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एवेंजर्स: एज ऑफ अल्ट्रॉन पैसा वसूल फिल्म है

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IndiaTV News Desk 24 Apr 2015, 3:30:00 IST
मूवी रिव्यू:: Avengers: Age of Ultron
Critics Rating: 3.5 / 5
पर्दे पर: 24 APRIL, 2015
कलाकार: रॉबर्ट डाउनी जूनियर, क्रिस इवेंस, मार्क रफेल्लो, क्रिस हेम्सवर्थ , स्कारलेट जोहेंसन
डायरेक्टर: जॉस व्हीडन
शैली: एक्शन
संगीत: ब्रायन टायलर

फिल्म की कहानी- एवेंजर्स टीम के सदस्य टोनी स्टार्क/आयरन मैन (रॉबर्ट डाउनी जूनियर), कैप्टन अमेरिका (क्रिस इवेंस), हल्क (मार्क रफेल्लो), थॉर (क्रिस हेम्सवर्थ), ब्लैक विडो (स्कारलेट जोहेंसन) और हॉकआइ (जेरेमी रेनर) शक्तिशाली मशीनरी फौज से दुनिया की रक्षा कर रहे है। इसी बीच टोनी स्टार्क को ये पता चलता है कि एक अनजानी ताकत का निर्माण हो रहा है। हालांकि उस खतरे का एहसास एवेंजर्स को तब होता है जब एक जश्न के दौरान पहली बार वो ताकत उनके सामने आती है। ये ताकत असल में टोनी स्टार्क की ही खोज होती है जो दुनिया की हिफाज़त के लिए बनीई गई थी। लेकिन एक गलत प्रोग्रामिंग की वजह से वो बेकाबु हो जाती है और दुनिया को खत्म करने की ठान लोती है। एवेंजर्स का मिशन है उसे रोकना और दुनिया को खत्म होने से बचाना।

क्या है खास-

हाथ में पॉपकार्न और कोल्ड्रिंग लिए जब आप एवेंजर्स को देखने बैठते है तो पहले ही सीन से आपको पता चल जाता है कि बॉस एवेंजर्स बातों में अपना समय बर्बाद नहीं करेगी। फिल्म का जॉनर एक्शन है और इस उस बात को डायरेक्टर जॉस व्हीडन गंभीरता से लेते है। फिर भले ही फिल्म के स्टोरी के खिलाफ एक-आध एक्शन सीन जबरदस्ती ही ठूंस दिए गए हों।

फिल्म का पैसा वसूल एक्शन सीन वो है जिसने आपको ट्रेलर में भी आकर्षित किया था। जी हां, आयरन मैन और महामानव हल्क का महासंग्राम। तकरीबन पांच मिनट लंबा ये सीन आपको तस से मस होने नहीं देता वहीं लड़ाई के दौरान रॉबर्ट डाउनी जूनियर की हल्कि-फुल्कि कमेंट्री उसपर सोने पे सुहागे का काम करती है। लड़ाई के दौरान में ऐसा हंसी-मजाक इस फिल्म की यूएसपी है और पूरी फिल्म में वन-लाईनर्स आपको गुदगुदाते रहते है।

अब जब इतने बडे-बड़े सुपरहीरो एक टीम में हो तो उनके ईगो में तकरार होना तो लाज़मी है हालांकि एवेंजर्स 1 के मुकाबले इस बार उनमें तकरार कम देखने की मिलती है जो की ठीक है। लेकिन हर एक एवेंजर लड़ते वक्त भी अपना स्टाईल मारने से बाज़ नहीं आता जो कि पहले पार्ट में खूब देखा गया था और उम्मीद है कि अगली बार भी देखने को मिलेगा।

जो और देखने को मिलता है वो हैं तीन नए सुपरहीरोज़। एक जो हवा से भी तेज़ भागता है, दूसरा जो किसी को भी गुमराह कर सकता है और तीसरे के बारे में अगर आप खुद जाने तो बेहतर होगा। तीनों बाकी एवेंजर्स के होते हुए भी अपनी छाप छोड़ते है। अगले पार्ट में इन्हें हम दुबारा देख पायेंगे की नहीं, ये तो वक्त ही बताएगा।

क्या कमजोर बनाता है फिल्म को-

हालांकि कमज़ोर कड़ियां कई है लेकिन फिल्म उनकी वजह से कम इंटरटेनिंग नहीं होती। फिर भी उनका जिक्र जरूरी है। फिल्म का रोबॉटिक विलेन सबसे कमजोर मालूम पड़ता है। एक्शन के अलावा वो ज्यादा समय बातों में बिताता है और एवेंजर्स की भव्य मौजीदगी के आगे वो कहीं न कहीं हल्का पड़ता है। इमोश्नल एंगल भी जबरदस्ती का लगता है जो की फिल्म की गति को धीमा करने के अलावा और कुछ नहीं करता।

आखिरी राय-

फिल्म को मैने 2डी में देखा था लेकिन ऐसा नहीं है कि मैं 3डी के खिलाफ हूं। फिल्म में कुछ कमाल के द्रश्य है जिनको आप 3डी चश्मे से झांके तो उसे देखने का मज़ा दोगुना हो सकता है। लेकिन 3डी या 2डी के चयन में ज्यादा समय बर्बाद करने की जरूरत नहीं है न ही फिल्म में अपना दिमाग लगाने की। फैमली के साथ जाईये, दोस्तों के साथ या फिर अकेले, फिल्म आपका मनोरंजन जरूर करेगी।