'आवाज उठाने की कीमत चुकानी पड़ती है', गुस्से में तमतमाईं स्वरा भास्कर, किस पर साधा निशाना?
स्वरा भास्कर ने सोशल मीडिया पर एक लंबा-चौड़ा नोट शेयर करते हुए हेमा कमेटी रिपोर्ट पर अपने विचार साझा किए हैं। अभिनेत्री का कहना है कि सिर्फ साउथ इंडस्ट्री में ही नहीं बाकी भाषाओं की इंडस्ट्री में भी यही हाल है।
हेमा कमेटी रिपोर्ट सामने आने के बाद मलयालम फिल्म इंडस्ट्री शॉक में हैं। कई अभिनेत्रियों ने अपने साथ हुए यौन शोषण का खुलासा किया, जिससे पूरा फिल्मी जगत अचंभे में पड़ गया है। हेमा कमेटी रिपोर्ट के बाद मलयालम इंडस्ट्री में मीटू मूवमेंट 2.O की शुरुआत हो गई है। इस मामले पर अब अभिनेत्री स्वरा भास्कर ने भी प्रतिक्रिया दी है। स्वरा भास्कर ने हमा कमेटी की रिपोर्ट को लेकर अपने विचार साझा किए हैं। अभिनेत्री के अनुसार, शोबिज हमेशा से पितृसत्तात्मक सत्ता व्यवस्था रही है, जहां अगर कोई महिला बोलती है, तो उसे उपद्रवी करार दिया जाता है।
हेमा कमेटी रिपोर्ट पर स्वरा भास्कर का रिएक्शन
मलयालम फिल्म उद्योग में यौन शोषण पर न्यायमूर्ति हेमा समिति की रिपोर्ट के सामने आने के कारण पूरी इंडस्ट्री में हलचल मची हुई है और हर दिन इस पर अपनी बात रखने के लिए इंडस्ट्री की फीमेल आर्टिस्ट सामने आ रही हैं। स्वरा भास्कर हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की ऐसी पहली कलाकार हैं, जिन्होंने मलयालम इंडस्ट्री में शुरू हुए मीटू मूवमेंट पर प्रतिक्रिया दी है।
सत्ता का दुरुपयोग होता है
हेमा कमेटी की 223 पन्नों की रिपोर्ट पढ़ने के बाद स्वरा भास्कर ने इस पर प्रतिक्रिया दी है। अभिनेत्री ने लिखा- 'क्या भारत में अन्य भाषा इंडस्ट्री भी ऐसी चीजों के बारे में बात कर रहे हैं? जब तक हम उन असुविधाजनक सच्चाइयों का सामना नहीं करते हैं जिनके बारे में हम सभी जानते हैं कि वे हमारे चारों ओर मौजूद हैं, सत्ता के मौजूदा दुरुपयोग का खामियाजा उन लोगों को भुगतना पड़ता रहेगा जो कमजोर हैं। कमेटी की रिपोर्ट पढ़कर दिल टूट गया है। ये इसलिए और भी दिल तोड़ने वाला है, क्योंकि ये जाना-पहचाना है। शायद हर डिटेल नहीं और हर बारीकी नहीं है, लेकिन महिलाओं ने जो गवाही दी है उसकी बड़ी तस्वीर सभी को अच्छे से पता है।'
शोबिज मेल सेंट्रिक इंडस्ट्री है- स्वरा भास्कर
स्वरा भास्कर अपने पोस्ट में आगे लिखती हैं- 'शोबिज़ एक मेल सेंट्रिक इंडस्ट्री है और हमेशा से यहां एक पितृसत्तात्मक सत्ता व्यवस्था रही है। ये एक अलग सोच है, जो कि बहुत ही संवेदनशील और जोखिम से भरा है। प्रोडक्शन-शूट के हर दिन, बल्कि प्री और पोस्ट-प्रोडक्शन के दिन भी ऐसे दिन होते हैं जब मीटर चल रहा होता है और पैसा खर्च हो रहा होता है। किसी को भी रुकावट पसंद नहीं है। भले ही रुकावट डालने वाली ने नैतिक रूप से जो सही है उसके लिए आवाज उठाई हो। इसे जारी रखना कहीं अधिक सुविधाजनक और आर्थिक रूप से व्यावहारिक है।'
आस-पास के लोग मुंह फेर लेते हैं- स्वरा
स्वरा ने आगे लिखा- 'शोबिज सिर्फ पितृसत्तात्मक नहीं है, बल्कि ये डोमिनेटिंग भी है। सफल अभिनेताओं, निर्देशकों और निर्माताओं को देवता का दर्जा दिया जाता है और वे जो कुछ भी करते हैं वह सही माना जाता है। अगर वे कुछ गलत काम करते हैं, तो आस-पास मौजूद सभी लोग उसे अनदेखा कर देते हैं। अगर कोई बहुत अधिक शोर मचाता है और किसी मुद्दे को टलने नहीं देता है, तो उन्हें 'ट्रबल मेकर' का लेबल दे दिया जाता है और उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है।' बता दें, 19 अगस्त को केरल सरकार को 223 पन्नों की हेमा कमेटी रिपोर्ट जारी करनी पड़ी थी।