जब सिर्फ 400 मीटर दूर थे अटल बिहारी वाजपेयी, लाखों की भीड़ में एक झलक के लिए पहुंच गए थे पंकज त्रिपाठी
एक्टर पंकज त्रिपाठी 'आप की अदालत' के कटघरे में नजर आए। उन्होंने इंडिया टीवी के चेयरमैन और एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा के सवालों का बखूबी जवाब दिया। इस दौरान उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी पर भी बात की और बताया कि एक दफा वो उनकी नजर के बिल्कुल सामने थे, ठीक सिनेमा के वाइड एंगल सीन की तरह।
फिल्मों में अपने सॉलिड रोल से अलग पहचान बनाने वाले पंकज त्रिपाठी की गिनती देश के शानदार एक्टर्स की लिस्ट में होती है। रोल छोटा हो या बड़ा पंकज त्रिपाठी उसे इस कदर शिद्दत से निभाते हैं कि फिर दर्शक उन्हें उसी किरदार के नाम से पुकारने लगते हैं। ठीक ऐसा ही ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ की रिलीज के बाद हुआ। लोगों की जुबान पर 'सुल्तान कुरैशी' का नाम चढ़ गया था। इसके कुछ वक्त बाद ही 'मिर्जापुर' वेब सीरीज आई और पंकज त्रिपाठी दर्शकों के लिए 'कालीन भैया' हो गए। 'कड़क सिंह' और 'शेरदिल: द पीलीभीत सागा' जैसी फिल्मों को अकेले के दम पर चलाने वाले पंकज त्रिपाठी अब 'मैं अटल हूं' में नजर आने वाले हैं। इसी फिल्म पर बात करने के लिए पंकज त्रिपाठी अब लोकप्रिय शो 'आप की अदालत' के कटघरे में इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा के सवालों का सामना करते नजर आए। इस दौरान उन्होंने अटल बिहारी वायपेयी को बेहद करीब से देखने का किस्सा साझा किया।
इस रोल को करने में लगा डर
सवालों के दौर के बीच इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा ने सवाल किया, 'अटल जी देश के हीरो थे। तो हीरो का हीरो बनना इसके लिए काफी तैयारी करनी पड़ी होगी?' इसके जवाब में पंकज त्रिपाठी ने कहा, 'जी बिल्कुल। पहले तो डरना पड़ा। काफी डरना पड़ा।' इसी पर रजत शर्मा ने सवाल किया कि क्या पंकज कभी अटल बिहारी वाजपेयी से मिले? इसके जवाब में पंकज त्रिपाठी ने पटना के गांधी मैदान में देश पूर्व प्रधानमंत्री को देखने का किस्सा साझा किया। उन्होंने बताया कि वो उनके काफी करीब थे।
300-400 मीटर दूर ही थे अटल बिहारी वाजपेयी
पंकज ने कहा, 'बड़ी रोचक कहानी है। आप सब भी सुने। सुना ही देता हूं... तो आज से 26-27 साल पहले की बात है। पटना के गांधी मैदान में एक रैली थी। वो मेरे प्रिय नेता थे। प्रिय वक्ता थे तो उस रैली में मैं चला गया। मन बना लिया कि मैं जाऊंगा उन्हें सुनने। साइकिल से वहां पहुंचा। मैदान में रेलिंग में लगे सीकर से अपनी साइकिल चेन के सहारे बांध दी और ताला लगा दिया और चाभी जेब में रख ली। उस असंख्य लाखों की भीड़ में घुस गया और मुझे अटल जी को करीब से देखना था तो मैं स्ट्रगल करते-करते आगे बढ़ा। उनसे 300-400 मीटर दूर ही था कि मैं स्ट्रगल करते-करते थक गया। उसके आगे बहुत पब्लिक थी...बहुत भीड़ थी, मैं आगे जा ही नहीं सका। मैं उस 95-96वें की पॉलिटिकल रैली में 400 मीटर दूर से मंच पर अटल जी को देख रहा था। वो नजारा ठीक वैसा ही था जैसे सिनेमा में वाइड एंगल लेंस का होता है।'
शूटिंग दिलाती थी उस रैली की याद
पंकज आगे कहते हैं, 'वाइड फ्रेम था जहां कुछ, पूरा स्टेज दिख रहा था। मंच पर अटल जी भाषण दे रहे थे, वोआ चुके थे और पीछे शत्रुध्न सिन्हा जी खड़े थे तो मैं वाइड एंगल में देखता रहा और भीड़ की वजह से उससे आगे मैं जा नहीं पाया था। जब-जब इस फिल्म की शूटिंग होती थी रवि जी, रवि जाधव जो मेरे डायरेक्टर हैं वह सेट पर मुझे अटल जी ही बोलते थे। तो डीओपी यानी सिनेमेटोग्राफर लॉरेंस को रवि जाधव बोलते थे अटल जी का क्लोज लगाओ। अटल जी के एक्सट्रीम क्लोज लगाओ। ये सुनकर मेरे दिमाग में वो वाइड एंगल ही दिखता था, जब मैं दूर से देखा था तो इसका तात्पर्य यही है कि जीवन में जो एक्सट्रीम वाइड है न, आप अपने पथ पर चलते रहिए तो एक्सट्रीम क्लोज भी हो सकता है।'
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