Annabelle Comes Home: एनाबेल फिर से आ गई है डराने
Annabelle Comes Home Movie Review: आइए जानते हैं डराने में कितनी कामयाब हुई है 'एनाबेल कम्स होम'
हॉलीवुड फिल्म 'एनाबेल: कम्स होम' रिलीज हो चुकी है। हॉलीवुड में साल में एक बार जरूर कोई बड़ी हॉरर मूवी आती है जिसे इंडिया के दर्शक भी खूब पसंद करते हैं। It, Annabelle Creation, Consuring समेत की सारी फिल्में आईं और भारतीय दर्शकों को खूब पसंद भी आई। कॉन्ज्यूरिंग यूनिवर्स फ्रैंचाइज़ी की फिल्म 'एनाबेल कम्स होम' रिलीज हो गई है। आइए जानते हैं कि यह फिल्म डराने में कितना कामयाब हुई है।
फिल्म की कहानी एनाबेल डॉल की है जिससे हर कोई डरता है। इस कहानी में वॉरेन (पैट्रिक विल्सन और वेरा फ़ार्मिगा) की 10 साल की बेटी जूडी (मैकेंना ग्रेस) और उसकी बेबी सिटर और बेबीसिटर की फ्रेंड को एनाबेल अपना निशाना बनाती है। इस फिल्म की शुरुआत होती है एनाबेल डॉल से, जिसमें बुरी शक्तियां और एक बुरी शक्तियों को काबू करने वाला कपल उसे कब्जे में लेकर अपने घर में कैद कर देता है। उन्हें घर से बाहर जाना पड़ता है और वो बेबीसिटर एलेन (मैडिसन इस्मेन) को बुलाते हैं। यहां तक सब ठीक होता है लेकिन एलेन की बेस्ट फ्रेंड डेनिएला (केटी सरिफ़) भी जूडी के घर आती है उसका घर देखने लगती है।
जिसके बाद घर में कुछ ऐसा होता है कि सारी बुरी शक्तियां बाहर आ जाती हैं, एनाबेल डॉल भी बाहर निकल आती है जो सबसे खतरनाक है। अब वो बच्ची जूडी कैसे उनसे निपटती है इसी पर पूरी फिल्म बेस्ड है। उसके साथ एक ऐसी घटना होती है जिसकी वजह से वो जानबूझकर उस कमरे में जाती है जहां जूडी के मम्मी पापा शैतानों को कैद करके रखते हैं। फिल्म के डायरेक्टर और राइटर गैरी डबर्मन ने फिल्म को बेहद साधारण तरीके से दर्शकों के सामने लाते हैं।
फिल्म के अगर हॉरर की बात की जाए तो पिछली फिल्म के मुकाबले हॉरर फिल्म में कम ही नजर आया है। फिल्म बहुत छोटी है, और आपको दो टीन-एज लड़कियों की बेवकूफियां डराएंगी कम और हंसाएंगी ज्यादा। जब पता है कि उस कमरे में बुरी शक्तियां हैं तो वहां जाने की क्या जरूरत है। हॉलीवुड की लगभग हर फिल्म में यही होता है कि जहां भूतों का साया होता है वहीं परिवार रहने आ जाता है या फिर उस जगह पर पहुंच जाते हैं लोग।
ये समझ में नहीं आता जिस बच्ची के माता-पिता खुद बुरी शक्तियों से लड़ने वाले हैं वो क्यों अपनी छोटी सी बच्ची को एक टीनएज बेबी सिटर के भरोसे बुरी शक्तियों से भरे कमरे वाले घर में छोड़कर जाते हैं और खास बात यह है कि एक बार भी फोन नहीं करते हैं। हम इंतजार ही करते रह जाते हैं कि शायद जूडी के मम्मी पापा वापस आएं लेकिन वो फिल्म खत्म होने के बाद ही आते हैं।
एक्टिंग की बात करें तो चाइल्ड स्टार मैकेंना ग्रेस ने बेहतरीन काम किया है। पैट्रिक विल्सन और वेरा फ़ार्मिगा ज्यादा समय स्क्रीन पर नहीं है पर उनकी मौजूदगी जरूर पूरी फिल्म में महसूस होगी। फिल्म एंटरटेनिंग है लेकिन हॉरर कम है फिल्म में।
फिल्म का म्यूजिक अच्छा है और सिनेमैटोग्राफी भी अच्छी हुई है। लेकिन हॉ़लीवुड की हॉरर फिल्मों में लाइटिंग इतनी कम कर देते हैं कि कई बार आपका मजा ही खराब हो जाता है।
खैर मूवी एंटरटेनिंग है और आप वीकेंड का मजा लेना चाहते हैं तो फिल्म देख सकते हैं। इंडिया टीवी इस फिल्म को दे रहा है 5 में से 2.5 स्टार।