इस फिल्म का सबसे बड़ा ड्रॉबैक है। कोराटाला शिवा कुछ हिस्सों में सुधार कर सकते थे, खासकर दूसरे भाग में जहां पटकथा अधिक आकर्षक हो सकती थी। पहला भाग खिचता है और इंटरवल के बाद कहानी थोड़ा बंधती है, लेकिन क्लाइमेक्स अचानक ही आ जाता है, जो शॉकिंग लगता है। कुछ दृश्यों में प्रभावी निष्पादन की कमी नजर आ रही है। अगर इन्हें और निखारा जाता तो कहानी ज्यादा प्रभावी हो सकती थी।
शिव कोराटाला लेखक और निर्देशक दोनों हैं। ऐसे में कहानी को निखारने का पूरा जिम्मा उनके कंधों पर ही रहा है। अगर उनका लेखन बेहतर होता तो निर्देशन में भी उसका असर देखने को मिलता और कहानी को भावनात्मक गहराई मिल सकती थी। रत्नवेलु की सिनेमैटोग्राफी और अनिरुद्ध रविचंदर का संगीत असाधारण है, जो कई हिस्सों में बेजोड़ सिनेमैटिक अनुभव देगा। एक्शन कोरियोग्राफी प्रभावशाली है। कुल मिलाकर प्रोडक्शन वैल्यू सराहनीय है।
कैसी है फिल्म की कहानी
जूनियर एनटीआर का स्वैग देखने लायक है। सैफ कहानी में आकर्षक हैं। दुर्भाग्य से 'देवारा' अपनी मुख्य नायिका जाह्नवी कपूर को अभिनय के लिए खास मौका नहीं दे रही है। फिल्म की सिनेमैटोग्राफी एक विजुअल ट्रीट है, मगर लेखन और निर्देशन कमजोर हैं। कुल मिलाकर सिनेमैटोग्राफी और एक्टिंग ही इसे डूबने से बचा रहे हैं। फिल्म आपको नया अनुभव नहीं देती है, कुल मिलाकर कहें तो ओरिजिनैलिटी की भारी कमी है। साथ ही फिल्म में कोई स्टैंडआउट मोमेंट भी नहीं है। ऐसे में इस फिल्म को इंडिया टीवी 2.5 स्टार दे रहा है।