एयरलिफ्ट
Airlift movie review starring Akshay Kumar, Nimrat Kaur is here. Read it full.
“जी मैं कुवैत से रंजीत कत्याल बोल रहा हूं, मुझे कुवैत में रह रहे इंडियंस की सिचुएशन के बारे में बात करनी है”, फिल्म का यह संवाद सिनेमाघरों में अपने साथ पॉपकॉर्न लिए बैठे दर्शकों के रोंगटे खड़े कर देता है। सच्ची घटना पर आधारित यह फिल्म इंसानी फितरत और देशभक्ति के मर्म को बारीकी से पेश करती हुई नजर आती है। 1990 के इराक और कुवैत युद्ध के बाद के हालातों पर बनी यह फिल्म कई मायनों में एक बेहतर फिल्म कही जा सकती है। फिल्म क्रिटिक्स इस फिल्म को ढ़ाई स्टार दे रहे हैं लेकिन इस फिल्म को कम से कम तीन स्टार दिए जा सकते हैं। बहरहाल यह एक देखने लायक फिल्म है।
क्या है फिल्म में:
एक मतलबी बिजनेस मैन, कुवैत में ऐशो आराम की जिंदगी, इराक का कुवैत पर हमला, इंडियन एंबेसी से शुरुआती मदद न मिलना, यूएन का भी कुवैत पर आयात-निर्यात को लेकर प्रतिबंध लगाना और ऐसे मुश्किल हालातों में 1 लाख 70 हजार भारतीयों का कुवैत में फंसा होना.....। इसी बीच एक शख्स मसीहा बनकर उभरता है...नाम रंजीत कत्याल। इन तमाम सीक्वेंसेस को निदेशक राजा कृष्ण मेनन ने खूबसूरती से पिरोया है। मेनन की मेहनत और सोच काबिल-ए-तारीफ है। रंजीत कत्याल की बेमिसाल हिम्मत और अपनों के लिए कुछ कर गुजरने की सनक ही ‘एयरलिफ्ट’ है। फिल्म के कुछ संवाद आपको भावुक कर सकते हैं, सोच में डाल सकते हैं और आप यकीन मानिए गणतंत्र दिवस से ठीक पहले रिलीज की गई यह फिल्म एक ऐसे मुद्दे को ज्वलंत करेगी जिसपर प्रमुखता से बात कम ही की जाती है और वो है सच्ची देशभक्ति।
क्या है फिल्म की कहानी:
फिल्म एक मतलबी बिजनेस मैन रंजीत कत्याल (अक्षय कुमार) के इर्दगिर्द घूमती है। रंजीत कट्याल कुवैत में अपनी पत्नी (निमरत कौर) के साथ ऐशो आराम की जिंदगी जी रहे होते हैं। इसी बीच कहानी में ट्विस्ट आता है। इरान कुवैत पर हमला कर देता है और वहां करीब 1 लाख 70 हजार लोग मुश्किल में फंस जाते हैं। रंजीत वहां फंसे भारतीयों को बचाने की कोशिश करता है। इस दौरान उसे कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। पहले भारतीय एंबेसी से भी कोई मदद नहीं आती है, बाद में यूएन भी कुवैत से आयात निर्यात पर प्रतिबंध लगा देता है। तमाम कोशिशों के बाद भारत अपने लोगों को बचाने की तैयारी करता है और रंजीत कत्याल कुवैत में फंसे सभी भारतीयों को बचाने की कोशिश का अगुआ बनता है। इस पूरी जद्दोजहद को करते-करते रंजीत को किन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है फिल्म में यही दिखाने की कोशिश की गई है। गणतंत्र दिवस के मौके पर अक्षय की देशभक्ति के रंग में डूबी इस फिल्म को देखना दर्शकों के लिए काफी अच्छा विकल्प है।