फिल्म समीक्षा: ABCD 2

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IndiaTV News Desk 19 Jun 2015, 3:30:00 IST
मूवी रिव्यू:: ABCD 2
Critics Rating: 3 / 5
पर्दे पर: 19 JUNE, 2015
कलाकार:
डायरेक्टर: रेमो डीसूजा
शैली: डॉन्स फिल्म
संगीत: सचिन जिगर

निर्देशक: रेमो डीसूजा
कलाकार: वरुण धवन, श्रद्धा कपूर, प्रभु देवा
गीतकारः सचिन-जिगर
रेटिंगः 3 स्टार्स

इस बार अपनी डांस टीम को लास वेगस ले जाने वाले निर्देशक रेमो डीसूजा ABCD 2 में डांस के नए-नए फार्मेट से हमारे रोंगटे खड़े कर देते हैं। लेकिन फिल्म में कहानी के नाम पर वो कुछ भी नहीं देते।

फिल्म में अगर कहानी के नाम पर कुछ है, तो मां और देशभक्ति जैसी भावना जिससे वो हमें भावुक और फिल्म से जोड़ने की कोशिश करते हैं जैसे पिछले ही वर्ष आई शाहरुख खान की फिल्म 'हैपी न्यू इयर' ने किया था। एक तरीके से एबीसीडी 2 उस फिल्म को श्रद्धाजलि भी है। हालांकि तुलना करें तो ये फिल्म उससे काफी बेहतर है लेकिन उसकी वजह बताने से पहले आपको देते है कहानी का छोटा सा विवरण।

सुरेश (वरुण धवन) और उसका ग्रुप मुंबई में हो रहे डांस कॉप्टीशन में हार जाता है क्योंकि उसपर इल्जाम लगा है कि उसने डांस का हर एक स्टेप फिलिपीन्स के एक ग्रुप से चुराया है। ऐसे में सुरेश और उसके दोस्तों के ऊपर 'चीटर' का टैग लग जाता है। लेकिन फिर उसको पता चलता है कि लास वेगस में वर्ल्ड हिप-हॉप प्रतियोगिता है और इसको वो अपने ऊपर लगे दाग को हटाने का तरीका मान बैठता है। इसी दौरान उसकी मुलाकात होती है विष्णु (प्रभु देवा) से जो खुद भी सपना देख रहा है उस बड़ी प्रतियोगिता में हिस्सा लेने का। जैसे-तैसे मानने के बाद विष्णु उनका गुरू बन जाता है और उनको वेगस लेकर जाता है। ये लोग अपने ग्रुप का नाम स्टनर्स रखते हैं और आगे की कहानी स्टनर्स के प्रतियोगिता में दुनिया भर से आए कॉम्पटीटर्स को कड़ी टक्कर देने के बारे में है।

और सही मायने में ये एक कड़ी टक्कर है जो काबिल-ए-तारीफ है। काश इसकी कहानी के लिए भी हम यही कह पाते। रेमो इस पर ज्यादा ध्यान नहीं देते। फिल्म का प्लॉट ही इतना कमजोर है कि शुरुआत में ही आप हाथ खड़े कर लेते है।

आखिर कौन से डांस शो में देखा गया है कि प्रतियोगियों के स्टेज पर्फार्मेंस के वक्त जज अपने फोन पर ये पता कर रहे हैं कि उनका डांस किससे मिलता है? प्रभु देवा की लव स्टोरी का किस्सा भी हमारे समझ से बाहर है। वहीं लोरेन की वेगस में देसी नंबर पर एंट्री करना भी जबरन लगता है। इन सब के चलते फिल्म काफी प्रेडिक्टिबल है, ऊपर से 2 घंटा 35 मिनट लंबी।

लेकिन फिर जब डांस की बेहतरीन तजुरबे वाली टोली आपके सामने है तो भला आप-हम क्यों चिंता करे बाकी चाजों की।

ये न भूलिए ABCD का मतलब यहां पर एनी बडी केन डांस है और रेमो का कहना है कि डांस को लेकर कोई मजाक नहीं। गीतकार सचिन-जिगर के म्यूजिक पर रेमो के बेहतरीन डांस का मिश्रण सराहनीय है।

ये एक हिस्सा है जो आपको कुछ और सोचने ही नहीं देता। जब-जब हमारे जाबाज़ और कमाल के करतबाज एक-एक कर अपना हुनर दिखाने के लिए  स्क्रीन पर आते हैं तो आपको चौका कर ही मानते है। जितनी निंदा इस फिल्म की पटकथा की हम करते हैं उससे कई ज्यादा तालिया हम स्टनर्स ग्रुप के हर एक सदस्य के लिए बजाते हैं। अब चाहे वो सिर्फ किसी एक की प्रेक्टिस के लिए बजे या पूरे ग्रुप के स्टेज पर तहलका मचाने के लिए।

आपके मुंह से तारीफे तो ये लेकर ही जाते हैं। ऐसे में भले ही 'इंडिया-इंडिया' का नारा और 'मां' की ममता समय-समय पर मेलोड्रामा बढ़ाती हों लेकिन आखिर में हम उनको नज़र अंदाज कर ही देते है।

अदाकारी की बात कम ही करें तो ठीक क्योंकि ज्यादा समय कलाकारों का अपनी डांसिंग को दिखाने में बीतता है।

वरुण धवन को डांस से कितना लगाव है ये तो हम सब जानते ही हैं। फिल्म में उनको देखकर लगता है कि न जाने कब से वो ऐसे ही किसी प्लेटफार्म के इंतजार में थे जहां वो पूरी तरह से अपने आपको निचोड़ सकें।

श्रद्धा कपूर हमें आश्चर्य करती है। फिल्म के सीन्स में उनकी बार-बार अभ्यास करने की जिद जायज़ है क्योंकि उसी का नतीजा है कि वो मंझे हुए डांसर्स के बीच अपनी मौजूदगी दर्ज कराती हैं।

प्रभु देवा के किरदार में ट्विस्ट है लेकिन वो ज्यादा प्रभाव नहीं डालता हालाकिं उनकी अदाकारी अच्छी है।

लॉरेन का तो कोई जवाब नहीं। अमेरीका की ये डांसर तो दुनिया भर में अपनी कला का लोहा मनवा चुकी हैं और एक बार फिर इस फिल्म में वो अपने हिस्सेदारी में बढ़िया प्रदर्शन करती हैं।

आखिर में यही कहना चाहेंगे कि अगर आप डांस के शौकीन हैं तो ये फिल्म आपको खूब पसंद आएगी। और अगर नहीं है तो भी आप इससे निराश नहीं होंगे बशर्ते फिल्म में लाजिक्स की खोज न करें तो।