'खोया खोया चांद', 'आंखों में सारी रात जाएगी...', 'खुला आसमान', मोहम्मद रफी ने अपनी मदहोश करने वाली आवाज में जब ये गाने गाए तब ना जाने कितनो की आंखों से नींद गायब हो गई। मोहम्मद रफी की आवाज का जादू ही कुछ ऐसा था कि आज भी उनके गाने कभी पुराने नहीं लगते। उन्होंने अपने करियर में करीब 28,000 गाने गाए और कई गाने आज भी लोगों की जुबान पर रहते हैं। रफी साहब के गाने सुनकर बेचैन दिलों को सुकुन मिलता है तो वहीं उनके कई गाने इश्क की तड़प को भी बढ़ाने का काम करती है। ये तो बात हो गई रफी साहब के हिंदी गानों की लेकिन क्या आप जानते हैं कि मोहम्मद रफी कई भोजपुरी गानों को भी अपनी आवाज दे चुके हैं। एक भोजपुरी गाने से तो उन्होंने तहलका मचा दिया था।
रफी के इस भोजपुरी गीत ने मचा दिया था तहलका
हम मोहम्मद रफी के जिस भोजपुरी गाने की बात कर रहे हैं उसका नाम है 'गोरकी पतरकी रे।' ये गाना रिलीज होते ही छा गया था। मोहम्मद रफी ने इस गाने को आशा भोसले संग गाया था। ये गाना फिल्म 'बलम परदेसिया' का है। इस गाने को उस जमाने में हर प्रेमी अपनी प्रेमिका को खुश करने के लिए गाया करते हैं। आखिर उस वक्त में इस गाने का क्रेज ही कुछ ऐसा था। वहीं इसके अलावा रफी साहब ने दो दर्जन से अधिक भोजपुरी गीतों को अपनी आवाज से सजाया। जिसमें ‘बलम परदेसिया’, ‘तड़प-तड़प’, सैंया से नेहा लगावे का फुलवा नियर नार’, सोनवा पे पिंजरा’, ‘मोर भंगिया के मनाई दे’ और ‘फूट गईले किस्मतवा’ जैसे भोजपुरी गानों के नाम शामिल हैं।
मोहम्मद रफी के बारे में
आपको बता दें कि मोहम्मद रफी का जन्म 24 दिसम्बर 1924 को ब्रिटिश पंजाब के कोटला सुल्तान सिंह (अब अमृतसर का हिस्सा) में हुआ था। साल 1945 में 'गांव की गोरी' फिल्म से रफी साहब ने हिंदी सिनेमा में करियर शुरू किया। धीरे-धीरे उनका करियर परवान चढ़ा। उनकी सबसे बड़ी खासियत यह रही कि उन्होंने हर तरह के गाने गाए। उन्होंने देशभक्ति से लेकर कव्वाली, गजल और भजन से लेकर शास्त्रीय गानों तक हर तरह के गीत में अपना जलवा दिखाया। अपनी मधुर आवाज के लिए मोहम्मद रफी ने छह फिल्मफेयर पुरस्कार भी जीते। उन्हें एक राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला। साल 2001 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री का सम्मान भी दिया।
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