औरत के भेष में आया विलेन, जीभ निकालकर की थी रूह कंपाने वाली हरकत, आज भी देखने पर लग जाता है डर
साल 1999 में एक ऐसी फिल्म रिलीज हुई, जिसके विलेन की खूब चर्चा हुई। इस फिल्म में नजर विलेन एक महिला के अवतार में बच्चों का अपहरण करता था। इसे किरदार को देखकर आज भी लोगों की रूब कांप जाती है।
माथे पर बड़ी लाल बिंदी, नाक में नथ और साड़ी पहने भयानक तरीके से रोना वाला विलेन भारतीय सिनेमा के पर्दे पर पहली बार साल 1999 में दिखाया गया था। फिल्म का नाम था 'संघर्ष'। इस फिल्म में अक्षय कुमार और प्रीति जिंटा लीड रोल में थे। अक्षय कुमार और प्रीति जिंटा का किरदार काफी दमदार था, लेकिन जीभ हिलाकर लोगों को डराने वाला इस फिल्म का विलेन सब पर भारी था। औरत का भेष धारण कर बच्चों का अपहरण करने वाले इस किरदार का नाम गोकुल पंडित उर्फ लज्जा शंकर था, एक धार्मिक कट्टरपंथी था। ये किरदार अमरता प्राप्त करने के लिए बर्बर तरीकों में विश्वास करता था। इस रोल को अशुतोष राणा ने निभाया था। ये उनके करियर का सबसे प्रभानी किरदार भी माना गया है। लुक और हाव-भाव हर चीज से आशुतोष राणा ने लोगों पर ऐसा प्रभाव डाला कि आज भी इसे देख लोग डर जाते हैं।
ऐसे मिला था लज्जा शंकर का रोल
लज्जा शंकर के बुरे इरादों को आशुतोष राणा ने अपनी परफॉर्मेंस से जीवांत कर दिया था। फिल्म में उनका किरदार जब भी दबाव महसूस करता था तो रोता था। अशुतोष राणा ने इस किरदार के लिए महेश भट्ट से खास गुजारिश की थी, वो भी तब जब महेश भट्ट ने उनके साथ प्रैंक किया। वो बताते हैं, 'मैं हैदराबाद में शूटिंग कर रहा था। मैं उसे छोड़कर भट्ट सर से मिलने मुंबई भागा। मैंने उनसे पूछा कि वे किसी और को कैसे साइन कर सकते हैं? या तो वे मेरा ऑडिशन लें और फिर मुझे रिजेक्ट कर दें या फिर बस इतना कहें कि मैंने दुश्मन (1998) के साथ न्याय नहीं किया। मैं किसी और को यह रोल नहीं करने दूंगा। भट्ट सर हंसे और कहा कि चूंकि वे मुझसे लंबे समय से नहीं मिले थे, इसलिए वे मजाक कर रहे थे। क्योंकि अगर वे ऐसा नहीं करते तो मैं कभी नहीं आता। यह भूमिका मेरे लिए ही लिखी गई थी।'
कुछ ऐसी थी स्टोरीलाइन
'संघर्ष' जब रिलीज हुई थी, तब वह मुख्यधारा की फिल्म नहीं थी, लेकिन आज इस तरह की फिल्म को मेनस्ट्रीम माना जाता है। कई लोगों का मानना है कि 'संघर्ष', 'द साइलेंस ऑफ द लैम्ब्स' से प्रेरित फिल्म है। अक्षय कुमार फिल्म में प्रोफेसर अमन के रोल में थे। वहीं प्रीति जिंटा सीबीआई अफसर रीत ओबरॉय के किरदारा में थी। कहानी में दिखाया गया था कि प्रोफेसर अमन जेल में दिन काट रहे होते हैं, लेकिन लज्जा शंकर के केस को सॉल्व करने के लिए रीत, प्रोफेसर अमन की मदद लेती है और बच्चों का अपहरण करने वाले लज्जा शंकर का भांडा फोड़ करती है। इस फिल्म को तनुज चंद्रा के निर्देशन में बनाया गया था। इस फिल्म की कहानी महेश भट्ट ने लिखी। इस फिल्म को बनाने में चार करोड़ रुपये लगे थे और फिल्म ने दुनियाभर में 9 करोड़ की कमाई की थी। वैसे इस फिल्म को कल्ट क्लासिक फिल्मों में गिना जाता है।