Rajnikant: एक्टिंग के कीड़े ने रजनीकांत को बस कंडक्टर से बना दिया सुपरस्टार
Rajnikant: रजनीकांत को लोग साउथ इंडिया में भगवान की तरह पूजा करते हैं। उनकी फिल्में जिस दिन रिलीज होती है उस दिन को लोग त्योहार की तरह मनाते हैं। आज के सुपरस्टार कभी बस कंडक्टर की नौकरी करते थे।
Rajnikant: अभिनेता रजनीकांत साउथ इंडियन फिल्मों से लेकर बॉलीवुड इंडस्ट्री तक में एक फेमस अभिनेता हैं। दमदार और शानदार एक्टिंग से लोगों का दिल जीतने वाले अभिनेता एक मराठी परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनका जन्म बैंगलोर में हुआ था। रजनीकांत का रियल नेम शिवाजी राव गायवाड़ है। उनकी पहली फिल्म अपूर्व रांगगल थी। इस फिल्म को तमिल के निर्देशक के. बालाचंदर ने डायरेक्ट किया था। अपनी पहली फिल्म के लिए उन्होंने जो पहला शॉट दिया, वह एक गेट खोलने का था जो उनका सिग्नेचर स्टाइल बन गया।
अभिनेता बनने से पहले थे बस कंडक्टर
हालांकि, फिल्म इंडस्ट्री में काम शुरू करने से पहले, अभिनेता रजनीकांत ने बैंगलोर ट्रांसपोर्ट सर्विस (बीटीएस) में बस कंडक्टर के रूप में नौकरी की थी। साथ ही उन्होंने कुली का भी काम किया था, लेकिन रजनीकांत ने अपने हिस्से के मेहनत किए हैं और मुकाम हासिल किया है।
दोस्त ने की थी मदद
रजनीकांत के एक दोस्त राज बहादुर थे जिन्होंने उन्हें फिल्म में करियर बनाने के लिए इंस्टिट्यूट में शामिल होने के लिए प्रेरित किया और इस दौरान उन्हें आर्थिक रूप से समर्थन दिया। पढ़ाई के दौरान उन्हें तमिल फिल्म निर्देशक के बालचंदर ने देखा और रजनीकांत को फिल्मों में काम करने का मौका दिया। अपने काम के प्रति उनकी कड़ी मेहनत और ईमानदारी ने ही उन्हें सफलता हासिल करने में मदद की। अपनी एक्टिंग से उन्होंने साबित किया कि, एक्टर बनने का सपना सही था।
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रजनीकांत किसी दिखावे में विश्वास नहीं रखते हैं
अभिनेता रजनीकांत ने फिल्म शिवाजी द बॉस (2007) की शूटिंग के दौरान रजनीकांत को एक हाई-एंड वैनिटी वैन दी गई थी क्योंकि फिल्म का बजट बहुत ज्यादा था। हालांकि, उन्होंने इसका इस्तेमाल करने से इनकार कर दिया और इसके बजाय, स्टूडियो में सीधे मेकअप रूम में चले गए। उन्होंने अपनी सादगी से लोगों को हमेशा चकित किया है।
अहम अवॉर्ड जीत चुके हैं रजनीकांत
रजनीकांत को बहुत सारे अवॉर्ड मिले हैं। उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण (2000) और पद्म विभूषण (2016) से सम्मानित किया गया था। 67वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में उन्हें दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनके अनोखे स्टाइल वाले डायलॉग्स, सिग्नेचर स्टाइल उनकी फिल्मों का मुख्य आकर्षण रहा है। उनके फैंस आज भी उनकी फिल्मों की रिलीज को किसी त्योहार से कम नहीं मनाते हैं।