Pran Death Anniversary: एक ऐसा खलनायक जिसके कारण लोगों नहीं रखा बच्चों का नाम 'प्राण'
Pran Death Anniversary: विलेन शब्द सुनते ही देश के लोगों के मन में एक नाम सबसे पहले आता है वह है प्राण, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस एक्टर ने अपनी एक्टिंग से लोगों के मन में किस हद तक डर पैदा कर दिया था।
Pran Unheard facts: बॉलीवुड इंडस्ट्री में बेहतरीन विलेन्स की काफी लंबी लिस्ट है। हिंदी सिनेमा जगत में ऐसी कई फिल्में हैं जिनके हीरो तो लोगों को याद नहीं लेकिन विलेन के डायलॉग अब भी लोगों की बातों में सुनने को मिल जाते हैं। 40-50 के दशक में बॉलीवुड को एक ऐसा विलेन मिला जो अपने काम से इस खलनायक शब्द का पर्याय बन गया। उसकी एंट्री से पहले कुछ धुएं के छल्ले स्क्रीन पर नजर आते थे और दर्शकों की घिग्घी बंध जाती थी। अच्छे अच्छे सुपरस्टार इस विलेन के आगे फीके पड़ जाते थे। अब तक तो शायद आप समझ ही गए होंगे कि हम किसकी बात कर रहे हैं, जी हां! हम बात कर रहे हैं देव आनंद, शम्मी कपूर, राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन जैसे एक्टर्स को अपनी एक्टर्स को दबा देने वाले प्राण की। आज प्राण की पुण्यतिथि है, इस मौके पर जानते हैं उनके बारे में कुछ ऐसी दिलचस्प बातें जो शायद ही आपने सुनी हों...
ये था प्राण का असली नाम
प्राण का असली नाम प्राण किशन सिकंद आहलूवालिया था। जो फिल्मों में आने से पहले एक सेलेब्रिटी फोटोग्राफर हुआ करते थे। लेकिन उनका अंदाज फिल्ममेकर्स को इतना पसंद आया कि उन्हें फिल्मों में ही काम मिलने लगा। 12 फरवरी 1920 को बल्ली मारन, दिल्ली में जन्मे प्राण का 12 जुलाई 2012 को लंबी बीमारी के बाद मुंबई में प्राण का निधन हो गया था।
रावण की तरह कोई नहीं रखता इनका नाम
भारत में यह परंपरा रही है कि यहां धर्म ग्रंथों के खलनायकों के नाम पर बच्चों का नामकरण नहीं होता। जैसे आपको रावण, कंस या दुर्योधन नाम का शख्स नहीं मिला होगा। इन धार्मिक किरदारों के बाद यह इतिहास किसी ने दोहराया तो वह बॉलीवुड के दमदार विलेन प्राण ही थे। जिनके नाम पर लोगों ने अपने बच्चों का नाम नहीं रखा। लेखक राजीव विजयकर से हुई बातचीत में प्राण ने कहा था, "कुछ पत्रकारों ने बॉम्बे, दिल्ली, पंजाब और यूपी के स्कूलों और कॉलेजों में एक सर्वेक्षण किया और पाया कि 50 के दशक के बाद एक भी लड़के का नाम प्राण नहीं रखा गया था, जैसे किसी ने भी अपने बेटे का नाम रावण नहीं रखा है!"
लाहौर से हुई करियर की शुरुआत
आपको जानकर हैरानी होगी कि प्राण ने करियर की शुरुआत मुंबई स्थित हिंदी फिल्म इंडस्ट्री से नहीं की। बल्कि वह तो साल 1940 में अपने करियर की शुरुआत कर चुके थे लेकिन यहां नहीं लाहौर में, क्योंकि आजादी से पहले भारत की एक बड़ी इंडस्ट्री वहां भी थी। लाहौर में दलसुख पंचोली की पंजाबी फिल्म यमला जट (1940) में खलनायक के रूप में पहली भूमिका मिली, जो उस वर्ष एक बड़ी हिट साबित हुई थी। 22 फिल्मों और पॉपुलैरिटी को छोड़कर प्राण आजादी के बाद 1947 में मुंबई आ गए। लेकिन उनकी शौहरत का सिलसिला यहां भी नहीं रुका।
350 से ज्यादा फिल्में
आपको बता दें कि प्राण 1950 और 1970 के दशक के बीच बॉलीवुड के सबसे बड़े खलनायक के रूम में उभरे। अपने करियर में उन्होंने 350 से अधिक फिल्मों में काम किया। उनकी सबसे चर्चित फिल्मों में ज़िद्दी (1948), मुनीमजी (1955), जब प्यार किसी से होता है (1961), चोरी चोरी (1956) और जिस देश में गंगा बहती है (1960) जैसी फिल्मों में काम किया। इनके अलावा प्राण ने 'जंजीर' में एक दिल छू लेने वाला किरदार निभाया, जिसने यह साबित किया कि वह सिर्फ खलनायक नहीं बल्कि एक बेहतरीन कैरेक्टर एक्टर भी हैं।
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