Sulochana Latkar Passes Away: अमिताभ बच्चन की ऑनस्क्रीन 'मां' का हुआ निधन, एक्ट्रेस सुलोचना ने ली अंतिम सांस
Sulochana Latkar Death: हिंदी सिनेमा जगत की दिग्गज अदाकारा सुलोचना लाटकर का निधन हो गया है। उन्होंने ब्लैक एंड व्हाइट के दौर से लेकर अब 90 के दशक तक एक्टिंग की।
Sulochana Latkar Death: हिंदी फिल्म इंडस्ट्री से एक दुखद खबर सामने आई है। अमिताभ और धर्मेंद्र की ऑनस्क्रीन मां के नाम से मशहूर एक्ट्रेस सुलोचना लाटकर का निधन हो गया है। 94 साल की सुलोचना ने जीवन के ज्यादा हिस्सा सिनेमा को समर्पित किया था। बताया जा रहा है कि बीते दिनों से उन्हें अस्थमा की परेशानी बढ़ गई थी। सुलोचना ने हिंदी और मराठी मिलाकर 250 से भी ज्यादा फिल्मों में काम किया था।
5 जून को होगा अंतिम संस्कार
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार शनिवार को सुलोचना का निधन हो गया था। हाल में ही उन्हें तबीयत बिगड़ने के बाद दादर के सुश्रुषा अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। सुलोचना लाटकर का अंतिम संस्कार सोमवार, 5 जून 2023 को दादर के शिवाजी पार्क शमशान घाट में शाम 5 बजे किया जाएगा। प्रभा देवी स्थित उनके घर पर अंतिम दर्शन के लिए तमाम सेलेब्स पहुंच सकते हैं।
इन फिल्मों में बनीं अमिताभ की मां
सुलोचना ने कई सारी फिल्मों में अमिताभ की मां का रोल निभाया है। इन फिल्मों में 'रेशमा और शेरा', 'मजबूर' और 'मुकद्दर का सिकंदर' जैसी फिल्में शामिल हैं। इसके साथ ही उन्होंने दिलीप कुमार और धर्मेंद्र के साथ भी काम किया है। इतना ही नहीं महानायक अमिताभ बच्चन रियल लाइफ में भी उनके पैर छूते थे और अपने ब्लॉग में कई बार उनका जिक्र करते थे।
लीड एक्ट्रेस के रूप में शुरुआत
मुख्य नायिका के रूप में उनके कुछ यादगार शुरुआती मराठी फिल्में थीं : 'ससुरवास', 'वाहिनीच्या बंगद्य', 'मीत भाकर', 'संगत्ये आइका', 'शक्ति जौ' और कई अन्य। 30 जुलाई, 1928 को बेलगावी (अब कर्नाटक में) के खडाकलत गांव में जन्मीं सुलोचना ने 1946 में अपनी फिल्मी करियर की शुरुआत की। उनकी शीर्ष बॉलीवुड फिल्मों में बिमल रॉय की क्लासिक 'बंदिनी' (1963) थी, जिसे आज भी याद किया जाता है।
जिन अन्य हिंदी फिल्मों में उन्होंने अभिनय किया उनमें 'जब प्यार किसी से होता है', 'दुनिया', 'अमीर गरीब', 'बहारों के सपने', 'कटी पतंग', 'मेरे जीवन साथी', 'प्यार मोहब्बत', 'जॉनी मेरा नाम', 'वारंट', 'जोशीला', 'डोली', 'प्रेम नगर', 'आक्रमण', 'भोला भला', 'त्याग', 'आशिक हूं बहारों का', 'अधिकार', 'नई रोशनी', 'आए दिन बहार के', 'आई मिलन की बेला', 'अब दिल्ली दूर नहीं', 'मजबूर', 'गोरा और कला', 'देवर', 'कहानी किस्मत की', 'तलाश' और 'आजाद' शामिल हैं।
मिले कई पुरुस्कार व सम्मान
सुलोचना को 1999 में पद्मश्री और 2004 में फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया था। महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के सर्वोच्च सम्मान 'महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार' से सम्मानित किया। सीएम एकनाथ शिंदे, डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस, विधानसभा में विपक्ष के नेता अजीत पवार, एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले, शिवसेना-यूबीटी नेताओं और अन्य हस्तियों सहित शीर्ष नेताओं ने उनके निधन पर शोक जताया है।
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