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Hindi News मनोरंजन बॉलीवुड सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का नेशनल अवॉर्ड जीतने के बाद गदगद हुए ऋषभ शेट्टी, फैंस को दिया स्पेशल मैसेज

सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का नेशनल अवॉर्ड जीतने के बाद गदगद हुए ऋषभ शेट्टी, फैंस को दिया स्पेशल मैसेज

70वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में 'कांतारा' एक्टर ऋषभ शेट्टी को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के खिताब से नवाजा गया है। अवॉर्ड जीतने के बाद ऋषभ खुशी से फूले नहीं समा रहे। उन्होंने अपने चाहने वालों के लिए खास मैसेज साझा किया है।

Rishab Shetty- India TV Hindi Image Source : INSTAGRAM ऋषभ शेट्टी।

70वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के विजेताओं की ऐलान करा दिया गया है। ऋषभ शेट्टी ने अपनी ब्लॉकबस्टर फिल्म 'कांतारा' के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार जीता। इसके अलावा भी संपूर्ण मनोरंजन प्रदान करने वाली सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय फिल्म का पुरस्कार 'कांतारा' को मिला है। अब इस बड़ी सफलता के बाद फिल्म के लीड एक्टर ऋषभ शेट्टी काफी उत्साहित हैं और उन्होंने अपनी जीत की खुशी जाहिर की है। उन्होंने इस जीत का श्रेय अपने दर्शकों को दिया है। साथ कहा कि उन्हें फैंस का समर्थन जिम्मेदारी का अहसास कराता है। 

ऋषभ शेट्टी ने जाहिर की खुशी

ऋषभ शेट्टी ने अपने फैंस के लिए एक खास संदेश साझा किया है। उनका कहना है, 'मैं 'कांतारा' के लिए नेशनल अवॉर्ड का सम्मान पा कर बहुत ही खुश हूं।  मैं अपने दिल से शुक्रिया अदा करता हूं उन सबको जो इस सफर का हिस्सा रहे, बेहतरीन आर्टिस्ट्स की टीम, तकनीशियनों की टीम और खास कर के होम्बले फिल्म्स का। दर्शकों ने इस फिल्म को सफल बनाया है और उनका समर्थन मुझे बहुत जिम्मेदार महसूस कराता है। मैं अपने दर्शकों के लिए और भी बेहतर फिल्म बनाने के लिए कड़ी मेहनत करने के लिए कमिटेड हूं। खूब सारे सम्मान के साथ, मैं यह अवार्ड हमारे कन्नड़ दर्शकों, दैव नर्तक और अप्पू सर को डेडिकेट करता हूं। मैं ईश्वर को धन्यवाद देता हूं क्योंकि दैवीय आशीर्वाद से हम इस खास पल तक पहुंचे हैं।'

क्या है 'कांतारा' की कहानी

ऋषभ शेट्टी की 'कांतारा' अपनी मूल भाषा कन्नड़ के अलावा तमिल, तेलुगु और मलयालम में डब किए गए संस्करणों में अमेजन प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम हो रही है। हिंदी डब संस्करण नेटफ्लिक्स पर उपलब्ध है। 'कांतारा' फिल्म की कहानी कर्नाटक के तटीय क्षेत्र की पौराणिक गाथा पर आधारित है। 200 साल पुरानी इस कहानी में हत्या, बदला और इंसाफ की कहानी है। एक युवा आदिवासी अपने दादा की मौत का बदला लेता है और पूरे समाज को इंसाफ दिलाता है। इस दौरान कर्नाटक के क्लासिकल ट्राइबल डांस की झलक भी देखने को मिलती है। फिल्म में दिखाया गया आदिवासी समाझ जंगलों का रक्षक है और वो नेचर से जुड़े रहने के संदेश को लोगों तक पहुंचाता है। 

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