83 Movie Review: '83' की जीत के जोश और जज्बे को कायम रखने में कामयाब मूवी, रणवीर सिंह की ट्रांसफॉरमेशन याद रहेगी
कोरोना के फैले संक्रमण की वजह इस फिल्म की रिलीज को नई तारीख मिलती गई। कोरोना ने दर्शकों के सब्र का इंतिहान तो लिया ही है लेकिन कहते हैं - देर आए मगर दुरुस्त आए! '83' को आने में देर तो लगी लेकिन एक मस्ट वॉच के तौर इस देरी को दर्शक हमेशा नजरअंदाज करना चाहेंगे।
कबीर सिंह के निर्देशन में बनी फिल्म '83' का दर्शक बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। यह फिल्म 24 दिसंबर को सिनेमाघरों में दस्तक देने वाली है। फिल्म को लेकर दर्शकों का उत्साह देखने लायक है, और हो भी क्यों न! जिस देश में क्रिकेट को दूसरा धर्म माना जाता है, उस देश में 38 साल पहले रचे गए क्रिकेट विश्वकप की जीत के इतिहास की इबारत रुपहले पर्दे पर गढ़ी जा रही है।
जिस उत्साह के साथ दर्शक क्रिकेटरों को मैदान में देखने के लिए आज आतुर रहते हैं ठीक वैसा ही नजारा आने वाले दिनों में सिनेमाघरों में देखने को मिल सकता है। क्योंकि रणवीर सिंह स्टारर फिल्म '83', दिग्गज क्रिकेटर कपिल देव की बायोपिक है, जिन्होंने क्रिकेट का मक्का कहे जाने वाले लॉर्ड्स पर उस वक्त की अजेय टीम वेस्टइंडीज को क्रिकेट के मैदान पर धूल चटा दी थी। मगर सवाल है कि क्या ये फिल्म वाकई ऐसी है जिसका दर्शक इससे उम्मीद कर रहे हैं?
कहानी
कपिल देव द्वारा अगुवाई में टीम इंडिया साल 1983 का विश्वकप खेलने पहुंची है। इस टीम को अंडरडॉग के रूप में देखा जा रहा है। कबीर खान की '83' भारत में दूसरा धर्म कहे जाने वाले क्रिकेट की जर्नी की वह कड़ी है जिसे हर क्रिकेट प्रेमी अपनी पलकों पर सजा कर रखना चाहेगा। फिल्म '83' में दिखाया गया है कि कभी अंडरडॉग रही टीम इंडिया कैसे विश्वकप में अपने झंडे गाड़ती है और इसे हासिल करने के लिए टीम के खिलाड़ियों को किन-किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है?
निर्देशन
कबीर खान अपनी फिल्मों के जरिए दर्शकों की पसंद पर एक पैनी नजर रखते हैं। उनकी बेहद कमर्शियल फिल्में इसलिए सफल हुईं क्योंकि उन्हें पता है कि दर्शकों को किस तरह का टेस्ट पसंद है। 'बजरंगी भाईजान' की सफलता का क्रम रणवीर सिंह स्टारर '83' में भी कायम होने वाला है, क्योंकि यह फिल्म 38 साल पहले के विश्वकप में भारतीय क्रिकेट टीम की जीत को एक ट्रिब्यूट है, जिसे महसूस करना हर क्रिकेट प्रेमियों के लिए भावुक क्षण होता है। अपने करिश्माई निर्देशन से कबीर खान ने साल 1983 के वक्त का बेहद ख्याल रखा और उसे रुपहले पर्दे पर उतारा। निर्देशक ने कॉस्ट्यूम से लेकर कपिल देव बने रणवीर सिंह के हाव-भाव पर खूब मेहनत की है, ताकि कपिल देव की पहचान रणवीर सिंह के अंदर पूरी तरह से बनी रहे। फिल्म के पोस्टर ने पहले ही दर्शकों में कपिल देव बने रणवीर सिंह की छवि देखी थी, लेकिन दिग्गज क्रिकेटर की सिनेमाई पेशकश में कबीर खान काफी हद तक सफल हुए हैं।
एक्टिंग
इस बात में कोई दो राय नहीं है कि रणवीर सिंह के अलावा ये किरदार शायद कोई नहीं निभा पाता। कद काठी में बिल्कुल कपिल देव लगे रणवीर सिंह ने एक क्रिकेटर होने की बारीकियों को बहुत बेहतरी से समझा है और कैमरे के सामने उसे परफॉर्म भी किया है। इस बात को कहने में कतई गुरेज नहीं होगा कि यह फिल्म रणवीर सिंह के करियर की बेहतरीन फिल्मों में से एक मानी जाने वाली है। अपनी एक्टिंग से रणवीर सिंह ने कपिल देव के हर किरदार को जीने की कोशिश की है और उसके साथ न्याय किया है। फिल्म में बाकी कलाकारों की मौजूदगी इसे एक कंपलीट पैकेज बनाती है। थोड़े वक्त के लिए दीपिका पादुकोण अपनी मौजूदगी से सबको इंप्रेस करने में कामयाब रहीं। टीम मैनेजर के रोल में पंकज त्रिपाठी की एक्टिंग और उनकी हैदराबादी एक्सेंट जोरदार रही।
कोरोना के फैले संक्रमण की वजह इस फिल्म की रिलीज को नई तारीख मिलती गई। कोरोना ने दर्शकों के सब्र का इंतिहान तो लिया ही है लेकिन कहते हैं - देर आए मगर दुरुस्त आए! '83' को आने में देर तो लगी लेकिन एक मस्ट वॉच के तौर इस देरी को दर्शक हमेशा नजरअंदाज करना चाहेंगे।