सोचने पर मजबूर करेगी 'एक्सीडेंट और कांस्पीरेसी', कहानी की ढाल है रणवीर शौरी की दमदार एक्टिंग
रणवीर शौरी, मनोज जोशी, हितू कनोडिया, डेनिशा घुमरा और राजीव सुरती की फिल्म 'एक्सीडेंट और कांस्पीरेसी' 2002 में हुए गुजरात दंगों की वास्तविक घटना पर आधारित है। एमके शिवाक्ष द्वारा निर्देशित यह फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। पूरा रिव्यू जानने के
'एक्सीडेंट और कांस्पीरेसी' की रिलीज को लेकर काफी विवाद हुआ है। आखिरकार फिल्म रिलीज हो गई है। फिल्म भारतीय इतिहास के सबसे भयावह दंगों में से एक के बारे में बात करती है, जिसने सभी को चौंका दिया था। साल 2002 में गुजरात के गोधरा रेलवे स्टेशन पर साबरमती ट्रेन के दो डिब्बों में आग लगाकर 59 लोगों को जला दिया गया था। ट्रेन अयोध्या से आ रही थी और उसमें सवार ज्यादातर लोग कारसेवक थे। यह फिल्म इसी घटना पर आधारित है और आपको इसके पक्ष या विपक्ष के बारे में कोई राय कायम करने नहीं देगी। 'एक्सीडेंट और कांस्पीरेसी' बस दंगों से पहले और बाद के परिदृश्यों को प्रस्तुत करती है। 'वे बनाम हम' मानसिकता के बारे में बात करती है और दर्शकों को किसी से नफरत करने के लिए प्रेरित नहीं करती है, बल्कि एक दुर्भाग्यपूर्ण सामान्य मानसिकता है के बारे में बात करती है।
कहानी
फिल्म की शुरुआत उस घटना से होती है जब लोगों के शवों को अस्पताल ले जाया जा रहा होता है। आप गुजरात राज्य के कई हिस्सों को जलते हुए देखेंगे हैं और कुछ दृश्य ऐसे हैं जो आपको असहज महसूस करा सकते हैं। भयावह दृश्य से बढ़कर कहानी फिर एक दिलचस्प कोर्टरूम ड्रामा की ओर जाती है। कहानी में महमूद कुरैशी (रणवीर शौरी द्वारा अभिनीत) नामक एक वकील अदालत में गोधरा मामले में मुस्लिम पक्ष का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि रवींद्र पंड्या (मनोज जोशी द्वारा अभिनीत) हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करता है। फिल्म में मीडिया के प्रभाव को भी दर्शाया गया है। मामले का लक्ष्य यह निर्धारित करना है कि गोधरा की घटना एक दुर्घटना थी या एक साजिश। फिल्म मुख्य रूप से नानावटी-मेहता आयोग द्वारा सामने रखे गए दृष्टिकोणों से संबंधित है।
फिल्मी में कुरैशी, एक वकील के तौर पर गोधरा ट्रेन आग मामले को एक दुर्घटना के रूप में प्रदर्शित करने का प्रयास करता है, वहीं पंड्या इस पूरी घटना को सिस्टम की विफलता बताता है। अभिमन्यु (एमके शिवाक्ष द्वारा अभिनीत) नामक एक कॉलेज छात्र को भी फिल्म में दिखाया गया है और वह अपने प्रोजेक्ट के लिए गोधरा पर शोध करना शुरू करता है। उसका सवाल है कि इस घटना में केवल अल्पसंख्यकों की ही जान क्यों गई, जो कि सबसे अलग सवाल के तौर पर सामने आता है। कोर्ट रूम में बहस और सत्य घटना से प्रेरित इस फिल्म की पठकथा है, लेकिन अपने टाइटल के लिहाज से फिल्म अनंत तक 'दुर्घटना या साजिश' के सवाल का जवाब नहीं देती।
निर्देशन और लेखन
एमके शिवाक्ष ने 'एक्सीडेंट और कांस्पीरेसी: गोधरा' का निर्देशन इस तरह से किया है कि फिल्म कहीं भी उबाऊ नहीं लगती, लेकिन उनकी तमाम कोशिशों के बावजूद अंत तक पटकथा ढीली पड़ जाती है। फिल्म कोर्ट में आगे बढ़ती है और फ्लैशबैक में अतीत के बारे में बात करती है, क्योंकि अभिमन्यु गोधरा की सच्चाई जानने की कोशिश करता है। प्रभावशाली संवादों के साथ-साथ इस फिल्म का कथानक भी दमदार है। कुछ क्लिप देखने में लोगों को दिक्कत हो सकती है, क्योंकि वे बेहद भयानक हैं, जीवित और मृत दोनों को आग में झुलसे दिखाया गया है। फिल्म का यह हिस्सा थोड़ा ज्यादा खिंचा हुआ भी लगता है। निर्देशक ने गोधरा ट्रेन मामले से जुड़े तथ्यों को पेश करने का अच्छा प्रयास किया है। कानूनी संदर्भ के अंदर और बाहर दोनों जगह सावधानी से सोचे-समझे संवादों का इस्तेमाल किया गया है। इतना ही नहीं एक बेहद विवादास्पद विषय पर बहुत ही संवेदनशील तरीके से काम किया गया है, लेकिन कुछ जगहों पर निर्देश फीका भी पड़ रहा है। फिल्म का साउंडट्रैक भी उतना ही बढ़िया है जितना कि इसकी कहानी। वी. रक्स और युग भुसाल द्वारा बनाए गए बेहतरीन साउंडट्रैक से लोकेशन काफी हद तक जस्टिफाई हो जाती है। 'हो मंगलम' गाने में कैलाश खेर की आवाज ने फिल्म की चमक को और बढ़ा दिया है।
अभिनय
'एक्सीडेंट ऑर कॉन्स्पिरेसी: गोधरा' में इसके कलाकारों से दमदार अभिनय की जरूरत थी क्योंकि इसे देखना मुश्किल है और इस नाटकीय कोर्टरूम को पूरी तरह से निर्देशित करते हुए शिवाक्ष ने मनोज जोशी और रणवीर शौरी को असली सिनेमा स्टार के रूप में पेश किया है। रणवीर और मनोज का अभिनय पूरे समय बेहतरीन रहा क्योंकि कोर्टरूम में दिखाए गए दृश्य बिल्कुल वास्तविक लगते हैं। हितू कनोडिया और डेनिशा घुमरा ने भी अपनी अभिनय क्षमता साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। तुलसी देवी की भूमिका में अक्षिता नामदेव प्रभावशाली हैं।
कैसी है फिल्म
'एक्सीडेंट ऑर कॉन्स्पिरेसी: गोधरा' एक भावनात्मक फिल्म है। यह फिल्म उन लोगों को पसंद आएगी जो वास्तविक जीवन पर आधारित फिल्मों में रुचि रखते हैं। कोर्टरूम ड्रामा के प्रेमी भी एमके शिवाक्ष की फिल्म से प्रभावित होंगे। कुछ मौकों पर थोड़ी भटकी होने के बावजूद, यह फिल्म गोधरा की कहानी को बयां करने का एक बेहतरीन प्रयास लगती है। रणवीर शौरी का दमदार अभिनय आपको अभिनेता के लिए भी दुखी कर सकता है क्योंकि उन्हें अवसरों की कमी के बाद बिग बॉस का प्रस्ताव स्वीकार करना पड़ा। सभी बातों पर विचार करने के बाद 'दुर्घटना या साजिश: गोधरा' एक बार देखने लायक फिल्म है जो 3 स्टार की हकदार है