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Hindi News मनोरंजन बॉलीवुड 50 रुपये लेकर मुंबई आया ये एक्टर, 7 ब्लॉकबस्टर देकर बना जुबली कुमार, फिर ऐसे बदले हालात कि बेचना पड़ा बंगला

50 रुपये लेकर मुंबई आया ये एक्टर, 7 ब्लॉकबस्टर देकर बना जुबली कुमार, फिर ऐसे बदले हालात कि बेचना पड़ा बंगला

बॉलीवुड में स्टारडम तक पहुंचना जितना मुश्किल है उतना ही मुश्किस उसे संभाले रखना है। अलग-अलग हालातों में एक्टर्स के हाथ से कमाई हुई सफलता फिसल जाती है। 7 ब्लॉकबस्टर देकर जुबली कुमार कहलाने वाले एक्टर के साथ भी ऐसा ही हुआ, सफलता संभाले नहीं संभली और फिर बुरे दौर से गुजरना पड़ा।

jubilee actor Rajendra Kumar- India TV Hindi Image Source : X राजेंद्र कुमार।

मनोरंजन जगत में स्टारडम तो कई लोग हासिल कर लेते हैं, लेकिन इसे संभालना किसी टेढ़ी खीर से कम नहीं है। बस एक चूक किसी भी अभिनेता के पतन का कारण बन सकती है। कई अभिनेता ऐसे रहे जो सुपरस्टार बन गए और बाद में गुमनामी के अंधेरे में खो गए। ऐसा ही एक अभिनेता जिसने लगातार 7 ब्लॉकबस्टर फिल्में दीं और जुबली स्टार बन गया, लेकिन अचानक ही हालात ऐसे बदले कि दिवालिया हो गया। हम जिस अभिनेता के बारे में बात कर रहे हैं, वह विभाजन के समय जेब में मात्र 50 रुपए लेकर भारत आए थे और दर्शकों के दिलों में अपनी जगह बनाई। हालांकि, उनका स्टारडम ज्यादा दिनों तक नहीं चला और जल्द ही उन्हें दिवालिया होने के बाद अपना बंगला मामुली दामों में बेचना पड़ा। ये एक्टर  कोई और नहीं बल्कि राजेंद्र कुमार हैं।

50 रुपये लेकर आए थे मुंबई

राजेंद्र कुमार को बॉलीवुड के सबसे सफल अभिनेताओं में से एक माना जाता है। साल 1949 में अपने करियर की शुरुआत करते हुए, उन्होंने चार दशकों से अधिक के करियर में 80 से अधिक फिल्मों में काम किया। 1960 के दशक में उन्हें जुबली कुमार के नाम से जाना जाता था। इसकी वजह उनकी बैक टू बैक कई ब्लॉकबस्टर फिल्में रहीं। राजेंद्र कुमार ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रांत के सियालकोट में रहते थे। हालांकि विभाजन के दौरान उनके परिवार को अपनी सारी पुश्तैनी संपत्ति छोड़कर भारत आना पड़ा। जब राजेंद्र कुमार को अभिनय की दुनिया में कदम रखने का मौका मिला तो उनके पास केवल 50 रुपये थे, जो उन्होंने अपने पिता की घड़ी बेचकर खरीदे थे। उनके पास ट्रेन की टिकट खरीदने के लिए भी पैसे नहीं थे और वे किराए पर ट्रेंच लेकर गेस्ट हाउस में रहते थे।

इस फिल्म ने बनाया सुपरस्टार

उन्होंने 'पतंगा' और 'जोगन' जैसी फिल्मों में छोटी भूमिकाओं के साथ अपने करियर की शुरुआत की। फिल्म 'वचन' ने उन्हें पहचान दिलाई। इसके बाद महबूब खान की महाकाव्य ड्रामा फिल्म 'मदर इंडिया' आई, जो बॉक्स ऑफिस पर भी बड़ी हिट रही। इसके बाद उन्होंने लगातार सात ब्लॉकबस्टर फिल्में दीं और 1960 के दशक तक वे सुपरस्टार बन गए। 1960 के बाद से लगातार हिट फिल्मों और कम से कम 25 सप्ताह (सिल्वर जुबली) तक चलने वाली उनकी कई फिल्मों के साथ राजेंद्र कुमार ने जुबली कुमार की उपाधि अर्जित की।

Image Source : Xराजेंद्र कुमार।

एक्टर के नाम हैं ये सफल फिल्में

उनकी कुछ ब्लॉकबस्टर फिल्मों में 'मुगल-ए-आज़म', 'आई मिलन की बेला', 'मेरे महबूब', 'आस का पंछी', 'घराना' और कई फिल्में शामिल हैं। वैसे उनका स्टारडम ज्यादा दिनों तक नहीं रहा। 'मजदूर ज़िंदाबाद' को खराब क्रिटिक्स रेटिंग तो मिली ही, इसके साथ ही फिल्म बॉक्स ऑफिस पर भी विफल रही। उन्होंने 'डाकू और महात्मा', 'शिरडी के साईं बाबा', 'सोने का दिल लोहे के हाथ', 'आहुति', 'साजन बिना सुहागन' और 'बिन फेरे हम तेरे' जैसी फिल्मों में अभिनय किया, जिनमें से सभी ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन किया।

बेचना पड़ा बंगला

एक समय ऐसा भी था जब अभिनेता दिवालिया हो गए और उन्हें अपना बंगला राजेश खन्ना को बेचना पड़ा। जबकि बंगले का बाजार मूल्य बहुत अधिक था, उन्होंने कथित तौर पर इसे केवल 3.5 लाख रुपये में बेच दिया। वह कोई भी दवा लेने से मना करते थे और 1999 में 71 वर्ष की आयु में अपने बेटे के 43वें जन्मदिन के ठीक एक दिन बाद और अपने 73वें जन्मदिन से ठीक 8 दिन पहले उनकी मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु नींद में आए हार्ट अटैक से हुई।

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