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जौनपुर के दूधवाले का बेटा कैसे बना 'तेरे नाम' का रामेश्वर, ऐसा है रवि किशन का गोरखपुर के सांसद बनने का सफर

भोजपुरी एक्टर से बॉलीवुड एक्टर और फिर भाजपा नेता से सफल गोरखपुर सांसद बनने वाले रवि किशन का सफर आसान नहीं रहा। रवि किशन ने उत्तर प्रदेश के जौनपुर से निकलकर मुंबई में अपनी धाक जमाई। वक्त के साथ वो इंडस्ट्री के क्लास एक्टर कहलाने लगे और अब राजनीति में भी अपना सिक्का चला रहे हैं।

Ravi kishan- India TV Hindi Image Source : INSTAGRAM रवि किशन।

भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार रवि किशन का आज जन्मदिन है। गोरखपुर सांसद आज 55 साल के हो गए हैं। अपनी बेहतरीन एक्टिंग से लोगों का दिल जीतने वाले रवि किशन का जीवन आसान नहीं रहा। एक्टर ने तरक्की की सीढ़ियां यूं ही नहीं चढ़ीं, उन्हें सफलता हासिल करने के लिए काफी मेहनत और लगन के साथ काम करना पड़ा। उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में 17 जुलाई 1969 को पैदा हुए रवि किशन आज बॉलीवुड के दमदार एक्टर्स और प्रभावी राजनेताओं में गिने जाते हैं। ये सफलता रवि के हाथ कैसे लगीं, ये आज उनके जन्मदिन के मौके पर जानते हैं। 

पिता थे एक्टिंक के खिलाफ

रवि किशन भोजपुरी सिनेमा के सबसे सफल एक्टर हैं और पहले भोजपुरी सुपरस्टार भी कहलाए हैं। रवि की एक्टिंग का दायरा भोजपुरी इंडस्ट्री तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने  बॉलीवुड और साउथ सिनेमा में भी अपनी धाक जमाई। राजनीति में भी रवि किशन का सिक्का एक्टिंग की तरह ही चला और वो दूसरी बार भाजपा की टिकट पर गोरखपुर के सांसद चुने गए हैं। फिलहाल एक्टिंग की दुनिया में ये मुकाम हासिल करने के लिए रवि किशन को काफी स्ट्रगल करना पड़ा। करियर शुरू करने के लिए रवि किशन अपनी मां से पैसे लेकर मुंबई आए और 12 लोगों संग एक ही कमरे में चॉल में रहना शुरू किया। रवि किश के पिता नहीं चाहते थे कि वो एक्टर बनें। पिता के खिलाफ जाकर अपने सपने को रवि किशन ने न सिर्फ साकार किया बल्कि एक्टिंग के क्षेत्र में अपनी एक्टिंग का लोहा मनवाया। 

पिता का काम पड़ा ठप्प तो लौटना पड़ा जौनपुर

बचपन से ही रवि किशन को एक्टिंग की दुनिया अपनी ओर खींचती थी, यही वजह थी कि वो बचपन में रामलीला में माता सीता का किरदार निभाया करते थे। रवि किशन उत्तर प्रदेश के जौनपुर में पैदा तो हुए लेकिन कुछ सालों बाद उनका परिवार मुंबई आ गया, जहां वो अपने पूरे परिवार के साथ चॉल में रहते थे। यहां रहते हुए उनके पिता दूधा बेचा करते थे, लेकिन एक ऐसा वक्त आया जब उनके पिता की डेयरी बंद हो गई और वापस जौनपुर लौटना पड़ा। रवि किशन का दिल और दिमाग दोनों मुंबई में ही था, ऐसे में वो अपनी ख्वाहिश पूरी करने की चाहत में मुंबई वापस लौटे, दोबारा चॉल में रहकर शुरुआत की। मुंबई आने के लिए रवि ने 500 रुपये अपनी मां से लिए थे। 

रवि किशन को कैसे मिली पहचान

मुंबई आकर रवि किशन के संघर्ष का दौर शुरू हुआ। लगातार ऑडिशन और रिजेक्शन का दौर चलता रहा। कई बार उन्हें रोल के लिए पैसे ही नहीं मिले तो कई बार लोगों ने पैसे काट लिए। कुछ वक्त पहले एक इंटरव्यू में रवि किशन ने कहा था, 'लोग मुंबई में चलकर ऊपर आते हैं और मैं रेंगकर यहां तक पहुंचा हूं।' बता दें, 'तेरे नाम' में रामेश्वर के किरदार से रवि किशन को बॉलीवुड में पहचान मिली। इसके बाद वो 'फिर हेरा फेरी' में नजर आए। उनके किरदार को सराहा गया। इसके बाद एक-एक कर के उन्हें तगड़े रोल मिलने लगे। हाल में ही 'लापता लेडीज' में उन्होंने अपनी लाइफ की सबसे बेहतरीन परफॉर्मेंस में से एक दी और इसके बाद 'मामला लीगल' है सीरीज में भी छाए रहे।

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