2.0 Movie Review विजुअल ट्रीटमेंट के साथ एक अच्छा मैसेज दे रही है अक्षय कुमार और रजनीकांत की फिल्म
2.0 मूवी रिव्यु इन हिंदी | 2.0 Movie Review & Rating in Hindi
2.0 Movie Review: ज्यादा फोन मत इस्तेमाल करो इसमें रेडिएशन होता है, ये रेडिएशन आपके शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं। ये लाइन्स आपने टीवी में, अखबारों में वाट्सएप ग्रुप्स में कई बार देखी, पढ़ीं और सुनी होगी। इसके बाद हम क्या करते हैं, यह देखकर, पढ़कर, सुनकर हम थोड़ी देर सोचते हैं और लगता है कितनी सच बात है, ये मैसेज हम अपने 10 वाट्सअप ग्रुप में भेजकर सोचते हैं हमने कितना महान काम किया और हम फिर से फोन पर लग जाते हैं। सेलफोन हमारी जरूरत नहीं आदत बन चुके हैं, सिर्फ सेलफोन ही नहीं दुनिया की जितनी भी टेक्नॉलजी हमारी मदद के लिए बनाई गई हैं उन्हें अगर ठीक तरह से इस्तेमाल नहीं किया गया तो वो हमारे सेहत और इस इन्वायरमेंट के लिए खतरा है। अक्षय कुमार और रजनीकांत की फिल्म 2.0 में हमें यही मैसेज दिया गया है, वो भी बहुत ही एंटरटेनिंग तरीके से।
प्लॉट: फिल्म की कहानी के बारे में हम आपको ज्यादा नहीं बता सकते हैं लेकिन अक्षय कुमार एक ऐसे शख्स के किरदार में हैं जिसका नाम पक्षीराजन होता है, वो चिड़ियों पर रिसर्च करता है और उनसे दिल से जुड़ा हुआ है, लेकिन दिन बन दिन बढ़ते रेडिएशन कि वजह से उसके कई पक्षी मर जाते हैं। चिड़ियों के आसपास रहने वाले पक्षीराजन को बहुत बुरा लगता है और फिर वो बन जाता है एक खतरनाक विलेन। वो दुनियाभर के सारे मोबाइल वो गायब कर देता है जिनसे रेडिएशन बढ़ता है, यह आपने ट्रेलर में भी देखा होगा। उसका मकसद बुरा नहीं है लेकिन उसका तरीका बहुत खराब होता है वो लोगों को मारने लगता है, इससे निपटने के लिए डॉक्टर वसीकरण को लाना पड़ता है अपना रोबोट चिट्टी 2.0, जिसपर सरकार ने बैन लगा दिया था।
यह तो बात हो गई कहानी की, अब बात करते हैं वीएफएक्स की। यह फिल्म ऐसी है जिसे देखकर आप कह सकते हैं कि हमारे यहां के वीएफएक्स और ग्राफिक्स हॉलीवुड के लेवल का है। यह एक विजुअल ट्रीटमेंट हैं और आप इस पर गर्व कर सकते हैं। वीएफएक्स के अलावा फिल्म की स्क्रिप्ट पर भी काम किया गया है। इस फिल्म के लिए कृत्रिम मेकअप करने में अक्षय कुमार करीब 3 से 4 घंटे लगते हैं, फिल्म देखकर आपको समझ में आ जाएगा कि ऐसा क्यों है।
निर्देशन
इस फिल्म का निर्देशन एस शंकर ने किया है, इस फिल्म को बनाने से लेकर पर्दे तक उतारने में उनका ही हाथ है और यहां वो सफल हुए हैं।
सोशल मैसेज
अक्षय कुमार टॉयलेट एक प्रेम कथा और पैडमैन के बाद इस फिल्म में भी एक अच्छा सोशल मैसेज देते दिखाई दे रहे हैं, फिल्म में उनका किरदार भले ही निगेटिव हो लेकिन उनकी बात बिल्कुल ठीक लगेगी आपको। शायद यह फिल्म देखने के बाद आपका अपने सेलफोन को देखने का नजरिया बदल जाए, और आप सोचने पर मजबूर हो जाएं, हम टेक्नॉलजी का यूज करने के लिए हैं, ऐसा ना हो कि टेक्नॉलजी हमें यूज करे।
कमियां
जब इस तरह की बड़े बजट की और बड़े लेवल की फिल्में बनती हैं तो उसमें कई कमियां भी रह जाती हैं, इस फिल्म में भी कमियां हैं लेकिन इतनी ही हैं कि आप उन्हें आसानी से पचा लेंगे। जैसे फिल्म में अक्षय जब बूढ़े आदमी के रोल में हैं वहां उनकी रौबीली आवाज हमें थोड़ी अखरती है, उन्हें अपनी आवाज पर काम करना था। इसके अलावा फिल्म में इसके पहले भाग रोबोट की तरह मजेदार डायलॉग्स की कमी है। फिल्म का फर्स्ट हाफ जहां बहुत तेजी से कटता है वहीं सेकंड हाफ थोड़ा स्लो हो जाता है, लेकिन फिर से फिल्म अपनी रफ्तार पकड़ लेती है।
म्यूजिक
इस फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक ए आर रहमान का है, मानना पड़ेगा कि वो आपको अपने म्यूजिक से बांधे रहते हैं।
देखें या नहीं?
यह फिल्म एक विजुअल ट्रीट है, 3D में देखने में आपको काफी मजा आने वाला है। साथ ही एक अच्छा मैसेज भी दे रही है। यह फिल्म आप देखिए और बच्चों को खासतौर पर यह फिल्म दिखाइगा उन्हें अच्छा मैसेज भी मिलेगा और मजा भी आएगा। इंडिया टीवी इस फिल्म को दे रहा है 5 में से 3 स्टार।
-ज्योति जायसवाल