Exclusive: OMG 2 के सेंसर मामले पर पंकज त्रिपाठी ने दिया दो टूक जवाब, Sex Education कही ये बात
OMG 2: पंकज त्रिपाठी इस बार सेक्स एजुकेशन के मुद्दे को लेकर कोर्ट में खड़े नजर आने वाले हैं। अक्षय कुमार स्टारर फिल्म 'ओएमजी 2' को लेकर उन्होंने इंडिया टीवी से खास बातचीत की है।
OMG 2: 11 अगस्त को बॉक्स ऑफिस पर 'गदर 2' के साथ टकराएगी अक्षय कुमार की 'OMG 2'। OMG 2 को सेंसर बोर्ड की तरफ से 27 बदलाव के बाद A certificate मिल पाया है। फिल्म में अक्षय कुमार के साथ हैं पंकज त्रिपाठी और यामी गौतम। पंकज त्रिपाठी इस फिल्म में सेक्स एजुकेशन के मुद्दे को उठाने वाले हैं। यामी कोर्ट में उनके खिलाफ वकालत करती नजर आएंगी। इस फिल्म के विषय और सेंसर बोर्ड के कारण उठे विवादों पर दोनों कलाकारों ने इंडिया टीवी से बात की है।
Q - जब पहली बार 'ओ माय गॉड' आई थी तब भी विश्वास की बात थी और अब 'ओ माय गॉड 2' भी विश्वास की बात है। तो आप दोनों को इसे करने में क्या खास लगा?
यामी: मजा आया बहुत! क्योंकि जो लाइंस भी थे ना, जो भी आर्गुमेंट थे अगर हम बतौर एक्टर न सोचकर ऐसे रियल में भी सोचें तो बिल्कुल भी हमें अटपटा नहीं लगेगा कि यह मैं क्या कर रही हूं।
पंकज: मेरी पत्नी भी यही बात कर रही थी, स्क्रीनिंग के दौरान यामी से। यह सब कुछ नजरिए का कमाल है।
Q - कितना ह्यूमर् नजर आएगा इस फिल्म में?*
पंकज: जितनी सब्जी में नमक की मात्रा होती है, उतना ही ह्यूमर् की मात्रा है।
Q- कहते हैं कि जब तक परेशानी ना हो तब तक अचीवमेंट नजर नहीं आता। और यह फिल्म बहुत परेशानी से गुजर कर आई है देखा है हमने। बताइए जब आपके पास कोई किरदार या कहानियां आती है तो पहले आप खुद उसे कितना सेंसर करते हैं?
पंकज: हम जिम्मेदार अभिनेता हैं। हम सेल्फ सेंसर है। जिसका कोई बोर्ड नहीं है। इसका बोर्ड जो है वह हमारी परवरिश है, हमारे संस्कार हैं। हमने जैसी किताबें पढ़ी हैं जिस माहौल में रहे हैं, जैसा व्यक्तित्व बनाया है, वह व्यक्तित्व ही हमको सेंसर करता है। मैं एक लाइन पढ़ रहा था जिसे अमित ने लिखी थी, मैंने उनसे पूछा की पुस्तक में ये लिखा है तो उन्होंने कहा, 'हां'। तो मैंने कहा मुझे भेजिए तो उन्होंने मुझे स्क्रीनशॉट भेजा। मैंने कहा स्क्रीनशॉट नहीं पूरी पुस्तक भेजिए मैं पढ़ना चाहता हूं।
हम जिम्मेदार नागरिक हैं। हम जिम्मेदार फिल्में कर रहे हैं। अक्षय सर भी एक जिम्मेदार नागरिक हैं। जो सोशल इश्यूज पर फिल्में बनाते हैं। हम हैं, यामी है। हम सब एक जिम्मेदार अभिनेता हैं तो हम कोई भी चीज करने से पहले उसका मकसद तो जरूर भापेंगे। क्यों लिखा है क्या लिखा है।
यामी: बिल्कुल यह बहुत जरूरी भी है, हर एक का अपना एक इंटेलेक्ट है। मैं मानती हूं जो एक गट फीलिंग होती है वह कभी भी आपको डिच नहीं करेगी। उसके बाद आप कितना एनालाइज करें, ओवर एनालाइज करें, डिस्कशन करें। वह जो पहले मन की आवाज होती है, वह मोस्टली करेक्ट होती है। वह आपको बताती है कि हां यह जरूरी है। मैं फिल्म की नहीं, मैं जनरली बात कर रही हूं। आपको समझ में आता है जरूर। जब करियर की आपकी शुरुआत होती है तो आपके पास वह प्लेटफॉर्म नहीं होता है। आप खुलकर वह बातें नहीं कर सकते, आज मैं कर सकती हूं। जिस तरह की फिल्में मैं कर रही हूं। मैं हमेशा ध्यान देती हूं जिसकी बात पंकज सर कर रहे हैं सेंसर बोर्ड। हाल ही में मैं कुछ पढ़ रही थी पहले ही सीन था जो मुझे सही नहीं लगा। और सब का एक पर्सपेक्टिव होता है। क्योंकि मैंने शुरूआत ही 'विकी डोनर' फिल्म से की है, लेकिन जब फिल्म रिलीज हुई तो सफल रही। क्योंकि वह जो सुर था फिल्म का या जो इंटेंशन था डायरेक्टर का वो अलग था। मुझे पूरा विश्वास है कि यह फिल्म भी दर्शकों को बहुत पसंद आएगी।
Q - अभी फिल्म के सुर की जो आपने बात की आपने कहा कि वह सही जगह पर है। आपने तो देखी है, आपको खुद पता है कि अच्छा क्या है, बुरा क्या है। लेकिन जब सेंसर की बात चल रही थी तो डर लग रहा था कि कहीं कुछ अटक ना जाए?
पंकज: मुझे लगता है इस आयु वर्ग के लिए यह कहानी बहुत जरूरी है। जो वर्ग है, 18 से कम वह बेचारे वंचित रह जाएंगे क्योंकि उनके लिए आवश्यक फिल्म है। जब उनसे बड़े लोग देखेंगे परिवार के और सोचेंगे कि यार ये तो कहीं ना कहीं इसका असर पड़ेगा। लोगों की सोचने के तरीके हैं। आपकी मीडिया कर्मियों से ही पता चला कि बाहर यूएई में 12 प्लस का सर्टिफिकेशन मिला है इसको। मुझे लगता है कि जो जैसा है उसको उसी तरह से स्वीकार करो। हमारे शास्त्र भी जीतने हारने की बात नहीं करते हैं संवाद स्थापित करो समझो। तो वही सेंसर बोर्ड भी संवाद स्थापित करते हैं। उनके ऊपर भी जिम्मेदारी है लोगों की भावनाएं आहत ना हो जाए, इसका भी ध्यान रखते हैं।
Q: आप पिता का किरदार निभा रहे हैं पिता कहीं ना कहीं अपने बच्चों के लिए हीरो होता है। बात सेक्स एजुकेशन की हो रही है जो बहुत ही इंपॉर्टेंट है। आप मुझे बताइए कितना जरूरी है सेक्स एजुकेशन?
पंकज: जो आज के समय में भी डिस्कशन चलता रहा है। अभी भी मुझे नहीं लगता है, कि हम उस लेवल तक पहुंचे हैं कि जरूरी जानकारियां देते हैं।
यामी: सेक्स एजुकेशन का जो टॉपिक है वह बहुत ही जरूरी है खास करके आज के टाइम पर इंटरनेट पर सब कुछ मिलता है और वह इंफॉर्मेशन सही भी होता है गलत भी होता है। हर बच्चे के पास पेन हो न हो सेल फोन जरूर होता है। आजकल हर 2 साल के बच्चे के पास टेबलेट से लेकर और सब के पास सेलफोन होता है हमारे पास उस टाइम पर कुछ भी नहीं था। क्योंकि हमारे पास कोई ऑप्शन ही नहीं था। अब ऑप्शन है तो अब लगता है कि यह जरूरी है।