शाहरुख खान के साथ काम करने का सपना हर किसी का पूरा नहीं होता है, लेकिन एक ऐसे बॉलीवुड अभिनेता भी रहे हैं जिन्हें उनके साथ बड़े पर्दे पर स्क्रीन शेयर करने का मौका मिला था। शानदार एक्टिंग करियर होने के बाद भी वह फिल्मी दुनिया को छोड़कर ऋषिकेश पहुंच गए थे और वहां एक ढाबे में काम करना शुरू कर दिया था। 30 की उम्र में अभिनय की दुनिया में कदम रखा, लेकिन 24 साल बाद लीड रोल मिलने से पहले आपको कई सालों तक संघर्ष करना पड़ता है। ऐसे ही अनुभव बॉलीवुड के इस मशहूर अभिनेता का रहा है, जिसने न केवल पेशावर चुनौतियों का सामना किया, बल्कि इंडस्ट्री से नाता खत्म करना का भी फैसला कर लिया था।
अर्श से फर्श पर आ गया था ये बॉलीवुड एक्टर
आज हम इंडस्ट्री के मल्टी टैलेंटेड अभिनेताओं में से एक संजय मिश्रा के बारे में बताने वाले हैं। 1963 में बिहार के दरभंगा में जन्मे संजय मिश्रा ने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में दाखिला लेकर अभिनय के प्रति अपने जुनून को आगे बढ़ाया था। हालांकि, उनके करियर के शुरुआती साल आसान नहीं थे क्योंकि उन्होंने विज्ञापनों और टेलीविजन में छोटी-छोटी भूमिकाएं निभाईं। उनकी सिनेमाई शुरुआत 1995 में शाहरुख खान के साथ 'ओह डार्लिंग! ये है इंडिया!' से हुई। हालांकि इसके बाद उन्हें 'सत्या' और 'दिल से' जैसी फिल्मों में छोटे-छोटे किरदार में देखा गया, लेकिन 1999 में विश्व कप टीवी में एप्पल सिंह की भूमिका निभाने के बाद भी उन्हें वो पहचान नहीं मिली थी, जिसके वो हकदार रहे। आखिरकार हिट सिटकॉम 'द ऑफिस' में संजय मिश्रा को एक आवर्ती भूमिका मिली।
एक्टिंग छोड़ ढाबे में धोए बर्तन
संजय मिश्रा ने 'गोलमाल', 'बंटी और बबली' और 'ऑल द बेस्ट' जैसी फिल्मों में काम करके बॉलीवुड की कॉमेडी शैली में अपनी एक खास जगह बना ली। हालांकि, 2000 के दशक में जब उनका करियर गति पकड़ रहा था तभी उनके पिता का निधन हो गया, जिससे वे पूरी तरह टूट गए। निराश होकर संजय मिश्रा ने फिल्म इंडस्ट्री छोड़ दी और ऋषिकेश चले गए जहां उन्होंने घाटों के पास एक छोटे से ढाबे पर काम किया। उन्हें 150 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से बर्तन धोने का काम मिलता था। बाद में 'गोलमाल' फिल्म के प्रमोशन के दौरान में उन्होंने बताया कि उन्होंने मन की शांति के लिए इस सादगी की तलाश की। आखिरकार, वे मुंबई लौट आए और अपने अभिनय करियर को फिर से शुरू किया।
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